Difference between revisions of "वातापी कर्नाटक"

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वातापी [[बीजापुर ज़िला|ज़िला बीजापुर]], [[कर्नाटक]] राज्य [[भारत]] में स्थित है। [[शोलापुर]] से 141 मील दूर स्थित वर्तमान [[बादामी कर्नाटक|बादामी]] ही प्राचीन वातापी है। यह शोलापुर-गदग रेल मार्ग पर स्थित है। बादामी की बस्ती दो पहाड़ियों के बीच में है। वातापी का नाम [[पुराण|पुराणों]] में उल्लिखित है, जहाँ इसका सम्बन्ध वातापी नामक दैत्य से बताया जाता है, जिसे [[अगस्त्य]] ऋषि ने मारा था।  
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[[चित्र:Bhootnath-Shiva-Temple-Badami.jpg|thumb|250px|भूतनाथ शिव मंदिर, [[बादामी]]]]
==इतिहास==
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[[चित्र:Shiva-2.jpg|thumb|शिव के मंदिर पर नक़्क़ाशी]]
छठी-सातवीं शती ई. में वातापी नगरी [[चालुक्य वंश]] की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध थी। पहली बार यहाँ 550 ई. के लगभग [[पुलकेशियन प्रथम]] ने अपनी राजधानी स्थापित की थी। उसने वातापी में [[अश्वमेध यज्ञ]] सम्पन्न करके अपने वंश की सुदृढ़ नींव स्थापित की थी। 608 ई. में [[पुलकेशियन द्वितीय]] वातापी के सिंहासन पर आसीन हुआ। यह बहुत प्रतापी राजा था। इसने प्रायः 20 वर्षों में [[गुजरात]], [[राजस्थान]], [[मालवा]], [[कोंकण]], [[वेंगी]] आदि प्रदेश को विजित किया। 620 ई. के आसपास [[नर्मदा नदी]] के दक्षिण में वातापी नरेश की सर्वत्र दुंदुभि बज रही थी और उसके समान यशस्वी राजा दक्षिण भारत में दूसरा नहीं था। मुसलमान इतिहास लेखक तबरी के अनुसार 625-626 ई. में ईरान के बादशाह [[ख़ुसरो द्वितीय]] ने पुलकेशियन की राज्यसभा में अपना एक दूत भेजकर उसके प्रति अपना सम्मान प्रदर्शित किया था। शायद इसी घटना का दृश्य [[अजन्ता]] के एक चित्र (गुहा संख्या 1) में अंकित किया गया है। वातापी नगरी इस समय अपनी समृद्धी के मध्याह्न काल में थी। किन्तु 642 ई. में पल्लवनरेश [[नरसिंह वर्मन]] ने पुलकेशियन को युद्ध में परास्त कर सत्ता का अन्त कर दिया। पुलकेशियन स्वंय भी इस युद्ध में आहत हुआ। वातापी को जीतकर नरसिंह वर्मन ने नगर में खूब लूटमार मचाई। [[पल्ल्व वंश|पल्लवों]] और चालुक्यों की शत्रुता इसके पश्चात भी चलती रही। 750 ई. में राष्ट्रकूटों ने वातापी तथा परिवर्ति प्रदेश पर अधिकार कर लिया। वातापी पर चालुक्यों का 200 वर्षों तक राज्य रहा। इस काल में वातापि ने बहुत उन्नति की। [[हिन्दू]], [[बौद्ध]] और [[जैन]] तीनों ही सम्पद्रायों ने अनेक मन्दिरों तथा कलाकृतियों से इस नगरी को सुशोभित किया। छठी शती के अन्त में [[मंगलेश चालुक्य]] ने वातापी में एक गुहामन्दिर बनवाया था जिसकी वास्तुकला बौद्ध गुहा मन्दिरों के जैसी है। वातापी के राष्ट्रकूट नरेशों में दंन्तिदुर्ग और कृष्ण प्रथम प्रमुख हैं। कृष्ण के समय में [[एलौरा]] का जगत प्रसिद्ध मन्दिर बना था किन्तु राष्ट्रकूटों के शासनकाल में वातापी का चालुक्यकालीन गौरव फिर न उभर सका और इसकी ख्याति धीरे-धीरे विलुप्त हो गई।
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{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=वातापि|लेख का नाम=वातापि बहुविकल्पी}}
[[Category:कर्नाटक]][[Category:कर्नाटक_के_ऐतिहासिक_नगर]][[Category:कर्नाटक_के_ऐतिहासिक_स्थान]][[Category:कर्नाटक_के_नगर]]__INDEX__
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'''वातापी''' [[बीजापुर ज़िला|ज़िला बीजापुर]], [[कर्नाटक]] राज्य [[भारत]] में स्थित है। [[शोलापुर ज़िला|शोलापुर]] से 141 मील दूर स्थित वर्तमान [[बादामी]] ही प्राचीन 'वातापी' है। यह शोलापुर-गदग रेल मार्ग पर स्थित है। बादामी की बस्ती दो पहाड़ियों के बीच में है। वातापी का नाम [[पुराण|पुराणों]] में उल्लिखित है, जहाँ इसका सम्बन्ध [[वातापि]] नामक दैत्य से बताया जाता है, जिसे [[अगस्त्य]] ऋषि ने मारा था।<ref>[[अगस्त्य#इल्वल और वातापि|इल्वल और वातापि]]</ref>
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==पौराणिक कथा==
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पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में यह नगर वातापि नामक असुर के अधीन था, जो ब्राह्मणों का परम शत्रु था। बाद के दिनों में अगत्स्य ऋषि ने इसका वध किया था।
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==दर्शनीय स्थल==
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*यहा एक दुर्ग है, उसमें बायीं ओर [[हनुमान]] जी का मन्दिर, ऊपर जाने पर [[शिव]] का मन्दिर, उससे आगे दो तीन और मन्दिर मिलते हैं।
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*दक्षिण की पहाड़ी पर पश्चिम की ओर 'गुहामन्दिर' हैं, तीन गुहाएँ स्मार्त धर्म की और एक [[जैन धर्म]] की है।
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*पहली गुहा में 18 भुजाओं वाली शिवमूर्ति, गणेशमूर्ति तथ गणों की मूर्तियाँ हैं।
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*आगे [[विष्णु]], [[लक्ष्मी]] तथा शिव-[[पार्वती]] की मूर्तियाँ हैं।
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*पिछली दीवार में महिषासुरमर्दिनी, [[गणेश]] तथा [[स्कन्द]] की मूर्तियाँ हैं।
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*दूसरी गुहा में [[वामन अवतार]], [[वराह अवतार]], गरुड़ारूढ़ [[नारायण]], शेषशायी नारायण की मूर्तियाँ तथा कुछ अन्य मूर्तियाँ भी हैं।
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*तीसरी गुहा में [[अर्द्धनारीश्वर]] [[शिव]], [[पार्वती]], [[नृसिंह अवतार]], [[नारायण]], वराह आदि की मूर्तियाँ हैं।
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*जैन गुहा में जैन [[तीर्थंकर|तीर्थंकरों]] की मूर्तियाँ हैं।
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{{seealso|बादामी}}
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{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ ==
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<references/>
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==संबंधित लेख==
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{{कर्नाटक के ऐतिहासिक स्थान}}
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[[Category:कर्नाटक]][[Category:कर्नाटक_के_ऐतिहासिक_नगर]][[Category:कर्नाटक_के_ऐतिहासिक_स्थान]] [[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
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Latest revision as of 10:36, 5 July 2012

[[chitr:Bhootnath-Shiva-Temple-Badami.jpg|thumb|250px|bhootanath shiv mandir, badami]] thumb|shiv ke mandir par naqqashi

chitr:Disamb2.jpg vatapi ek bahuvikalpi shabd hai any arthoan ke lie dekhean:- vatapi bahuvikalpi

vatapi zila bijapur, karnatak rajy bharat mean sthit hai. sholapur se 141 mil door sthit vartaman badami hi prachin 'vatapi' hai. yah sholapur-gadag rel marg par sthit hai. badami ki basti do paha diyoan ke bich mean hai. vatapi ka nam puranoan mean ullikhit hai, jahaan isaka sambandh vatapi namak daity se bataya jata hai, jise agasty rrishi ne mara tha.[1]

pauranik katha

pauranik katha ke anusar prachin kal mean yah nagar vatapi namak asur ke adhin tha, jo brahmanoan ka param shatru tha. bad ke dinoan mean agatsy rrishi ne isaka vadh kiya tha.

darshaniy sthal

  • yaha ek durg hai, usamean bayian or hanuman ji ka mandir, oopar jane par shiv ka mandir, usase age do tin aur mandir milate haian.
  • dakshin ki paha di par pashchim ki or 'guhamandir' haian, tin guhaean smart dharm ki aur ek jain dharm ki hai.
  • pahali guha mean 18 bhujaoan vali shivamoorti, ganeshamoorti tath ganoan ki moortiyaan haian.
  • age vishnu, lakshmi tatha shiv-parvati ki moortiyaan haian.
  • pichhali divar mean mahishasuramardini, ganesh tatha skand ki moortiyaan haian.
  • doosari guha mean vaman avatar, varah avatar, garu daroodh narayan, sheshashayi narayan ki moortiyaan tatha kuchh any moortiyaan bhi haian.
  • tisari guha mean arddhanarishvar shiv, parvati, nrisianh avatar, narayan, varah adi ki moortiyaan haian.
  • jain guha mean jain tirthankaroan ki moortiyaan haian.
  1. REDIRECTsaancha:inhean bhi dekhean


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh