नेपोलियन बोनापार्ट

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:46, 29 January 2013 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "वफादार" to "वफ़ादार")
Jump to navigation Jump to search

thumb|नेपोलियन बोनापार्ट नेपोलियन बोनापार्ट (जन्म- 15 अगस्त, 1769; मृत्यु- 5 मई, 1821) एक फ़्राँसीसी सैन्य अधिकारी और राजनीतिक नेता था। वह फ़्राँसीसी क्रांति के बाद के चरणों के दौरान प्रमुखता से छाया रहा। वह क़रीब दशक तक पूरे पश्चिमी और मध्य यूरोप का स्वामी रहा। नेपोलियन ने अपने सफल अभियानों, कूटनीतिक चातुर्य, संधियों और वैवाहिक सम्बन्धों से यूरोप का नक्शा ही बदल दिया था। उसने फ़्राँस की जर्जर सेना को आधुनिक और शक्तिशाली सेना में परिवर्तित कर दिया था। फ़्राँस के मेधावी और वीर सपूतों को सम्मानित करने की परम्परा की शुरुआत उसने की थी। विश्व इतिहास में उसका हस्तक्षेप अनेक परवर्ती महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह बना।

जन्म तथा शिक्षा

नेपोलियन का जन्म कोर्सिका, फ़्राँस में 15 अगस्त, 1769 को भूमध्य सागर के प्रायद्वीप में हुआ था। उसने बीयेंन और पेरिस के सैन्य स्कूलों से शिक्षा प्राप्त की थी। मात्र 16 वर्ष की आयु में ही वह फ़्राँसीसी सेना में भर्ती हो गया था। तूलो पर ब्रिटेन के हमले के समय वह उनके बचाव के लिए आया और अंग्रेज़ों को खदेड़ने और वहाँ से मार भगाने में सफल रहा। राब्सपियरे के पतन के बाद नेपोलियन बंदी बना लिया गया था। वह गिलोटिन की भेंट चढ़ गया होता, लेकिन उसका कौशल व भाग्य तथा बारास व कार्नोट नामक डायरेक्टरों से उसका सम्पर्क इस मुश्किल समय में उसके काम आया।[1]

सफलताएँ

अपदस्थ सम्राट के वफ़ादारों को कुचलकर नेपोलियन डायरेक्टरों और साथ ही अपने सफल इटली अभियान से जनता की नजरों में चढ़ गया। 1799 से 1804 ई. तक वह प्रीमियर कौनसूल की हैसियत से फ़्राँस का शासक भी नियुक्त किया गया। 1804 से 1814 ई. तक तथा वर्ष 1815 ई. में सौ दिनों के लिए वह फ़्राँस का सम्राट और इटली का राजा रहा। अक्टूबर, 1813 में लाइपजिग में पराजय के पूर्व वह क़रीब एक दशक तक सम्पूर्ण पश्चिमी व मध्य यूरोप का स्वामी बना रहा था। नेपोलियन सम्पूर्ण यूरोप का एकछत्र शासक बनना चाहता था। उसने ब्रिटेन की महाद्वीपीय नाकेबंदी करने की भी कोशिश की और भारत पर अभियान करने के प्रयोजन से मिस्र पर आक्रमण किया और रूस-अभियान में मास्को तक धावा बोला। thumb|left|नेपोलियन बोनापार्ट

विवाह

नेपोलियन ने अपनी प्रथम पत्नी 'जोसेफ़िन' के निस्संतान रहने पर ऑस्ट्रिया के सम्राट की पुत्री 'मैरी लुईस' से दूसरा विवाह किया, जिससे उसे संतान प्राप्त हुई थी और पिता बन सका।

पराजय

अपने अनेक सफल अभियानों को पूरा करने के बाद महानायक नेपोलियन को ब्रिटिश सेनापति 'नेल्सन' से मात खानी पड़ी। 'वॉटरलू की लड़ाई', 1815 ई. में नेपोलियन की पराजय हुई। इस निर्णायक पराजय ने उसके विराट सपने को, जो उसने देखा था, सदा के लिए भंग कर दिया। पराजय के उपरांत नेपोलियन को बन्दी बना लिया गया और उसे 'सेन्ट हैलेना द्वीप' पर भेज दिया गया।

मृत्यु

नेपोलियन बोनापार्ट की मौत को लेकर तरह-तरह की बातें कही जाती हैं। अधिकांश इतिहासकार ये मानते हैं कि उसकी मौत पेट के कैंसर की वजह से हुई थी। 'वॉटरलू की लड़ाई' में हार जाने के बाद नेपोलियन को 1821 में 'सेन्ट हैलेना द्वीप' निर्वासित कर दिया गया था, जहाँ 52 साल की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई, लेकिन सन 2001 में फ़्राँसीसी विशेषज्ञों ने नेपोलियन के बाल का परीक्षण करके पाया कि उसमें 'आर्सनिक' नामक ज़हर था। यह माना जाता है कि संभवत सेन्ट हैलेना के तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर ने फ़्राँस के काउंट के साथ मिलकर नेपोलियन की हत्या की साज़िश रची थी। लेकिन अमरीकी वैज्ञानिकों ने बिल्कुल ही अलग व्याख्या की है, उन्होंने कहा कि नेपोलियन की बीमारी का जो उपचार किया गया था, उसी ने उसे मार दिया। नेपोलियन को नियमित रूप से 'पोटेशियम टार्ट्रेट' नामक ज़हरीला नमक दिया जाता था, जिससे वह उल्टी कर सके और ऐनिमा लगाया जाता था। इससे नेपोलियन के शरीर में पोटेशियम की कमी हो गई, जो कि ह्रदय के लिए घातक होती है। नेपोलियन को उसकी आंतों की सफ़ाई के लिए 600 मिलिग्राम मरक्यूरिक क्लोराइड दिया गया और दो दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो गई।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नेपोलियन बोनापार्ट (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 19 जुलाई, 2012।
  2. नेपोलियन की मृत्यु (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 19 जुलाई, 2012।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः