कुसुमध्वज

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कुसुमध्वज या 'पुष्पपुर' का अभिज्ञान पाटलिपुत्र से किया गया है। "गार्गी संहिता" के अंतर्गत 'युगपुराण' में कुसुमध्वज पर यवनों (ग्रीकों) के आक्रमण का उल्लेख है-

'तत: साकेतमाक्राम्य पांचालान् मथुरांस्तथा, यवना दुष्ठविक्रान्ता: प्राप्स्यन्ति कुसुमध्वज्। तत: पुष्पपुरे प्राप्ते कर्दमे प्रथिते हिते, आकुला विषया: सर्वे भविष्यन्ति न संशय:'[1]

  • उपर्युक्त उद्धरण में संभवत: भारत पर दूसरी शती ई. पू. में होने वाले मिनेंडर के आक्रमण का उल्लेख है।
  • गार्गी संहिता से भी ऐतिहासिक घटनाओं की जानकारी मिलती हैं, जिसमें भारत पर होने वाले यवन आक्रमणों के उल्लेख प्राप्त होते हैं।
  • इस ग्रन्थ यवनों के साकेत, पंचाल, मथुरा तथा कुसुमध्वज पर आक्रमण का उल्लेख प्राप्त होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 587 |

  1. कर्न–बृहत्संहिता, पृ. 37.

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