ब्रह्मपुत्र घाटी

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ब्रह्मपुत्र घाटी
विवरण ब्रह्मपुत्र नदी घाटी असम के पूर्वोत्तर सिरे पर सादिया के पास प्रवेश करती है, फिर पश्चिम में पूरे असम में लगभग 724 किमी. लंबे मार्ग में प्रवाहित होकर दक्षिण की ओर मुड़कर बांग्लादेश के मैदानी इलाक़ों में चली जाती है।
देश भारत
राज्य असम
जलवायु ब्रह्मपुत्र घाटी की जलवायु तिब्बत में पाई जाने वाली रूखी ठंडी और शुष्क परिस्थितियों से असम घाटी और बांग्लादेश में पाई जाने वाली आमतौर पर गर्म और आर्द्र परिस्थितियों तक विविध है।
अन्य जानकारी ब्रह्मपुत्र नदी घाटी, छोटी एकल पहाड़ियों और मैदानी इलाक़ों में अचानक उठते शिखरों, जिनकी चौड़ाई 80 किमी. से ज़्यादा नहीं है, से भरी हुई है।

ब्रह्मपुत्र घाटी असम का प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र है। यह ब्रह्मपुत्र नदी असम के पूर्वोत्तर सिरे पर सादिया के पास प्रवेश करती है, फिर पश्चिम में पूरे असम में लगभग 724 किमी. लंबे मार्ग में प्रवाहित होकर दक्षिण की ओर मुड़कर बांग्लादेश के मैदानी इलाक़ों में चली जाती है। ब्रह्मपुत्र नदी घाटी, छोटी एकल पहाड़ियों और मैदानी इलाक़ों में अचानक उठते शिखरों, जिनकी चौड़ाई 80 किमी. से ज़्यादा नहीं है, से भरी हुई है। पश्चिम दिशा को छोड़कर बाक़ी सभी दिशाओं में यह पर्वतों से घिरी हुई है। पड़ोस की पहाड़ियों से निकली कई जलधाराओं एवं उपनदियों का जल इसमें समाहित होता है। असम घाटी को दो उप भागों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. ऊपरी असम घाटी
  2. निचली असम घाटी
  • इस विभाजन का निर्धारण 94 अंश पूर्वी देशांतर के आधार पर किया गया है।
  • ऊपरी असम घाटी में लखीमपुर, डिब्रूगढ़, जोरहाट, सिंबसागर ज़िले और दरांग ज़िले की तेलपुर तहसील शामिल है। दक्षिणी एवं दक्षिण पूर्वी सीमाओं की निम्न पहाड़ी श्रेणियों के अतिरिक्त यह एक एकाकी मैदान है।
  • निचली असम घाटी के अंतर्गत नगांव, धुबरी, ग्वालपाड़ा, बारपेटा, कामरूप, नालबाड़ी, कोकराझार ज़िले तथा दरांग ज़िले का कुछ हिस्सा आते हैं। इसकी भू-आकृति एकरूप नहीं है क्योंकि इसमें मेघालय पठार के पर्वत स्कंधों (spurs) का अंतमेदन है।
  • ब्रह्मपुत्र के दायें किनारे की सहायक नदियाँ यहाँ जालीनुमा (trellis) अपवाह और बायें किनारे की नदियाँ पादपाकार (dendritic) अपवाह प्रतिरूपों का निर्माण करती हैं।
  • निचली ब्रह्मपुत्र घाटी के उत्तरी भागों में अनेक दलदलीय क्षेत्र विद्यमान हैं।
  • ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में उपजाऊ जलोढ़ मैदान हैं, जो चावल और पटसन की खेती के लिए उपयुक्त हैं।
  • यह चाय की खेती और अपने काजीरंगा और मानस राष्ट्रीय उद्यानों के लिए प्रसिद्ध है।


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