Difference between revisions of "राष्ट्रपति भवन"

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[[चित्र:President-House.jpg|thumb|250px|राष्ट्रपति भवन]]
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[[चित्र:Rashtrapati-Bhavan-1.jpg|thumb|250px|राष्ट्रपति भवन, [[दिल्ली]] <br /> Rashtrapati Bhavan, Delhi]]
 
राष्ट्रपति भवन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इस भवन के निर्माण की सोच सर्वप्रथम [[1911]] में उस समय उत्पन्न हुई जब दिल्ली दरबार ने निर्णय किया कि [[भारत]] की राजधानी [[कोलकाता]] से [[दिल्ली]] स्थानान्तरित की जाएगी। इसी के साथ में यह भी निर्णय लिया गया कि [[नई दिल्ली]] में ब्रिटिश वायसराय के रहने के लिए एक आलीशान भवन का निर्माण किया जाएगा।  
 
राष्ट्रपति भवन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इस भवन के निर्माण की सोच सर्वप्रथम [[1911]] में उस समय उत्पन्न हुई जब दिल्ली दरबार ने निर्णय किया कि [[भारत]] की राजधानी [[कोलकाता]] से [[दिल्ली]] स्थानान्तरित की जाएगी। इसी के साथ में यह भी निर्णय लिया गया कि [[नई दिल्ली]] में ब्रिटिश वायसराय के रहने के लिए एक आलीशान भवन का निर्माण किया जाएगा।  
 
==निर्माण==
 
==निर्माण==
 
इस भवन के मुख्य शिल्पीकार एडविन लैंडसीर लुटियंस थे, जबकि इसके प्रमुख इंजीनियर हग कीलिंग थे। इस भवन का अधिकतम निर्माण कार्य ठेकेदार हारून-अल-राशिद के द्वारा किया गया। प्रारम्भ में इस भवन के निर्माण के लिए 4 लाख पौंड स्टर्लिंग राशि व्यय करने हेतु निर्धारित की गयी थी। परन्तु भवन के निर्माण में 17 साल लग जाने के कारण व्यय राशि बढकर 877136 पौंड स्टर्लिंग अर्थात् 1 करोड़ 28 लाख रुपये हो गई। यदि मुग़ल गार्डन और राष्ट्रपति भवन परिसर में कर्मचारियों के लिए बने आवासों की राशि भी इसमें शामिल कर दी जाये तो राष्ट्रपति भवन के निर्माण में 1 करोड़ 40 लाख रुपये ख़र्च हुए।
 
इस भवन के मुख्य शिल्पीकार एडविन लैंडसीर लुटियंस थे, जबकि इसके प्रमुख इंजीनियर हग कीलिंग थे। इस भवन का अधिकतम निर्माण कार्य ठेकेदार हारून-अल-राशिद के द्वारा किया गया। प्रारम्भ में इस भवन के निर्माण के लिए 4 लाख पौंड स्टर्लिंग राशि व्यय करने हेतु निर्धारित की गयी थी। परन्तु भवन के निर्माण में 17 साल लग जाने के कारण व्यय राशि बढकर 877136 पौंड स्टर्लिंग अर्थात् 1 करोड़ 28 लाख रुपये हो गई। यदि मुग़ल गार्डन और राष्ट्रपति भवन परिसर में कर्मचारियों के लिए बने आवासों की राशि भी इसमें शामिल कर दी जाये तो राष्ट्रपति भवन के निर्माण में 1 करोड़ 40 लाख रुपये ख़र्च हुए।
 
==वास्तु विशेषताऐं==
 
==वास्तु विशेषताऐं==
[[चित्र:Rashtrapati-Bhavan-1.jpg|thumb|राष्ट्रपति भवन]]
 
 
चार मंज़िल राष्ट्रपति भवन में कुल 340 कमरे हैं। 2 लाख वर्ग फुट में बने इस भवन में 70 करोड़ ईंटें तथा 30 लाख क्यूविक फुट पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। भवन के निर्माण में स्टील का प्रयोग नहीं किया गया है। राष्ट्रपति भवन में बने चक्र, छज्जे, छतरियाँ और जालियाँ भारतीय पुरातत्त्व पद्धति का अनुकरण हैं। भवन के स्तम्भों पर उकेरी गई घंटियाँ हिन्दू, जैन और बौद्ध मन्दिरों की घंटियों की अनुकृति हैं। जबकि इसके स्तम्भों के निर्माण की प्रेरणा [[कर्नाटक]] के मूडाबिद्री में स्थित जैन मन्दिर है। इसके गुम्बद के बारे में लुटियंस का मानना है क यह गुम्बद रोम के सर्वदेवमन्दिर (पैन्थियन आफ रोम) की याद दिलाता है। लेकिन विश्लेषकों का विचार है कि गुम्बर की संरचना सांची के स्तूप के पैटर्न पर की गई है। [[26 जनवरी]], [[1950]] को यह भवन प्रथम राष्ट्रपति [[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]] का सरकारी आवास बना, तब से [[भारत]] के [[राष्ट्रपति]] का यह आवास है।  
 
चार मंज़िल राष्ट्रपति भवन में कुल 340 कमरे हैं। 2 लाख वर्ग फुट में बने इस भवन में 70 करोड़ ईंटें तथा 30 लाख क्यूविक फुट पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। भवन के निर्माण में स्टील का प्रयोग नहीं किया गया है। राष्ट्रपति भवन में बने चक्र, छज्जे, छतरियाँ और जालियाँ भारतीय पुरातत्त्व पद्धति का अनुकरण हैं। भवन के स्तम्भों पर उकेरी गई घंटियाँ हिन्दू, जैन और बौद्ध मन्दिरों की घंटियों की अनुकृति हैं। जबकि इसके स्तम्भों के निर्माण की प्रेरणा [[कर्नाटक]] के मूडाबिद्री में स्थित जैन मन्दिर है। इसके गुम्बद के बारे में लुटियंस का मानना है क यह गुम्बद रोम के सर्वदेवमन्दिर (पैन्थियन आफ रोम) की याद दिलाता है। लेकिन विश्लेषकों का विचार है कि गुम्बर की संरचना सांची के स्तूप के पैटर्न पर की गई है। [[26 जनवरी]], [[1950]] को यह भवन प्रथम राष्ट्रपति [[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]] का सरकारी आवास बना, तब से [[भारत]] के [[राष्ट्रपति]] का यह आवास है।  
  

Revision as of 12:03, 13 November 2010

[[chitr:Rashtrapati-Bhavan-1.jpg|thumb|250px|rashtrapati bhavan, dilli
Rashtrapati Bhavan, Delhi]] rashtrapati bhavan vastukala ka utkrisht namoona hai. is bhavan ke nirman ki soch sarvapratham 1911 mean us samay utpann huee jab dilli darabar ne nirnay kiya ki bharat ki rajadhani kolakata se dilli sthanantarit ki jaegi. isi ke sath mean yah bhi nirnay liya gaya ki nee dilli mean british vayasaray ke rahane ke lie ek alishan bhavan ka nirman kiya jaega.

nirman

is bhavan ke mukhy shilpikar edavin laiandasir lutiyans the, jabaki isake pramukh ianjiniyar hag kiliang the. is bhavan ka adhikatam nirman kary thekedar haroon-al-rashid ke dvara kiya gaya. prarambh mean is bhavan ke nirman ke lie 4 lakh pauand starliang rashi vyay karane hetu nirdharit ki gayi thi. parantu bhavan ke nirman mean 17 sal lag jane ke karan vyay rashi badhakar 877136 pauand starliang arthath 1 karo d 28 lakh rupaye ho gee. yadi mugal gardan aur rashtrapati bhavan parisar mean karmachariyoan ke lie bane avasoan ki rashi bhi isamean shamil kar di jaye to rashtrapati bhavan ke nirman mean 1 karo d 40 lakh rupaye kharch hue.

vastu visheshataaian

char manzil rashtrapati bhavan mean kul 340 kamare haian. 2 lakh varg phut mean bane is bhavan mean 70 karo d eeantean tatha 30 lakh kyoovik phut patthar ka istemal kiya gaya hai. bhavan ke nirman mean stil ka prayog nahian kiya gaya hai. rashtrapati bhavan mean bane chakr, chhajje, chhatariyaan aur jaliyaan bharatiy puratattv paddhati ka anukaran haian. bhavan ke stambhoan par ukeri gee ghantiyaan hindoo, jain aur bauddh mandiroan ki ghantiyoan ki anukriti haian. jabaki isake stambhoan ke nirman ki prerana karnatak ke moodabidri mean sthit jain mandir hai. isake gumbad ke bare mean lutiyans ka manana hai k yah gumbad rom ke sarvadevamandir (painthiyan aph rom) ki yad dilata hai. lekin vishleshakoan ka vichar hai ki gumbar ki sanrachana saanchi ke stoop ke paitarn par ki gee hai. 26 janavari, 1950 ko yah bhavan pratham rashtrapati d aau. rajeandr prasad ka sarakari avas bana, tab se bharat ke rashtrapati ka yah avas hai.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

sanbandhit lekh