ताम्रलिप्ति: Difference between revisions
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Latest revision as of 10:56, 3 October 2011
यह प्राचीन बन्दरगाह नगर, भारत के पूर्वी समुद्र तट पर स्थित था। किंतु कालांतर में गंगा का मार्ग बदल जाने से समुद्र तट से दूर हो गया। वर्तमान में इस स्थान पर पश्चिम बंगाल के मिदनापुर ज़िले में रुपानारायन नदी एवं हुगली नदी के संगम से लगभग 19.3 किलोमीटर ऊपर तामलुक नगर स्थित है। कनिंघम ने भी ऐसा माना है। इसे प्राचीनकाल में ताम्रलिप्त, ताम्रलिप्तक, दामलिप्त आदि नामों से जाना जाता था। उस युग में इसकी प्रसिद्धि व्यापार, वाणिज्य, शिक्षा एवं बौद्ध धर्म के केन्द्र होने की वजह से थी।
इतिहास
- 'दशकुमारचरित' से पता चलता है कि लंका, यूनान, जावा तथा चीन जाने वाले व्यापारी इसी बन्दरगाह से यात्राएँ करते थे। पाटलिपुत्र से तामलुक सड़क मार्ग द्वारा सीधा जुड़ा होने से इसका बड़ा महत्त्व था। 200 ई.पू. से 300 ई. तक के काल में इस बन्दरगाह ने भारत तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच सम्बन्धों को स्थापित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। ‘महावंश’ से यह ज्ञात होता है कि अशोक के धर्म प्रचारकों ने लंका के लिए इसी बन्दरगाह से प्रस्थान किया था। इस नगर की व्यापारिक महत्ता चीनी यात्री इत्सिंग के विवरणों के साथ-साथ भारतीय ग्रंथों में भी मिलती है। इत्सिंग लिखता है कि चीन तथा भारत का व्यापार इस पोताश्रय के माध्यम से किया जाता था। स्वयं इत्सिंग भी इस बन्दरगाह पर रुका था।
- प्रसिद्ध चीनी यात्री फ़ाह्यान, जिसने 401 से 410 ई. के बीच भारत का भ्रमण किया था, यहीं से जलपोत पर सवार होकर स्वदेश वापस गया था। ताम्रलिप्ति में पाँचवीं सदी ईसा पूर्व से ही एक प्रसिद्ध महाविद्यालय स्थापित हो चुका था। फ़ाह्यान, युवानच्वांग, इत्सिंग आदि चीनी यात्रियों ने यहाँ ठहर कर भारतीय ज्ञान- विज्ञान का अध्ययन किया था। फ़ाह्यान के समय यहाँ 24 विहार थे, जिनमें दो सहस्त्र भिक्षु निवास करते थे। सातवीं सदी में युवानच्वांग ने यहाँ केवल 10 विहार और एक सहस्त्र भिक्षुओं का ही उल्लेख किया है। तत्पश्चात् इत्सिंग ने अपने भारत यात्रा वृत्तांत में इस महाविद्यालय का सविस्तार वर्णन किया है। वह नौ वर्ष तक यहाँ अध्ययन करता रहा। 1940 में पुरातत्त्व विभाग द्वारा तामलुक के प्राचीन स्थल पर उत्खनन कार्य किया गया। तामलुक में उपलब्ध नमूनों से कोई निश्चित तिथि बताना कठिन है, किंतु निश्यय ही ये मिस्र एवं भारतीय सम्बन्धों के साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।
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