दिल्ली हाट

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thumb|250px|दिल्ली हाट, दिल्ली
Dilli Haat, Delhi
दिल्ली एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। दिल्‍ली हाट एम्‍स से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। यहाँ पर आकर संपूर्ण भारत के एक साथ दर्शन हो जाते हैं। यहाँ पर भारत के विभिन्‍न प्रांतों के हस्‍तशिल्‍प को प्रदर्शित करती दुकानें हैं। दक्षिण भारतीय व्‍यंजन से लेकर सुदूर उत्‍तर पूर्व के खाने की दुकानें भी यहाँ मिल जाती हैं। यहाँ समय-समय पर सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। यहाँ आप नृत्‍य और संगीत का भी आनंद उठा सकते हैं।

स्थापना

28 मार्च, 1994 को दिल्ली हाट की शुरुआत हुई थी। दिल्ली हाट की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यह था कि बिचैलियों को हटाकर दस्तकारों को उनके उत्पाद का सीधा लाभ दिया जाए। दस्तकारों की माली हालत सुधारने के लिहाज़ से देश के कपड़ा मंत्रालय ने यह निर्णय लिया था। यहाँ देश के विभिन्न राज्यों के खान-पान को भी एक स्थान पर मुहैया कराने की पहल की गई है। अपने प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों के व्यंजनों से भी लोग परिचित हों। दिल्ली हाट की पहचान ही यहाँ मिलने वाले खादी देशी उत्पादों और खाने वाले विविध व्यंजनों से बनी है। यहाँ आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी लोगों को आकर्षित करते रहे हैं। ‘दिल्ली हाट’ का बढ़ता आकर्षण यह है कि यहाँ देशी ग्राहकों के साथ-साथ विदेशी ग्राहक भी ख़रीदारी करते दिखते हैं।

ख़रीददारी

दिल्‍ली हाट दक्षिणी दिल्ली में किदवई नगर में आईएनए बाज़ार के सामने स्थित है, दिल्ली हाट कुल छह एकड़ में फैला है। यहाँ देश के हस्तशिल्पियों की शिल्पकारी को देखना एक सुखद अनुभूति है। हथकरघा के कपड़े भी यहाँ उपलब्ध हैं। दिल्ली हाट में कुल 201 दुकानें हैं। बनारसी सिल्क साड़ी, मधुबनी पेंटिंग जैसी कई क्षेत्रीय चीज़ें यहाँ उपलब्ध हैं। यहाँ पश्चिम बंगाल की कांथा साड़ियाँ भी मिलती जाती है। यहाँ राजस्थान के पारंपरिक पोशाक की खोज भी पूरी हो जाती है। कहा जा सकता है कि इंसान चाहे कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाएं पर जो लगाव देशी वस्तुओं से होता है वो बाहर की चीज़ों में कहाँ मिलता है। यहाँ ख़रीदे गए सामानों की बेहतर गुणवत्ता का कारण यह है कि स्थानीय उत्पादक खुद आकर माल बेचते हैं।

कपड़ों के अलावा हाथ से बनी अन्य चीज़ें भी दिल्ली हाट में उपलब्ध हैं। दिल्ली हाट में बांस से बनाई गई चीज़ों की महत्ता प्रत्यक्ष दिखती है। कुर्सी, मेज से लेकर अनेकों वस्तुएँ उपलब्ध हैं जिनका आधुनिक जीवनशैली में प्रयोग हो रहा है। जैसे- बांस का बना छोटा गमला।

खानपान

दिल्ली हाट में मिलने वाले स्वादिष्ट व्यंजन 'दिल्ली हाट' को ख़ास बनाते हैं। भारत के विभिन्न प्रांतों के व्यंजन की दुकानें यहाँ लगी हैं। 1994 में जब दिल्ली हाट की शुरुआत हुई थी तब देश के सभी पच्चीस राज्यों को यहाँ व्यंजन की दुकानें उपलब्ध करायी गई थीं ताकि यहाँ आने वाले लोग दूसरे प्रांतों के व्यंजनों का भी स्वाद ले सकें। भौगोलिक रूप से विविधताओं का देश तो हिन्दुस्तान है ही यहाँ के खान-पान में भी काफ़ी विविधता है।

दिल्ली हाट में देश के सौ से ज़्यादा ख़ास व्यंजन उपलब्ध हैं। पंजाब के ‘मक्के दी रोटी सरसों दा साग’ हो, बंगाल के ‘माछेर-झोल’ और दक्षिण भारत के ‘इडली डोसा’ हो यहाँ सभी उपलब्ध हैं। यहाँ बिहार के मशहूर लिट्टी-चोखा भी मिलता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

दिल्‍ली हाट में पूरी साल तरह-तरह सांस्कृतिक कार्यक्रम चलते रहते हैं। किसी राज्य विशेष की थीम पर भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन होता है। दिल्ली हाट का होना सभी राज्यों की संस्कृतियों का मिलन होना है। दिल्‍ली हाट में ख़ास त्योहारों के मौके पर उसी तरह के माहौल और कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ने की भी कोशिश रहती है।


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