Difference between revisions of "श्रीपेरुम्बुदुर"

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'''श्रीपेरुम्बुदूर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sriperumbudur'') [[दक्षिण भारत]] के [[तमिलनाडु|तमिलनाडु राज्य]] में स्थित एक धार्मिक स्थान है। श्रीपेरुम्बुदुर को भूतपुर या भूतपुरी भी कहा जाता है। [[चेन्नई]] से 40 कि.मी. तथा [[तिरुवल्लूर|त्रिवेल्लोर]] स्टेशन से 11 मील दक्षिण में यह बस्ती है। चेन्नई से यहाँ के लिए बस जाती हैं।  
 
'''श्रीपेरुम्बुदूर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sriperumbudur'') [[दक्षिण भारत]] के [[तमिलनाडु|तमिलनाडु राज्य]] में स्थित एक धार्मिक स्थान है। श्रीपेरुम्बुदुर को भूतपुर या भूतपुरी भी कहा जाता है। [[चेन्नई]] से 40 कि.मी. तथा [[तिरुवल्लूर|त्रिवेल्लोर]] स्टेशन से 11 मील दक्षिण में यह बस्ती है। चेन्नई से यहाँ के लिए बस जाती हैं।  
 
===दर्शनीय स्थल===
 
===दर्शनीय स्थल===
यह [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का प्राचीन धार्मिक स्थान है। यह श्रीरामनुजाचार्य की जन्मभूमि है। यहाँ एक सरोवर है जिसे अनंत सरोवर कहते हैं, उसके समीप श्रीरामानुजाचार्य का विशाल मंदिर है। दूसरा मंदिर यहाँ [[केशव (कृष्ण)|केशव भगवान]] का है। उसमें शेषशायी मूर्ति है। उसके भीतर लक्ष्मी मंदिर तथा अन्य और भी छोटे मंदिर हैं। उससे थोड़ी दूरी पर यहाँ का सबसे प्राचीन भूतेश्वर शिव मंदिर है।
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यह [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का प्राचीन धार्मिक स्थान है। यह [[रामानुज|श्रीरामनुजाचार्य]] की जन्मभूमि है। यहाँ एक सरोवर है जिसे अनंत सरोवर कहते हैं, उसके समीप श्रीरामानुजाचार्य का विशाल मंदिर है। दूसरा मंदिर यहाँ [[केशव (कृष्ण)|केशव भगवान]] का है। उसमें शेषशायी मूर्ति है। उसके भीतर लक्ष्मी मंदिर तथा अन्य और भी छोटे मंदिर हैं। उससे थोड़ी दूरी पर यहाँ का सबसे प्राचीन भूतेश्वर शिव मंदिर है।
 
===पौराणिक कथा===
 
===पौराणिक कथा===
 
[[शिव|भगवान शिव]] के नृत्य के समय उनके कुछ पार्षद्र भूत हँस पड़े। शंकर जी ने [[रुद्र]] होकर उन्हें अपने पार्षदत्व से पृथक कर दिया वे दुःखी होकर [[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] की शरण में गये। ब्रह्माजी ने उन्हें स्थल बतलाकर भगवान केशव की आराधना करने को कहा। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान केशवजी ने शंकरजी से अनुरोध करके उन्हें पार्षदत्व दिला दिया। भगवान ने वहाँ अनन्त सरोवर प्रगट किया था। भूतों ने उसमें स्नान करके शंकरजी की पूजा की। तब से इस तीर्थ का नाम भूतपुरी हो गया<ref> {{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= हिन्दूओं के तीर्थ स्थान|लेखक= सुदर्शन सिंह 'चक्र'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=|संकलन=|संपादन=|पृष्ठ संख्या=102|url=}}</ref>।  
 
[[शिव|भगवान शिव]] के नृत्य के समय उनके कुछ पार्षद्र भूत हँस पड़े। शंकर जी ने [[रुद्र]] होकर उन्हें अपने पार्षदत्व से पृथक कर दिया वे दुःखी होकर [[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] की शरण में गये। ब्रह्माजी ने उन्हें स्थल बतलाकर भगवान केशव की आराधना करने को कहा। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान केशवजी ने शंकरजी से अनुरोध करके उन्हें पार्षदत्व दिला दिया। भगवान ने वहाँ अनन्त सरोवर प्रगट किया था। भूतों ने उसमें स्नान करके शंकरजी की पूजा की। तब से इस तीर्थ का नाम भूतपुरी हो गया<ref> {{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= हिन्दूओं के तीर्थ स्थान|लेखक= सुदर्शन सिंह 'चक्र'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=|संकलन=|संपादन=|पृष्ठ संख्या=102|url=}}</ref>।  

Revision as of 06:57, 21 September 2016

shriperumbudoor (aangrezi: Sriperumbudur) dakshin bharat ke tamilanadu rajy mean sthit ek dharmik sthan hai. shriperumbudur ko bhootapur ya bhootapuri bhi kaha jata hai. chennee se 40 ki.mi. tatha trivellor steshan se 11 mil dakshin mean yah basti hai. chennee se yahaan ke lie bas jati haian.

darshaniy sthal

yah hinduoan ka prachin dharmik sthan hai. yah shriramanujachary ki janmabhoomi hai. yahaan ek sarovar hai jise anant sarovar kahate haian, usake samip shriramanujachary ka vishal mandir hai. doosara mandir yahaan keshav bhagavan ka hai. usamean sheshashayi moorti hai. usake bhitar lakshmi mandir tatha any aur bhi chhote mandir haian. usase tho di doori par yahaan ka sabase prachin bhooteshvar shiv mandir hai.

pauranik katha

bhagavan shiv ke nrity ke samay unake kuchh parshadr bhoot hans p de. shankar ji ne rudr hokar unhean apane parshadatv se prithak kar diya ve duahkhi hokar brahmaji ki sharan mean gaye. brahmaji ne unhean sthal batalakar bhagavan keshav ki aradhana karane ko kaha. unaki aradhana se prasann hokar bhagavan keshavaji ne shankaraji se anurodh karake unhean parshadatv dila diya. bhagavan ne vahaan anant sarovar pragat kiya tha. bhootoan ne usamean snan karake shankaraji ki pooja ki. tab se is tirth ka nam bhootapuri ho gaya[1].


tika tippani aur sandarbh

  1. hindoooan ke tirth sthan |lekhak: sudarshan sianh 'chakr' |prishth sankhya: 102 |

sanbandhit lekh