Difference between revisions of "भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी"

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1920 ईं. में एम.एन. राय एवं उनके कुछ अन्य सहयोगियों ने 'साम्यवादी दल' बनाने की घोषणा की थी। दिसम्बर, 1925 ई. में [[कानपुर]] में '''भारतीय कम्युनिस्ट पाटी''' (सी.पी.आई.) की स्थापना की गई। एस.पी. घाटे इस दल के महामंत्री नियुक्त किये गए थे। एम.एन. राय की सलाह से कम्युनिस्ट पार्टी को 'कम्युनिस्ट इण्टरनेशनल' की शाखा मान लिया गया और वर्ष 1928 ई. में कम्युनिस्ट इण्टरनेशनल ने ही [[भारत]] में कम्युनिस्ट पार्टी की कार्य प्रणाली निश्चित की। पेशावर षड्यंत्र केस (1922-23 ई.) से सम्बन्धित होने के कारण साम्यवादी दल के सदस्य काफ़ी चर्चित रहे थे। इस केस से सम्बन्धित मुकदमों के लिए [[कांग्रेस]] ने 'केन्द्रीय सुरक्षा समिति' का गठन किया। इन मुकदमों की सुनवाई के लिए [[जवाहरलाल नेहरू]], कैलाश नाथ काटजू एवं डॉक्टर एफ.एच.अंसारी को प्रतिवादियों की ओर से प्रस्तुत किया गया। 1934 ई. तक साम्यवादी दल ने अपने आन्दोलनों के द्वारा [[भारत]] में काफ़ी प्रसिद्ध प्राप्त कर ली थी। जुलाई, 1934 ई. में ब्रिटिश भारत की सरकार ने इसके विस्तार को देखते हुए साम्यवादी दल पर प्रतिबन्ध लगा दिया। स्वतंत्रता आदोलन के दौरान कम्यिनस्टि पार्टी के नेता आंदोलन में कांग्रेसी नेताओं के साथ थे, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय इस दल के नेताओं ने [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] का साथ दिया। [[दिसम्बर]] 1945 में कांग्रेस ने सभी साम्यवादी नेताओं को अपने दल से निकाल दिया। जब [[भारत]] के संविधान को अंगीकार कर लिया गया, तब इस दल ने इसे 'दासता का घोषणा पत्र' कहा था। इस दल का प्रभाव [[केरल]], [[पश्चिम बंगाल]], [[त्रिपुरा]] में मुख्य रूप से है। इस दल में कई विभाजन हुए हैं।
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'''भारतीय कम्युनिस्ट पाटी''' (सी.पी.आई.) की स्थापना [[दिसम्बर]], [[1925]] ई. में [[कानपुर]] में की गई थी। [[1920]] ईं. में एम.एन. राय एवं उनके कुछ अन्य सहयोगियों ने 'साम्यवादी दल' बनाने की घोषणा की थी। एस.पी. घाटे इस दल के महामंत्री नियुक्त किये गए थे। एम.एन. राय की सलाह से कम्युनिस्ट पार्टी को 'कम्युनिस्ट इण्टरनेशनल' की शाखा मान लिया गया और वर्ष [[1928]] ई. में कम्युनिस्ट इण्टरनेशनल ने ही [[भारत]] में कम्युनिस्ट पार्टी की कार्य प्रणाली निश्चित की। पेशावर षड्यंत्र केस ([[1922]]-[[1923]] ई.) से सम्बन्धित होने के कारण साम्यवादी दल के सदस्य काफ़ी चर्चित रहे थे। इस केस से सम्बन्धित मुकदमों के लिए [[कांग्रेस]] ने 'केन्द्रीय सुरक्षा समिति' का गठन किया। इन मुकदमों की सुनवाई के लिए [[जवाहरलाल नेहरू]], कैलाश नाथ काटजू एवं डॉक्टर एफ.एच.अंसारी को प्रतिवादियों की ओर से प्रस्तुत किया गया। [[1934]] ई. तक साम्यवादी दल ने अपने आन्दोलनों के द्वारा [[भारत]] में काफ़ी प्रसिद्ध प्राप्त कर ली थी। जुलाई, 1934 ई. में ब्रिटिश भारत की सरकार ने इसके विस्तार को देखते हुए साम्यवादी दल पर प्रतिबन्ध लगा दिया। स्वतंत्रता आदोलन के दौरान कम्यिनस्टि पार्टी के नेता आंदोलन में कांग्रेसी नेताओं के साथ थे, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय इस दल के नेताओं ने [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] का साथ दिया। [[दिसम्बर]] [[1945]] में कांग्रेस ने सभी साम्यवादी नेताओं को अपने दल से निकाल दिया। जब [[भारत]] के संविधान को अंगीकार कर लिया गया, तब इस दल ने इसे 'दासता का घोषणा पत्र' कहा था। इस दल का प्रभाव [[केरल]], [[पश्चिम बंगाल]], [[त्रिपुरा]] में मुख्य रूप से है। इस दल में कई विभाजन हुए हैं।
  
 
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Revision as of 06:12, 18 April 2012

bharatiy kamyunist pati (si.pi.aee.) ki sthapana disambar, 1925 ee. mean kanapur mean ki gee thi. 1920 eean. mean em.en. ray evan unake kuchh any sahayogiyoan ne 'samyavadi dal' banane ki ghoshana ki thi. es.pi. ghate is dal ke mahamantri niyukt kiye ge the. em.en. ray ki salah se kamyunist parti ko 'kamyunist intaraneshanal' ki shakha man liya gaya aur varsh 1928 ee. mean kamyunist intaraneshanal ne hi bharat mean kamyunist parti ki kary pranali nishchit ki. peshavar shadyantr kes (1922-1923 ee.) se sambandhit hone ke karan samyavadi dal ke sadasy kafi charchit rahe the. is kes se sambandhit mukadamoan ke lie kaangres ne 'kendriy suraksha samiti' ka gathan kiya. in mukadamoan ki sunavaee ke lie javaharalal neharoo, kailash nath katajoo evan d aauktar eph.ech.aansari ko prativadiyoan ki or se prastut kiya gaya. 1934 ee. tak samyavadi dal ne apane andolanoan ke dvara bharat mean kafi prasiddh prapt kar li thi. julaee, 1934 ee. mean british bharat ki sarakar ne isake vistar ko dekhate hue samyavadi dal par pratibandh laga diya. svatantrata adolan ke dauran kamyinasti parti ke neta aandolan mean kaangresi netaoan ke sath the, lekin dvitiy vishvayuddh ke samay is dal ke netaoan ne aangrezoan ka sath diya. disambar 1945 mean kaangres ne sabhi samyavadi netaoan ko apane dal se nikal diya. jab bharat ke sanvidhan ko aangikar kar liya gaya, tab is dal ne ise 'dasata ka ghoshana patr' kaha tha. is dal ka prabhav keral, pashchim bangal, tripura mean mukhy roop se hai. is dal mean kee vibhajan hue haian.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh