शिव चरण माथुर
शिव चरण माथुर
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पूरा नाम | शिव चरण माथुर |
जन्म | 14 फ़रवरी, 1927 |
जन्म भूमि | मध्य प्रदेश |
मृत्यु | 25 जून, 2009 |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस |
पद | भूतपूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान प्रथम बार- 14 जुलाई, 1981 से 23 फ़रवरी, 1985 तक |
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अन्य जानकारी | हरीदेव जोशी की विदाई के बाद शिव चरण माथुर 20 जनवरी, 1988 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। उनके इस कार्यकाल के दौरान नवंबर 1989 के अंत में लोकसभा चुनाव हुए। |
शिव चरण माथुर (अंग्रेज़ी: Shiv Charan Mathur, जन्म- 14 फ़रवरी, 1927, मध्य प्रदेश; मृत्यु- 25 जून, 2009, नई दिल्ली) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ तथा राजस्थान के दसवें मुख्यमंत्री थे। वे 14 जुलाई, 1981 से 23 फ़रवरी, 1985 तक और फिर 20 जनवरी, 1988 से 4 दिसंबर, 1989 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। आप असम के राज्यपाल भी रहे।
- दिग्गज कांग्रेस नेता और दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे शिव चरण माथुर के नाम अपने कार्यकाल में लोकसभा की सभी 25 सीटें जीतने और सभी सीटें हारने का रिकॉर्ड है।
- भीलवाड़ा नगरपालिका अध्यक्ष पद से अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले शिव चरण माथुर भीलवाड़ा के जिला प्रमुख, सांसद और राजस्थान सरकार में कई बार मंत्री रहे।
- हालांकि, शिव चरण माथुर का जन्म मध्य प्रदेश के गुना जिले के नाडीकानूगो गांव में हुआ था। लेकिन उनकी शिक्षा और कार्यक्षेत्र राजस्थान ही रहा।
- शिव चरण माथुर 14 जुलाई, 1981 को पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और 23 फ़रवरी, 1985 तक इस पद पर रहे। इस कार्यकाल के दौरान ही 1984 में लोकसभा के चुनाव हुए। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर ने राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को देश भर में ऐतिहासिक जीत दिलाई। राजस्थान में कांग्रेस ने क्लीन स्वीप करते हुए सभी 25 लोकसभा सीटें जीतीं। तब राजस्थान में ऐसा पहली बार हुआ, जब सभी 25 सीटें एक पार्टी के खाते में गई हों।
- मुख्यमंत्री पद से हरीदेव जोशी की विदाई के बाद शिव चरण माथुर 20 जनवरी, 1988 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। उनके इस कार्यकाल के दौरान नवंबर 1989 के अंत में लोकसभा चुनाव हुए।
- इस चुनाव में पिछले चुनावों के बिल्कुल उलट कांग्रेस सभी 25 सीटों पर चुनाव हार गई। भाजपा 13 और जनता दल 11 सीटों पर जीती जबकि बीकानेर सीट पर माकपा के श्योपत सिंह विजयी रहे। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की इस दुर्दशा पर शिव चरण माथुर ने 4 दिसंबर, 1989 को अपना इस्तीफा दे दिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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