साका

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:01, 21 January 2017 by रिंकू बघेल (talk | contribs) (''''साका''' राजस्थान की एक प्रसिद्ध प्रथा है, जिसमें म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

साका राजस्थान की एक प्रसिद्ध प्रथा है, जिसमें महिलाओं को जौहर की ज्वाला में कूदने का निश्चय करते देख पुरुष केशरिया वस्त्र धारण कर मरने मारने के निश्चय के साथ दुश्मन सेना पर टूट पड़ते थे।

अर्द्ध साका- ऐसा साका जिसमें वीरों के द्वारा केसरिया वस्त्र पहने जाएं किन्तु जौहर न हो सके, अर्ध साका कहा जाता है। जैसलमेर में लूणकरण के शासन काल में एक अर्द्ध साका हुआ था।

राजस्थान में बहुत-से साके हुए जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  • चित्तौड़गढ़ के साके- चित्तौड़ में सर्वाधिक तीन साके हुए थे-
  1. प्रथम साका- यह सन 1303 में राणा रतन सिंह के शासनकाल में अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ पर आक्रमण के समय हुआ था। इसमें रानी पद्मनी सहित स्त्रियों ने जौहर किया था।
  2. द्वितीय साका- यह 1534 ईस्वी में राणा विक्रमादित्य के शासनकाल में गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह के आक्रमण के समय हुआ था। इसमें रानी कर्मवती के नेतृत्व में स्त्रियों ने जौहर किया था।
  3. तृतीय साका- यह 1567 में राणा उदयसिंह के शासनकाल में अकबर के आक्रमण के समय हुआ था जिसमें जयमल और पत्ता के नेतृत्व में चित्तौड़ की सेना ने मुगल सेना का जमकर मुकाबला किया और स्त्रियों ने जौहर किया था।
  • जैसलमेर के ढाई साके- जैसलमेर में कुल ढाई साके हुए थे-
  1. प्रथम साका- यह अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय हुआ था।
  2. द्वितीय साका- यह फिरोजशाह तुगलक के आक्रमण के समय हुआ।
  3. तृतीय साका (अर्ध साका)- यह लूणकरण के शासन काल में कंधार के शासक अमीर अली के आक्रमण के समय हुआ था।
  • गागरोण के क़िले के साके- गागरोण के किले में सो साके हुए थे-
  1. प्रथम साका- 1423 ई. में जब वहां के अतुल पराक्रमी शासक अचलदास खींची के शासनकाल में मांडू के सुल्तान अलपखां (होशंगशाह) गोरी ने आक्रमण किया। भीषण संग्राम के दौरान अचलदास ने अपने बंधु-बांधवों और योद्धाओं के साथ वीरगति प्राप्त की। जबकि रानियों व दुर्ग की अन्य ललनाओं ने अपने को जौहर की ज्वाला में होम कर दिया।
  2. दूसरा साका- गागरोण का दूसरा साका 1444 ई. में हुआ। जब मांडू के सुल्तान महमूद खिलजी ने विशाल सेना के साथ इस दुर्ग पर आक्रमण किया।
  • रणथंभौर का साका- यह सन 1301 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के ऐतिहासिक आक्रमण के समय हुआ था। इसमें हम्मीर देव चौहान विश्वासघात के परिणामस्वरूप वीरगति को प्राप्त हुआ तथा उसकी पत्नी रंगादेवी ने जौहर किया था। इसे राजस्थान के गौरवशाली इतिहास का प्रथम साका माना जाता है।
  • जालौर का साका- कान्हड़देव के शासनकाल में 1311 ई.-1312 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय हुआ था।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी व संदर्भ

  1. साका (हिन्दी) rajasthanstudy.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 21 जनवरी, 2017।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः