खुदाबख़्श पुस्तकालय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:49, 15 April 2018 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''खुदाबख़्श ओरिएण्‍टल पब्लिक लाईब्रेरी''' पटना, ब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

खुदाबख़्श ओरिएण्‍टल पब्लिक लाईब्रेरी पटना, बिहार में स्थित है। यह भारत के सबसे प्राचीन पुस्तकालयों में से एक है। संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन यह एक स्‍वायत्‍त निकाय है, जो लगभग 21,000 प्राच्य पांडुलिपियों और 2.5 लाख मुद्रित पुस्‍तकों का अद्वितीय संग्रह है। यद्यपि इसकी स्‍थापना पहले की गई थी, किंतु इसे जनता के लिए सन 1891 में खोला गया। 1969 में एक संसदीय अधिनियम के अंतर्गत इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया।

स्थापना

खुदाबख़्श ओरिएण्‍टल पब्लिक लाइब्रेरी पटना में, गंगा के घाट के निकट अवस्थित है। यद्यपि इसकी स्‍थापना पहले की गई थी, किंतु इसे अक्‍तूबर, 1891 में बिहार के प्रसिद्ध सपूत ख़ान बहादुर खुदाबख़्श द्वारा जनता के लिए खोला गया। इसमें 4000 पांडुलिपियां थीं, जिनमें से 1400 उन्‍होंने अपने पिता से विरासत में प्राप्‍त किया। खुदाबख़्श ने अपना समस्‍त निजी संग्रह एक न्‍यास विलेख के माध्‍यम से पटना जनता को सौंप दिया था। इसके समृद्ध और मूल्‍यवान संग्रह के असीम ऐतिहासिक और बौद्धिक मूल्‍य को पहचानते हुए, भारत सरकार ने इस पुस्‍तकालय को सन 1969 में एक संसद अधिनियम के माध्‍यम से राष्‍ट्रीय महत्‍व का संस्‍थान घोषित किया। स्‍वायत्‍त संस्‍थान के रूप में स्‍थापित यह पुस्‍तकालय संस्‍कृति मंत्रालय द्वारा पूर्णत: वित्‍त पोषित है।

अद्वितीय कोष

यह पुस्‍तकालय पूर्व विरासत का एक अद्वितीय कोष है, जिसे काग़ज़, ताड़-पत्र, मृग चर्म, कपड़े और विविध सामग्रियों पर लिखित पांडुलिपियों के रूप में परिरक्षित किया गया है। साथ ही इसका स्‍वरूप आधुनिक है, जिसमें कुछेक जर्मन, फ्रेंच, पंजाबी, जापानी व रूसी पुस्‍तकों के अलावा अरबी, फ़ारसी, उर्दू, अंग्रेज़ी और हिंदी में मुद्रित पुस्‍तकें भी रखी गई हैं। यह पुस्‍तकालय प्राच्‍य अध्‍ययनों में एक अनुसंधान केन्‍द्र के रूप में तथा छात्रों, युवाओं और वरिष्‍ठ नागरिकों की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए कए सार्वजनिक पुस्‍तकालय के रूप में कार्य करते हुए दोहरी भूमिका निभाता है। अब यह डिजिटल पुस्‍तकालय के रूप में विकसित हो रहा है, जिसमें पुस्‍तकालय के भीतर डिजिटल प्रारूप में उपलब्‍ध 2000 से अधिक पांडुलिपियां मौजूद हैं। पुस्‍तकालय लैन तथा इंटरनेट कनेक्‍शन सहित ई-मेल सुविधाओं से लैस है।

पठन कक्ष

पुस्तकालय के पास दो पठन कक्ष हैं, एक कक्ष अनुसंधानकर्त्‍ताओं और स्‍कॉलरों के लिए है जबकि दूसरा कक्ष अनियमित पाठकों के लिए है। पुस्‍तकालय में विश्‍व के सभी स्‍कॉलरों, अनुसंधानकर्ताओं तथा पाठकों का स्‍वागत है और उनकी आवश्‍यकताओं पर ध्‍यान दिया जाता है। स्‍कॉलरों को सन्‍दर्भ सेवाएं भी फैक्‍स, फोन तथा ई-मेल के जरिए भी उपलब्‍ध करायी जाती है। भारत में तथा विदेश में स्‍कॉलरों को माइक्रोफिल्‍म, जेरोक्‍स, फोटोग्राफ आदि की सप्लाई के माध्‍यम से सेवाएं प्रदान की जाती हैं जो इस पुस्‍तकालय की मुख्‍य विशेषता है। लॉर्ड कर्ज़न के नाम से रखा गया कर्ज़न पठन कक्ष सभी के लिए खुला रहता है। कई समाचार पत्र, पत्रिकाएं, अंग्रेज़ी, उर्दू तथा हिन्‍दी में उपलब्‍ध हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु सन्‍दर्भ पुस्‍तकें और पुस्‍तकें पठन कक्ष में उपलब्‍ध हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः