दीप जोशी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:18, 12 April 2018 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - " गरीब" to " ग़रीब")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
दीप जोशी
पूरा नाम दीप जोशी
जन्म 1947
जन्म भूमि पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र समाज सेवा
पुरस्कार-उपाधि 'रेमन मैग्सेसे पुरस्कार' (2009)
प्रसिद्धि सामाजिक कार्यकर्ता
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी दीप जोशी ने सिस्टम्स रिसर्च इंस्टीट्यूट और फोर्ड फाउंडेशन के साथ काम किया है तथा ग्रामीण विकास व आजीविका प्रोत्साहन में करीब 30 वर्ष का अनुभव है। वे सरकार को ग़रीबी उन्मूलन रणनीति में भी सलाह देते हैं।
अद्यतन‎ 02:52, 13 नवम्बर-2016 (IST)

दीप जोशी (अंग्रेज़ी: Deep Joshi, जन्म- 1947, पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड) भारत के जानेमाने सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्हें वर्ष 2009 का 'रेमन मैग्सेसे पुरस्कार' प्रदान करके सम्मानित किया गया है। दीप जोशी को स्वयंसेवी संगठनों में प्रोफ़ेशनलिज़्म लाने और नेतृत्व क्षमता के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।

परिचय

दीप जोशी का जन्म 1947 में उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ में पुरियाग नामक स्थान पर हुआ था। वे "प्रोफेशनल असिस्टेंस फॉर डेवलपमेंट एक्शन" (प्रदान) नामक अशासकीय संस्था के सह-संस्थापक हैं। फिलहाल वे ग्रामीण ग़रीबों के लिए कार्यरत तथा स्व सहायता समूहों को आगे बढ़ाने में जुटे एनजीओ के स्वतंत्र सलाहकार हैं। वे मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) तथा स्लोन स्कूल, एमआईटी से मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री हासिल कर चुके हैं। उन्होंने सिस्टम्स रिसर्च इंस्टीट्यूट और फोर्ड फाउंडेशन के साथ काम किया है तथा ग्रामीण विकास व आजीविका प्रोत्साहन में करीब 30 वर्ष का अनुभव है। वे सरकार को ग़रीबी उन्मूलन रणनीति में भी सलाह देते हैं।

संस्था 'प्रदान'

दीप जोशी एक ऐसे बदलाव का नाम है, जिन्होंने 3 दशक पूर्व सामाजिक संस्थाओं के कार्य स्वरूप को ही बदल डाला। देश भर में कार्य कर रहे अधिकाश स्वयंसेवी संगठन ग्रामीण विकास और ग़रीबी उन्मूलन जैसे पहलू की ओर ध्यान नहीं दे पा रहे थे। दीप जोशी ही एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने एनजीओ को इस दिशा में सरकार के साथ मिलकर काम करने की दिशा में जोड़ा। भलोना में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के लिए 62 वर्षीय दीप जोशी के नाम की घोषणा हुई तो 'प्रदान' जैसी संस्थाओं की ओर लोगों की नजरें गईं और उनके कार्यों को नजदीक से देखने की ललक भी लोगों में बढ़ी है। प्रदेश ही नहीं देश भर में एनजीओ को नई परिभाषा देने वाले 'प्रदान', जिसे असिस्टेंस फॉर डेवलपमेंट एक्शन के नाम से भी जाना जाता है कि नींव 1983 में दीप जोशी ने विजय माहजन के साथ मिलकर कर रखी। होशंगाबाद ज़िले के आदिवासी बाहूल्य केसला और बैतूल ज़िले के शाहपुर ब्लाक में कार्य कर रहे 'प्रदान' ने दीप जोशी के मार्गदर्शन में ग्रामीण विकास के साथ ग़रीब उन्मूलन पर अपना प्रोजेक्ट केंद्र व राज्य सरकार के साथ मिलकर शुरू किया। मशरूम की खेती और कुक्कुट पालन के जरिए गांवों और उनमें रहने वाले लोगों की दशाा और दिशा बदलने का कार्य जो शुरू हुआ है, वे आज भी निरंतर जारी है।

समाजसेवा

प्रतिष्ठित मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित किए जा रहे दीप जोशी दो वर्ष पूर्व 'प्रदान' से भले ही रिटायर्ड हो गए हैं, किन्तु एक मार्गदर्शक के रूप में वे हमेशा ही उपलब्ध हैं। ढाई माह पहले ही वे बैतूल ज़िले में शाहपुर ब्लाक के टिमरनी गांव में 3 दिन रूके। उन्होंने वहां 'प्रदान' के सहयोगियों और ग्रामिणों के साथ एनआईजी वाटर शेड प्रोग्राम के प्रोजेक्ट और कार्यप्रणाली पर विचार विमर्श किया। डेढ़ माह पहले भी वे सुकतवा ग्राम में प्रदान परिसर में डेवलपमेंट एप्रेटिसशीप में शामिल युवकों को अंतिम मार्गदर्शन दिया। दीप जी के साथ सहायक के रूप में काम कर चुके सामाजिक कार्यकर्ता अमजद बताते हैं कि जिस प्रकार कल कारखाने स्थापित करने के लिए एक कुशल इंजीनियर की ज़रूरत होती है, उसी तरह एनजीओ को बेहतर ढंग से कार्य करने के लिए एक कुशल मार्गदर्शक और सलाहकार की ज़रूरत है। और इस ज़रूरत को पूरा करने वाला नाम ही दीप जोशी है। एमआईटी से इंजीनियरिंग की स्नातकोत्तर उपाधि और हावर्ड यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट की स्नातकोत्तर उपाधि लेने के बाद दीप जी किसी भी बड़े विदेशी या देशी संस्थान में सेवा दे सकते थे, किन्तु उन्होंने ऐसा नही किया; बल्कि उन्होंने ग़रीबी उन्मूलन के कार्य को चुना और वे देश में कार्यरत एनजीओ की कार्यप्रणाली में आश्चर्यजनक बदलाव के जनक बन गए। उन्होंने पहली बार साबित किया कि समाजसेवा के कार्य में भी विशेषज्ञों और विधानों की मस्तिष्क की ज़रूरत है।

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

जब 3 जुलाई को मनीला में मैग्सेसे अवॉर्ड की घोषणा हुई तो सुकतवा के प्रदान परिसर में खुशियों का माहौल था। 'प्रदान' में कुछ नए कार्यकर्ता इतनी बड़ी उपलब्धि से असहज प्रतीत हो रहे थे। दीप को एसएमएस और ईमेल के जरिए प्राय: सभी ने बधाई दी, तो उनके साथ कदम ताल करते हुए काम कर चुके कुछ सीनियर कार्यकर्ताओं ने टेलीफोन पर बातचीत भी की। एक अन्य कार्यकर्ता ने बताया कि दीप जी जब भी सुकतवा आते हैं, पूरी 'प्रदान' टीम के प्रति बड़े ही सहज होते हैं। वहां के लोगों के हाथ की बनी रोटी सब्जी खाते हैं। मिनरल वाटर से वे हमेशा ही दूर रहते हैं और स्थानीय स्तर का स्वच्छ जल ही पीते है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः