सतीश शर्मा
सतीश शर्मा
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पूरा नाम | सतीश शर्मा |
जन्म | 11 अक्टूबर, 1947 |
जन्म भूमि | सिकंदराबाद, आंध्र प्रदेश |
मृत्यु | 17 फ़रवरी, 2021 |
मृत्यु स्थान | गोवा |
संतान | एक पुत्र, एक पुत्री |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस |
पद | केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री - 1993-1996 |
अन्य जानकारी | सतीश शर्मा पहली बार जून, 1986 में राज्यसभा सदस्य बने और बाद में राजीव गांधी के निधन के बाद 1991 में अमेठी से लोकसभा सदस्य चुने गए। |
सतीश शर्मा (अंग्रेज़ी: Satish C. Sharma, जन्म- 11 अक्टूबर, 1947, आंध्र प्रदेश; मृत्यु- 17 फ़रवरी, 2021, गोवा) कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री थे। भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबी सहयोगी रहे सतीश शर्मा 1993 से 1996 तक नरसिंह राव सरकार में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री थे। अस्सी के दशक में कैप्टन शर्मा को राजनीति में राजीव गांधी लेकर आए थे। सतीश शर्मा इंडियन एयरलाइंस के पायलट थे और उसी दौरान राजीव गांधी भी पायलट हुआ करते थे। जहाज को हवा में उड़ाने के दौरान ही कैप्टन शर्मा और राजीव गांधी के बीच दोस्ती परवान चढ़ी।
परिचय
कैप्टन सतीश शर्मा का जन्म 11 अक्टूबर, 1947 को सिकंदराबाद, आंध्र प्रदेश में हुआ था। उनकी पढ़ाई देहरादून के कर्नल ब्राउन कैंब्रिज स्कूल में हुई थी। इसके बाद उन्होंने पायलट के तौर पर ट्रेनिंग हासिल की थी और एयर इंडिया में नौकरी करने लगे। इसी दौरान राजीव गांधी से उनकी दोस्ती बनी जो मरते दम तक बरकरार रही। रायबरेली और अमेठी निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर चुके सतीश शर्मा तीन बार लोकसभा सदस्य चुने गए थे। वह तीन बार राज्यसभा सदस्य भी बने और उन्होंने मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया।[1]
राजनीति में आगमन
अस्सी के दशक में कैप्टन शर्मा को राजनीति में पूर्व पीएम राजीव गांधी लेकर आए थे। कैप्टन सतीश शर्मा एक इंडियन एयरलाइंस के पायलट थे और उसी दौरान राजीव गांधी भी पायलट हुआ करते थे। जहाज को हवा में उड़ाने के दौरान ही कैप्टन शर्मा और राजीव गांधी के बीच दोस्ती परवान चढ़ी। हालांकि, राजीव गांधी ने सियासत में अपने भाई संजय गांधी के निधन के बाद कदम रख दिया था, लेकिन कैप्टन सतीश शर्मा पायलट की नौकरी में ही लगे रहे। साल 1984 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या हो गई और राजीव गांधी देश के पीएम बने। ऐसे में राजीव गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी को देखने के लिए अपने विश्वसनीय मित्र कैप्टन सतीश शर्मा को जिम्मेदारी देने का मन बनाया। इसी के बाद कैप्टन शर्मा पायलट की नौकरी से इस्तीफा देकर राजीव गांधी को सलाह देने वाली कोर टीम का अहम हिस्सा बन गए।
राजीव गांधी के विश्वासपात्र
राजीव गांधी के पीएम रहते हुए उनके संसदीय क्षेत्र की सारी जिम्मेदारी कैप्टन सतीश शर्मा के कंधों पर रही। राजीव के पीएम रहते हुए अमेठी में विकास के कामों को जमीन पर उतारने में कैप्टन सतीश शर्मा की अहम भूमिका रही है। अस्सी के दशक के अंत तक आते-आते राजीव गांधी के तमाम साथी उनका साथ छोड़कर जनता दल का दामन थाम चुके थे। वी. पी. सिंह से लेकर अरुण नेहरू तक राजीव गांधी के खिलाफ नारे बुलंद कर रहे थे, लेकिन कैप्टन सतीश शर्मा ने साथ नहीं छोड़ा।
साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या हुई तो अमेठी से उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस ने कैप्टन सतीश शर्मा को मैदान में उतारा। हालांकि, राजीव गांधी इस सीट पर 1991 के चुनाव में जीत दर्ज कर चुके थे, लेकिन नतीजे आने से पहले उनकी हत्या हो गई। इसीलिए साल 1991 में दोबारा चुनाव हुए तो कैप्टन शर्मा रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की। हालांकि, कैप्टन सतीश शर्मा अपने मित्र व पूर्व पीएम राजीव गांधी के जीवन में ही मध्य प्रदेश से 1986 में राज्यसभा सदस्य बन गए थे।[1]
लोकसभा सदस्य
सतीश शर्मा पहली बार जून 1986 में राज्यसभा सदस्य बने और बाद में राजीव गांधी के निधन के बाद 1991 में अमेठी से लोकसभा सदस्य चुने गए और पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान 1993 में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री बने। इसके बाद दोबारा 1996 में अमेठी संसदीय सीट से सांसद चुने गए, लेकिन 1998 में डॉ। संजय सिंह के हाथों उन्हें करारी मात खानी पड़ी। इसके बाद सोनिया गांधी ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा तो कैप्टन शर्मा ने 1999 के लोकसभा चुनाव में उनके लिए अमेठी संसदीय सीट छोड़ दी।
साल 1999 के लोकसभा चुनाव में सतीश शर्मा ने गांधी परिवार की विरासत मानी जाने वाली रायबरेली सीट से किस्मत आजमाई। इस चुनाव में बीजेपी ने कैप्टन शर्मा के सामने नेहरू परिवार से आने वाले अरुण नेहरू को मैदान उतारा। अरुण नेहरू रिश्ते में राजीव गांधी के भाई लगते थे। 1999 लोकसभा चुनाव का प्रचार अपने शबाब पर था। दो चुनाव से यह सीट कांग्रेस हार रही थी और बीजेपी की जीत तय मानी जा रही थी। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन प्रियंका गांधी रायबरेली में उतरीं और सारी सियासी फिजा को कांग्रेस की तरफ मोड़ दिया।
मृत्यु
कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे कैप्टन सतीश शर्मा का निधन बुधवार के दिन 17 फ़रवरी, 2021 को गोवा में हुआ। 73 वर्षीय कैप्टन शर्मा कैंसर से पीड़ित थे और पिछले कुछ समय से बीमार थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 कांग्रेस का वो कैप्टन जो अमेठी-रायबरेली में संभाले रहा गांधी परिवार का क्राउन (हिंदी) aajtak.in। अभिगमन तिथि: 18 फ़रवरी, 2020।
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- प्रारम्भिक अवस्था
- राजनीतिज्ञ
- जीवनी साहित्य
- प्रसिद्ध व्यक्तित्व
- दसवीं लोकसभा सांसद
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- भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस
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