Difference between revisions of "इल्तुतमिश"

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इल्तुतमिश [[दिल्ली]] का सुल्तान (1211-36 ई0) था। आरम्भ में वह दिल्ली के पहले सुल्तान [[कुतुबुद्दीन ऐबक]] का ग़ुलाम था। योग्यता के कारण वह मालिक का प्यारा बन गया। उसने उसे ग़ुलामी से मुक्त कर दिया और अपनी लड़की की शादी करके उसे [[बदायूं]] का हाकिम बना दिया। कुतुबुद्दीन कि मृत्यु के एक साल बाद वह उसके उत्तराधिकारी आराम को हराने के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठा। इल्तुतमिश बहुत ही योग्य शासक सिद्ध हुआ। उसने असंतुष्ट मुसलमान सरदारों की बगावत कुचल दी। उसने अपने तीन शक्तिशाली प्रतिद्वन्द्वियों—[[पंजाब]] के एलदोज, [[सिंध]] के कुबाचा तथा [[बंगाल]] के अली मर्दान ख़ाँ को भी पराजित किया। उसने [[रणथंभौर]] और [[ग्वालियर]] को हिन्दूओं से छीन लिया। सुल्तान आराम के निर्बल शासनकाल में हिन्दूओं ने इन दोनों स्थानों को फिरे से जीत लिया था। उसने [[भिलता]] और [[उज्जैन]] सहित [[मालवा]] को भी जीत लिया। उसके शासन काल में मंगोलो खूंखार नेता [[चंगेज ख़ाँ]] खीवा के शाह जलालुद्दीन का पीछा करता हुआ [[भारत]] की सीमाओं तक आ पहुँचा और उसने भारत पर हमला करने की धमकी दी। इल्तुतमिश ने विनम्र रीति से भगोड़े शाह जलालुद्दीन को शरण देने से इन्कार करके इस आफत से पीछा छुड़ाया। इल्तुतमिश को बगदाद के ख़लीफ़ा से खिलअत प्राप्त हुई थी। इससे दिल्ली की सल्तनत पर उसके अधिकार की धार्मिक पुष्टि हो गयी। उसने चाँदी के सिक्के ढालने की अच्छी व्यवस्था की जो बाद के सुल्तानों के लिए आदर्श सिद्ध हुई। उसने 1232 ई0 में मुस्लिम संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन के सम्मान में प्रसिद्ध [[कुतुबमीनार]] का निर्माण कराया। एक साहसी योद्धा और योग्य प्रशासक के रूप में इल्तुतमिश को दिल्ली के प्रारम्भिक सुल्तानों में सबसे महान कहा जा सकता है।
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इल्तुतमिश [[दिल्ली]] का सुल्तान (1211-36 ई0) था। आरम्भ में वह दिल्ली के पहले सुल्तान [[कुतुबुद्दीन ऐबक]] का ग़ुलाम था। योग्यता के कारण वह मालिक का प्यारा बन गया। उसने उसे ग़ुलामी से मुक्त कर दिया और अपनी लड़की की शादी करके उसे [[बदायूं]] का हाकिम बना दिया। कुतुबुद्दीन कि मृत्यु के एक साल बाद वह उसके उत्तराधिकारी आराम को हराने के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठा। इल्तुतमिश बहुत ही योग्य शासक सिद्ध हुआ। उसने असंतुष्ट मुसलमान सरदारों की बगावत कुचल दी। उसने अपने तीन शक्तिशाली प्रतिद्वन्द्वियों—[[पंजाब]] के एलदोज, [[सिंध]] के कुबाचा तथा [[बंगाल]] के अली मर्दान ख़ाँ को भी पराजित किया। उसने [[रणथंभौर]] और [[ग्वालियर]] को हिन्दूओं से छीन लिया। सुल्तान आराम के निर्बल शासनकाल में हिन्दूओं ने इन दोनों स्थानों को फिरे से जीत लिया था। उसने [[भिलता]] और [[उज्जैन]] सहित [[मालवा]] को भी जीत लिया। उसके शासन काल में मंगोलो खूंखार नेता [[चंगेज़ ख़ाँ]] खीवा के शाह जलालुद्दीन का पीछा करता हुआ [[भारत]] की सीमाओं तक आ पहुँचा और उसने भारत पर हमला करने की धमकी दी। इल्तुतमिश ने विनम्र रीति से भगोड़े शाह जलालुद्दीन को शरण देने से इन्कार करके इस आफत से पीछा छुड़ाया। इल्तुतमिश को बगदाद के ख़लीफ़ा से खिलअत प्राप्त हुई थी। इससे दिल्ली की सल्तनत पर उसके अधिकार की धार्मिक पुष्टि हो गयी। उसने चाँदी के सिक्के ढालने की अच्छी व्यवस्था की जो बाद के सुल्तानों के लिए आदर्श सिद्ध हुई। उसने 1232 ई0 में मुस्लिम संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन के सम्मान में प्रसिद्ध [[कुतुबमीनार]] का निर्माण कराया। एक साहसी योद्धा और योग्य प्रशासक के रूप में इल्तुतमिश को दिल्ली के प्रारम्भिक सुल्तानों में सबसे महान कहा जा सकता है।
 
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Revision as of 08:47, 21 May 2010

iltutamish dilli ka sultan (1211-36 ee0) tha. arambh mean vah dilli ke pahale sultan kutubuddin aibak ka gulam tha. yogyata ke karan vah malik ka pyara ban gaya. usane use gulami se mukt kar diya aur apani l daki ki shadi karake use badayooan ka hakim bana diya. kutubuddin ki mrityu ke ek sal bad vah usake uttaradhikari aram ko harane ke bad dilli ki gaddi par baitha. iltutamish bahut hi yogy shasak siddh hua. usane asantusht musalaman saradaroan ki bagavat kuchal di. usane apane tin shaktishali pratidvandviyoan—panjab ke eladoj, siandh ke kubacha tatha bangal ke ali mardan khaan ko bhi parajit kiya. usane ranathanbhaur aur gvaliyar ko hindoooan se chhin liya. sultan aram ke nirbal shasanakal mean hindoooan ne in donoan sthanoan ko phire se jit liya tha. usane bhilata aur ujjain sahit malava ko bhi jit liya. usake shasan kal mean mangolo khooankhar neta changez khaan khiva ke shah jalaluddin ka pichha karata hua bharat ki simaoan tak a pahuancha aur usane bharat par hamala karane ki dhamaki di. iltutamish ne vinamr riti se bhago de shah jalaluddin ko sharan dene se inkar karake is aphat se pichha chhu daya. iltutamish ko bagadad ke khalifa se khilat prapt huee thi. isase dilli ki saltanat par usake adhikar ki dharmik pushti ho gayi. usane chaandi ke sikke dhalane ki achchhi vyavastha ki jo bad ke sultanoan ke lie adarsh siddh huee. usane 1232 ee0 mean muslim sant khvaja kutubuddin ke samman mean prasiddh kutubaminar ka nirman karaya. ek sahasi yoddha aur yogy prashasak ke roop mean iltutamish ko dilli ke prarambhik sultanoan mean sabase mahan kaha ja sakata hai.