पानीपत युद्ध
उत्तर भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण तीन युद्ध दिल्ली से 80 किमी॰ उत्तर में स्थित पानीपत के घुड़सवारों के अनुकूल समतल मैदान में लड़े गए थे। जो इस प्रकार है:-
- पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल, 1526 ई0),
- पानीपत का द्वितीय युद्ध (5 नवम्बर, 1556),
- पानीपत का तृतीय युद्ध ()।
पानीपत का प्रथम युद्ध
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यह पानीपत का प्रथम युद्ध था। यह युद्ध सम्भवतः बाबर की महत्वाकांक्षी योजनाओं की अभिव्यक्ति थी। यह युद्ध दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोदी (अफ़ग़ान) एवं बाबर के मध्य लड़ा गया। 12 अप्रैल, 1526 ई0 को दोनों सेनायें पानीपत के मैदान में आमने-सामने हुईं पर दोनों मध्य युद्ध का आरम्भ 21 अप्रैल को हुआ। ऐसा माना जाता है कि इस युद्ध का निर्णय दोपहर तक ही हो गया। युद्ध में इब्राहीम लोदी बुरी तरह से परास्त हुआ।
पानीपत का द्वितीय युद्ध
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पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवम्बर, 1556 ई0 को अफ़ग़ान बादशाह आदिलशाह सूर के योग्य हिन्दू सेनापति और मंत्री हेमू और अकबर के बीच हुई, जिसने अपने पिता हुमायूँ से दिल्ली से तख़्त पाया था। हेमू के पास अकबर से कहीं अधिक बड़ी सेना तथा 1,500 हाथी थे।
पानीपत का तृतीय युद्ध
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