Difference between revisions of "कंचनपल्ली"

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*कंचनपल्ली [[पश्चिम बंगाल]] राज्य के [[नादिया ज़िला|नादिया ज़िले]] में स्थित है।  
कंचनपल्ली [[पश्चिम बंगाल]] राज्य के नादिया ज़िले में स्थित है। [[कल्याणी कर्नाटक|कल्याणी]] से कई मील दूर [[चैतन्य महाप्रभु]] के भक्त तथा उनके समकालीन सेन शिवानंद<ref>(जिन्हें चैतन्य ने कविकर्णपूर की उपाधि दी थी)</ref> का निवास स्थान है। कहते हैं चैतन्य इस स्थान पर शिवानंद से मिलने आए थे। शिवानंद तीन प्रसिद्ध ग्रंथों के लेखक थे- चैतन्यचरितामृतकाव्य, चैतन्य-चंद्रोदय नाटक और गौरांगोद्देश्य दोपिका। इन्हीं के प्रभाव से 15वीं शती में कंचनपल्ली में [[वैष्णव]] [[साहित्य]] का प्रसिद्ध केन्द्र बन गया था। जनश्रुति के अनुसार कंचनपल्ली का मूलनाम नरहट्टग्राम था। कंचनपल्ली [[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] के ख्यातनामा विद्वान नीमचंद्र शिरोमणि और [[तुलसीदास|तुलसी]]-[[रामायण]] के [[बंगाली भाषा|बंगाली]] अनुवादक हरिमोहन गुप्त का भी जन्मस्थान है।  
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*[[कल्याणी कर्नाटक|कल्याणी]] से कई मील दूर [[चैतन्य महाप्रभु]] के [[भक्त]] तथा उनके समकालीन '''सेन शिवानंद'''<ref>जिन्हें चैतन्य ने कविकर्णपूर की उपाधि दी थी</ref> का निवास स्थान है।  
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*कहते हैं चैतन्य इस स्थान पर शिवानंद से मिलने आए थे।  
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*शिवानंद तीन प्रसिद्ध [[ग्रंथ|ग्रंथों]] के लेखक थे- [[चैतन्यचरितामृत|चैतन्यचरितामृतकाव्य]], '''चैतन्य-चंद्रोदय नाटक''' और '''गौरांगोद्देश्य दीपिका'''।
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*इन्हीं के प्रभाव से 15वीं [[शती]] में कंचनपल्ली [[वैष्णव]] [[साहित्य]] का प्रसिद्ध केन्द्र बन गया था।  
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*जनश्रुति के अनुसार कंचनपल्ली का मूलनाम '''नरहट्टग्राम''' था।  
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*कंचनपल्ली [[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] के ख्यातिनामा विद्वान् '''नीमचंद्र शिरोमणि''' और [[तुलसीदास|तुलसी]]-[[रामायण]] के [[बंगाली भाषा|बंगाली]] अनुवादक ह'''रिमोहन गुप्त''' का भी जन्मस्थान है।  
  
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 121| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
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{{पश्चिम बंगाल के ऐतिहासिक स्थान}}
[[Category:नया पन्ना]]
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Latest revision as of 12:08, 22 May 2018

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tika tippani aur sandarbh

  • aitihasik sthanavali | prishth sankhya= 121| vijayendr kumar mathur | vaijnanik tatha takaniki shabdavali ayog | manav sansadhan vikas mantralay, bharat sarakar


  1. jinhean chaitany ne kavikarnapoor ki upadhi di thi

bahari k diyaan

sanbandhit lekh