बख्शी ग्रन्थावली-5

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 04:06, 17 July 2013 by आशा चौधरी (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
बख्शी ग्रन्थावली-5
लेखक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
मूल शीर्षक बख्शी ग्रन्थावली
संपादक डॉ. नलिनी श्रीवास्तव
प्रकाशक वाणी प्रकाशन
ISBN 81-8143-514-01
देश भारत
भाषा हिंदी
विधा साहित्यिक, सांस्कृतिक निबन्ध

बख्शी ग्रन्थावली-5 हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की 'बख्शी ग्रन्थावली' का पाँचवा खण्ड है। इस खंड में इनके साहित्यिक, सांस्कृतिक निबन्ध कालजयी हैं। हिन्दी साहित्य में इन विषयों पर इसी प्रकार की ऊर्जा व आत्मीयता से युक्त रचनाएँ देखने को नहीं मिलतीं।

1903 में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने सरस्वती का सम्पादकीय कार्य प्रारम्भ किया था। हिन्दी साहित्य के नन्दनवन को बनाने में भारतेन्दु हरिश्चंद्र, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और अन्य प्रबुद्ध विद्वानों का अवदान व परिश्रम तथा जागरूक बुद्धिमत्ता का ही प्रतिफल है। उसी साहित्यिक नन्दनवन में द्विवेदी जी के स्नेह संरक्षण व कुशल मार्ग निर्देशन में बख्शी रूपी कल्पतरु का भी विकास हुआ जिनकी रचनाओं के सौरभ से हिन्दी साहित्य की मंजूषा सुरभित हुए बिना न रह सकी। यही कारण है कि बख्शी जी आचार्य द्विवेदी जी के उत्तराधिकारी माने जाते हैं। बख्शी जी ने अपनी साहित्यिक कृतियों का संस्थापन किया है। 'विश्व-साहित्य', 'हिन्दी साहित्य विमर्श', 'हिन्दी कथा-साहित्य','पचतंत्र', 'नवरात्र', 'समस्या और समाधान' , 'प्रदीप' आदि में इनके साहित्यिक निबन्धों की विशिष्ट मीमांसा है। बख्शी जी के निबन्धों में जीवन की छोटी-बड़ी अनेक घटनाओं के प्रसंग अतीत की स्मृति का सरस लेखा-जोखा करते हैं। इनके निबन्धों में विधवा-समस्या, गृह-जीवन में असंतोष आदि निबन्ध जीवन की सच्चाइयों को सरलता से प्रतिबिम्बित करते हैं। 'समाज सेवा' इनका प्रसिद्ध निबन्ध है। [1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्रीवास्तव, डॉ. नलिनी। सम्पूर्ण बख्शी ग्रन्थावली आठ खण्डों में (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) वाणी प्रकाशन (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर, 2012।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः