Difference between revisions of "रामायण सामान्य ज्ञान"

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{[[रामायण]] के अनुसार [[अंगद]] के [[पिता]] का नाम क्या था?
 
|type="()"}
 
-[[सुग्रीव]]
 
+[[बालि]]
 
-[[जामवन्त]]
 
-[[जटायु]]
 
||अपनी मृत्यु के समय [[बालि]] ने पहले तो [[राम]] को बहुत बुरा-भला कहा, क्योंकि उसका कहना था कि छिपकर मारना [[क्षत्रिय|क्षत्रियों]] का [[धर्म]] नहीं है, किंतु जब राम ने बालि को समझाया कि उसने [[सुग्रीव]] की पत्नी को हरकर अधर्म किया है तथा जिस प्रकार वनैले पशुओं को घेरकर छल से मारना अनुचित नहीं है, उसी प्रकार पापी व्यक्ति को दंड देना भी धर्मोचित है। बालि ने सुग्रीव और राम से यह वादा लेकर कि वह उसकी पत्नि [[तारा (बालि की पत्नी)|तारा]] तथा पुत्र [[अंगद (बाली पुत्र)|अंगद]] का ध्यान रखेंगे, सुखपूर्वक देह का त्याग किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[बालि]]
 
 
{[[लक्ष्मण]] की पत्नी का क्या नाम था?
 
|type="()"}
 
-[[सावित्री देवी|सावित्री]]
 
-[[सत्यभामा]]
 
+[[उर्मिला]]
 
-[[रम्भा]]
 
||[[वाल्मीकि रामायण]] में [[लक्ष्मण]] की पत्नी के रूप में [[उर्मिला]] का नामोल्लेख मिलता है। [[महाभारत]], [[पुराण]] तथा काव्य में भी इससे अधिक उर्मिला का कोई परिचय नहीं मिलता। केवल [[आधुनिक काल]] में उर्मिला के विषय में विशेष सहानुभूति प्रकट की गयी है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[उर्मिला]]
 
 
{श्री [[राम]] को दिये गए वनवास की अवधि कितने वर्ष थी?
 
|type="()"}
 
-12 वर्ष
 
-16 वर्ष
 
-15 वर्ष
 
+14 वर्ष
 
 
{[[जामवन्त]] कितने योजन [[समुद्र]] लाँघ सकता था?
 
|type="()"}
 
-100 [[योजन]]
 
+90 योजन
 
-80 योजन
 
-70 योजन
 
 
{[[जटायु]] के भाई का नाम क्या था?
 
|type="()"}
 
-[[गरुड़]]
 
-[[शम्भू]]
 
+[[सम्पाती]]
 
-[[हिडिम्ब]]
 
||'सम्पाती' नामक गिद्ध [[जटायु]] का बड़ा भाई था। वृत्तासुर-वध के उपरांत अत्यधिक गर्व हो जाने के कारण दोनों भाई [[आकाश]] में उड़कर [[सूर्य]] की ओर चले। उन दोनों का उद्देश्य सूर्य का [[विंध्याचल]] तक पीछा करना था। सूर्य के ताप से जटायु के पंख जलने लगे तो [[सम्पाती]] ने उसे अपने पंखों से छिपा लिया। जटायु तो बच गया, किंतु सम्पाती के पर जल गये और उड़ने की शक्ति समाप्त हो गयी। वह [[विंध्य पर्वत]] पर जा गिरा। जब [[सीता]] को ढूंढ़ने में असफल [[हनुमान]], [[अंगद]] आदि उस [[पर्वत]] पर बातें कर रहे थे, तब जटायु का नाम सुनकर सम्पाती ने सविस्तार जटायु के विषय में जानना चाहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[सम्पाती]]
 
 
{निम्नलिखित में से कौन [[शत्रुघ्न]] की [[माता]] थीं?
 
|type="()"}
 
+[[सुमित्रा]]
 
-[[कौशल्या]]
 
-[[कैकेयी]]
 
-[[सुभद्रा]]
 
||[[चित्र:Ramlila-Mathura-13.jpg|right|120px|राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न के प्रतिरूप]]'शत्रुघ्न' का चरित्र अत्यन्त विलक्षण है। ये मौन सेवाव्रती थे। बचपन से [[भरत (दशरथ पुत्र)|भरत]] जी का अनुगमन तथा सेवा ही इनका मुख्य व्रत था। [[वाल्मीकि रामायण]] में वर्णित है कि [[अयोध्या]] के राजा [[दशरथ]] की तीन रानियाँ थीं- [[कौशल्या]], [[कैकेयी]] और [[सुमित्रा]]। कौशल्या से [[राम]], कैकई से भरत और सुमित्रा से [[लक्ष्मण]] एवं [[शत्रुघ्न]] पुत्र थे। शत्रुघ्न ने मधुपुरी मथुरा के शासक लवण को मार कर मधुपुरी को फिर से बसाया था। शत्रुघ्न कम से कम बारह वर्ष तक [[मथुरा]] नगरी एवं प्रदेश के शासक रहे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[शत्रुघ्न]]
 
 
{[[इन्द्र]] के पुत्र का नाम क्या था?
 
|type="()"}
 
-[[नहुष]]
 
-[[मांधाता]]
 
-[[पुरुरवा]]
 
+[[जयंत]]
 
||'जयंत' देवों के राजा [[इन्द्र]] के पुत्र कहे गये हैं। [[वाल्मीकि रामायण]] में भी इनका कई स्थानों पर उल्लेख हुआ है। जिस समय [[रावण]] के पुत्र [[मेघनाद]] से इन्द्र का युद्ध हुआ और मेघनाद ने सब ओर अंघकार फैला दिया, तब जयंत का नाना पुलोमा उसे युद्ध भूमि से उठाकर [[समुद्र]] में ले गया। एक अन्य प्रसंग के अनुसार एक कोए के वेश में [[जयंत]] ने मांस की इच्छा से [[सीता]] के स्तन पर भी प्रहार किया था, जिस कारण उसे श्री [[राम]] के क्रोध का सामना करना पड़ा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[जयंत]]
 
 
{[[रावण]] और [[कुबेर]] थे-
 
|type="()"}
 
+भाई-भाई
 
-साले-बहनोई
 
-मित्र
 
-इनमें से कोई नहीं
 
 
{[[राम]] के चरण स्पर्श से जो शिला स्त्री बन गई, उस स्त्री का नाम क्या था?
 
|type="()"}
 
-[[शबरी]]
 
-[[मन्थरा]]
 
+[[अहल्या]]
 
-[[कुब्जा दासी|कुब्जा]]
 
||अहल्या महर्षि [[गौतम]] की पत्नी थी। ये अत्यंत ही रूपवान तथा सुन्दरी थी। एक दिन गौतम की अनुपस्थिति में देवराज [[इन्द्र]] ने अहल्या से संभोग की इच्छा प्रकट की। यह जानकर कि इन्द्र उस पर मुग्ध हैं, अहल्या इस अनुचित कार्य के लिए तैयार हो गई। गौतम ने कुटिया से जाते हुए इन्द्र को देख लिया और उन्होंने अहल्या को पाषाण बन जाने का शाप दे दिया। [[त्रेता युग]] में श्री [[राम]] की चरण-रज से अहिल्या का शापमोचन हुआ और पुन: वह पाषाण से ऋषि-पत्नी हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[अहल्या]]
 
 
{[[परशुराम]] किसके पुत्र थे?
 
|type="()"}
 
-[[अगस्त्य|अगस्त्य मुनि]]
 
+[[जमदग्नि]]
 
-ऋष्यश्रृंग
 
-[[कात्यायन]]
 
||[[जमदग्नि]] बहुत ही महान [[ऋषि]] थे, जिनका उल्लेख [[सप्तर्षि|सप्तऋषियों]] में किया जाता है। ये भृगुवंशी ऋचीक के पुत्र थे। जमदग्नि चार पुत्रों के [[पिता]] थे। इन्होंने अपने पुत्रों से माता [[रेणुका]] का शीश काटने के लिए कहा, किंतु उन्होंने इस कार्य को करने से इंकार कर दिया। इनकी आज्ञा पर ही इनके चौथे पुत्र [[परशुराम]] ने माता का शीश काट लिया। परशुराम स्वयं [[विष्णु]] के [[अवतार]] बताये गये हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[जमदग्नि]]
 
 
 
{निम्नलिखित में से किसे ब्रह्महत्या का पाप लगा था?
 
{निम्नलिखित में से किसे ब्रह्महत्या का पाप लगा था?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
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-[[हनुमान]]
 
-[[हनुमान]]
 
-[[सुग्रीव]]
 
-[[सुग्रीव]]
||[[हिन्दू धर्म]] में [[राम]] [[विष्णु]] के दस [[अवतार|अवतारों]] में से एक हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम, महर्षि [[वाल्मीकि]] द्वारा रचित [[संस्कृत]] [[महाकाव्य]] [[रामायण]] के रूप में लिखा गया है। उनके उपर [[तुलसीदास]] ने भक्ति काव्य श्री [[रामचरितमानस]] रचा था। ख़ास तौर पर [[उत्तर भारत]] में राम बहुत अधिक पूज्यनीय माने जाते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[राम]]
+
||[[चित्र:Lord-Rama.jpg|right|100px|श्रीराम]][[हिन्दू धर्म]] में [[राम]] स्वयं भगवान [[विष्णु]] के दस [[अवतार|अवतारों]] में से एक हैं। राम का जीवन काल एवं पराक्रम, [[वाल्मीकि|महर्षि वाल्मीकि]] द्वारा रचित [[संस्कृत]] [[महाकाव्य]] [[रामायण]] के रूप में लिखा गया है। उनके ऊपर [[तुलसीदास]] ने भक्ति काव्य '[[रामचरितमानस]]' रचा था। ख़ास तौर पर [[उत्तर भारत]] में राम बहुत अधिक पूज्यनीय माने जाते हैं। अनेक विद्वानों ने उन्हें 'मर्यादापुरुषोत्तम' की संज्ञा दी है। '[[वाल्मीकि रामायण]]' तथा पुराणादि ग्रंथों के अनुसार वे आज से कई लाख वर्ष पहले '[[त्रेता युग]]' में हुए थे। पाश्चात्य विद्वान् उनका समय ईसा से कुछ ही हज़ार वर्ष पूर्व मानते हैं। राम भारतीय जीवन दर्शन और [[भारतीय संस्कृति]] के सच्चे प्रतीक थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[राम]]
  
{संजीवनी बूटी का रहस्य किस वैद्य ने बताया-
+
{[[श्रीराम]] को [[लक्ष्मण]] के प्राण बचाने के लिए संजीवनी बूटी का रहस्य किस वैद्य ने बताया?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-[[अक्रूर]]
 
-[[अक्रूर]]
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-[[चरक]]
 
-[[चरक]]
 
+[[सुषेण वैद्य|सुषेण]]
 
+[[सुषेण वैद्य|सुषेण]]
 +
||सुषेण वैद्य का उल्लेख [[रामायण]] में हुआ है। रामायणानुसार [[सुषेण वैद्य|सुषेण]] [[लंका]] के राजा राक्षसराज [[रावण]] का राजवैद्य था। जब रावण के पुत्र [[मेघनाद]] के साथ हुए भीषण युद्ध में [[लक्ष्मण]] घायल होकर मूर्छित हो गये, तब सुषेण ने ही लक्ष्मण की चिकित्सा की थी। उसके यह कहने पर कि मात्र संजीवनी बूटी के प्रयोग से ही लक्ष्मण के प्राण बचाये जा सकते हैं, [[राम]] [[भक्त]] [[हनुमान]] ने वह बूटी लाकर दी और लक्ष्मण के प्राण बचाये जा सके।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[सुषेण वैद्य]]
  
 
{[[अहल्या]] के पति का नाम था-
 
{[[अहल्या]] के पति का नाम था-
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||[[न्याय दर्शन]] के कर्ता महर्षि [[गौतम]] परम तपस्वी एवं संयमी थे। महाराज वृद्धाश्व की पुत्री [[अहिल्या]] इनकी पत्नी थी, जो महर्षि के शाप से पाषाण बन गयी थी। [[त्रेता युग]] में भगवान [[विष्णु]] के [[अवतार]] [[राम]] ने [[पृथ्वी]] पर जन्म लिया, जिनके चरण-स्पर्श से ही अहल्या शाप के प्रभाव से मुक्त हो गई। उसने पुन: शिला से [[ऋषि]] गौतम की पत्नी का पद प्राप्त किया। महर्षि गौतम [[बाण अस्त्र|बाण]] विद्या में अत्यन्त निपुण थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[महर्षि गौतम|गौतम]]
 
||[[न्याय दर्शन]] के कर्ता महर्षि [[गौतम]] परम तपस्वी एवं संयमी थे। महाराज वृद्धाश्व की पुत्री [[अहिल्या]] इनकी पत्नी थी, जो महर्षि के शाप से पाषाण बन गयी थी। [[त्रेता युग]] में भगवान [[विष्णु]] के [[अवतार]] [[राम]] ने [[पृथ्वी]] पर जन्म लिया, जिनके चरण-स्पर्श से ही अहल्या शाप के प्रभाव से मुक्त हो गई। उसने पुन: शिला से [[ऋषि]] गौतम की पत्नी का पद प्राप्त किया। महर्षि गौतम [[बाण अस्त्र|बाण]] विद्या में अत्यन्त निपुण थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[महर्षि गौतम|गौतम]]
  
{[[हनुमान]] के पुत्र का क्या नाम है?
+
{[[राम]] भक्त [[हनुमान]] के पुत्र का क्या नाम है?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-[[अंगद]]
 
-[[अंगद]]
+मकरध्वज
+
+[[मकरध्वज]]
 
-[[घटोत्कच]]
 
-[[घटोत्कच]]
 
-[[सुग्रीव]]
 
-[[सुग्रीव]]
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{{रामायण सामान्य ज्ञान}}
 
{{रामायण सामान्य ज्ञान}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{प्रचार}}
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]

Latest revision as of 14:53, 6 July 2017

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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panne par jaean

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126

1 nimnalikhit mean se kise brahmahatya ka pap laga tha?

lakshman
ram
hanuman
sugriv

2 shriram ko lakshman ke pran bachane ke lie sanjivani booti ka rahasy kis vaidy ne bataya?

akroor
vibhishan
charak
sushen

3 ahalya ke pati ka nam tha-

gautam
vishvamitr
brihaspati
vasishth

4 ram bhakt hanuman ke putr ka kya nam hai?

aangad
makaradhvaj
ghatotkach
sugriv

5 lakshman ko nagapash se mukt kisane kiya tha?

jatayu
sampati
jamavant
garu d

panne par jaean

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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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