अक्षरमुष्टि कला
जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एककलाहै। अक्षरों को ऐसी युक्ति से कहना कि उस संकेत का जानने वाला ही उनका अर्थ समझे, दूसरा नहीं; मुष्टिसकेंत द्वारा बातचीत करना, जैसे दलाल आदि कर लेते हैं की कला।
जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एककलाहै। अक्षरों को ऐसी युक्ति से कहना कि उस संकेत का जानने वाला ही उनका अर्थ समझे, दूसरा नहीं; मुष्टिसकेंत द्वारा बातचीत करना, जैसे दलाल आदि कर लेते हैं की कला।