Difference between revisions of "द्वितीया"

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*यह [[चंद्र ग्रह|चन्द्रमा]] की दूसरी तिथि और कला है। [[शुक्ल पक्ष]] में [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] और चन्द्रमा का अन्तर 13अंश से 24 अंश तक होता है और [[कृष्ण पक्ष]] में 193 अंश से 2040 अंश तक होता है, उस समय 'द्वितीया तिथि' होती है।  
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*यह [[चंद्र ग्रह|चन्द्रमा]] की दूसरी तिथि और कला है। [[शुक्ल पक्ष]] में [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] और चन्द्रमा का अन्तर 13° से 24° अंश तक होता है और [[कृष्ण पक्ष]] में 193° अंश से 204° अंश तक होता है, उस समय 'द्वितीया तिथि' होती है।  
इसे [[पालि भाषा|पालि]] में ‘दुतीया’, [[प्राकृत भाषा]] (अर्धमागधी) में ‘बीया’ या ‘दुइया’, [[अपभ्रंश]] में ‘बीजा’, [[हिंदी भाषा|हिन्दी]] में ‘बीज’, ‘दूज’, ‘दौज’ कहते हैं।  
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इसे [[पालि भाषा|पालि]] में ‘दुतीया’, [[प्राकृत भाषा]] (अर्धमागधी) में ‘बीया’ या ‘दुइया’, [[अपभ्रंश]] में ‘बीजा’, [[हिन्दी भाषा|हिन्दी]] में ‘बीज’, ‘दूज’, ‘दौज’ कहते हैं।  
 
*द्वितीया तिथि के स्वामी ‘[[ब्रह्मा]]’ हैं। इसका विशेष नाम ‘सुमंगला’ है। यह भद्रा संज्ञक तिथि है। [[भाद्रपद]] में यह शून्य संज्ञक होती है।  
 
*द्वितीया तिथि के स्वामी ‘[[ब्रह्मा]]’ हैं। इसका विशेष नाम ‘सुमंगला’ है। यह भद्रा संज्ञक तिथि है। [[भाद्रपद]] में यह शून्य संज्ञक होती है।  
*सोमवार और शुक्रवार को मृत्युदा होती है।  
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*[[सोमवार]] और [[शुक्रवार]] को मृत्युदा होती है।  
*बुधवार के दिन दोनों पक्षों की द्वितीया में विशेष सामर्थ आ जाती है और यह सिद्धिदा हो जाती है, इसमें किये गये सभी कार्य शुभ और सफल होते हैं।
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*[[बुधवार]] के दिन दोनों पक्षों की द्वितीया में विशेष सामर्थ आ जाती है और यह सिद्धिदा हो जाती है, इसमें किये गये सभी कार्य शुभ और सफल होते हैं।
*शुक्ल पक्ष की द्वितीया को [[शिव]] जी [[गौरी]] के समीप होते हैं, अतः शिवपूजन, रूद्रभिषेक, पार्थिव पूजन आदि में शुभ है; परन्तु कृष्ण पक्ष की द्वितीया को शिव जी सभा में अपने गणों, भूत-प्रेतों के मध्य विराजते हैं; अतः उसमें शिव-पूजन नहीं करना चाहिये।
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*शुक्ल पक्ष की द्वितीया को [[शिव]] जी [[गौरी]] के समीप होते हैं, अतः शिवपूजन, रुद्रभिषेक, पार्थिव पूजन आदि में शुभ है; परन्तु कृष्ण पक्ष की द्वितीया को शिव जी सभा में अपने गणों, भूत-प्रेतों के मध्य विराजते हैं; अतः उसमें शिव-पूजन नहीं करना चाहिये।
 
*द्वितीया तिथि चन्द्रमा की दूसरी कला है। इस कला का अमृत कृष्ण पक्ष में स्वयं भगवान सूर्य पी कर स्वयं को ऊर्जावान रखते हैं और शुक्ल पक्ष में पुनः चन्द्रमा को लौटा देते हैं।
 
*द्वितीया तिथि चन्द्रमा की दूसरी कला है। इस कला का अमृत कृष्ण पक्ष में स्वयं भगवान सूर्य पी कर स्वयं को ऊर्जावान रखते हैं और शुक्ल पक्ष में पुनः चन्द्रमा को लौटा देते हैं।
 
*गर्गसंहिता के अनुसार द्वितीया के कृत्य इस प्रकार है-
 
*गर्गसंहिता के अनुसार द्वितीया के कृत्य इस प्रकार है-
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'भद्रेत्युक्ता द्वितीया तु शिल्पिव्यायामिनां हिता।
 
'भद्रेत्युक्ता द्वितीया तु शिल्पिव्यायामिनां हिता।
 
आरम्भे भेषजानां च प्रवासे च प्रवासिनाम्।।
 
आरम्भे भेषजानां च प्रवासे च प्रवासिनाम्।।
 
आवाहांश्च विवाहाश्च वास्तुक्षेत्रगृहाणि च।
 
आवाहांश्च विवाहाश्च वास्तुक्षेत्रगृहाणि च।
 
पुष्टिकर्मकरश्रेष्ठा देवता च बृहस्पतिः।।'
 
पुष्टिकर्मकरश्रेष्ठा देवता च बृहस्पतिः।।'
==करणीय कृत्य==
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</poem>
द्वितीया में राजनीति सम्बन्धी कार्य, चुनाव का पर्चा दाखिल करना, प्रशासनिक कार्य, वास्तु, यात्रा तथा प्रतिष्ठादि का आरम्भ शुभ होता है।
 
==अकरणीय कृत्य==
 
इस तिथि में नीबू नहीं खाना चाहिये।
 
  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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*[http://www.dharm.co.cc/2010/02/blog-post_10.html  हिन्दू काल गणना]
 
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==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{काल गणना}}
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{{तिथि}}
[[Category:नया पन्ना]]
 
[[Category:पर्यावरण और जलवायु]]
 
[[Category:ॠतु और मौसम]]
 
[[Category:काल_गणना]]
 
 
[[Category:कैलंडर]]
 
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Latest revision as of 12:15, 21 March 2014

  • yah chandrama ki doosari tithi aur kala hai. shukl paksh mean soory aur chandrama ka antar 13° se 24° aansh tak hota hai aur krishna paksh mean 193° aansh se 204° aansh tak hota hai, us samay 'dvitiya tithi' hoti hai.

ise pali mean ‘dutiya’, prakrit bhasha (ardhamagadhi) mean ‘biya’ ya ‘duiya’, apabhransh mean ‘bija’, hindi mean ‘bij’, ‘dooj’, ‘dauj’ kahate haian.

  • dvitiya tithi ke svami ‘brahma’ haian. isaka vishesh nam ‘sumangala’ hai. yah bhadra sanjnak tithi hai. bhadrapad mean yah shoony sanjnak hoti hai.
  • somavar aur shukravar ko mrityuda hoti hai.
  • budhavar ke din donoan pakshoan ki dvitiya mean vishesh samarth a jati hai aur yah siddhida ho jati hai, isamean kiye gaye sabhi kary shubh aur saphal hote haian.
  • shukl paksh ki dvitiya ko shiv ji gauri ke samip hote haian, atah shivapoojan, rudrabhishek, parthiv poojan adi mean shubh hai; parantu krishna paksh ki dvitiya ko shiv ji sabha mean apane ganoan, bhoot-pretoan ke madhy virajate haian; atah usamean shiv-poojan nahian karana chahiye.
  • dvitiya tithi chandrama ki doosari kala hai. is kala ka amrit krishna paksh mean svayan bhagavan soory pi kar svayan ko oorjavan rakhate haian aur shukl paksh mean punah chandrama ko lauta dete haian.
  • gargasanhita ke anusar dvitiya ke krity is prakar hai-

'bhadretyukta dvitiya tu shilpivyayaminaan hita.
arambhe bheshajanaan ch pravase ch pravasinamh..
avahaanshch vivahashch vastukshetragrihani ch.
pushtikarmakarashreshtha devata ch brihaspatiah..'



panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh


tika tippani aur sandarbh

bahari k diyaan

sanbandhit lekh