वैदेही वनवास -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध': Difference between revisions
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{{सूचना बक्सा कविता | |||
|चित्र=Ayodhya-Singh-Upadhyay.jpg | |||
|चित्र का नाम=अयोध्यासिंह उपाध्याय | |||
|कवि=[[अयोध्यासिंह उपाध्याय|अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']] | |||
|जन्म=[[15 अप्रैल]], [[1865]] | |||
|जन्म स्थान=निज़ामाबाद, [[उत्तर प्रदेश]] | |||
|मृत्यु=[[16 मार्च]], [[1947]] | |||
|मृत्यु स्थान=निज़ामाबाद, [[उत्तर प्रदेश]] | |||
|मुख्य रचनाएँ='[[प्रियप्रवास -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'|प्रियप्रवास]]', '[[वैदेही वनवास -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'|वैदेही वनवास]]', '[[पारिजात -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'|पारिजात]]', '[[हरिऔध सतसई]]' | |||
|यू-ट्यूब लिंक= | |||
|शीर्षक 1=शैली | |||
|पाठ 1=[[खंडकाव्य]] | |||
|शीर्षक 2=कुल सर्ग | |||
|पाठ 2=18 | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
}} | |||
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| {{वैदेही वनवास}} | |||
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'''वैदेही वनवास''' [[अयोध्यासिंह उपाध्याय|अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']] का प्रसिद्ध [[खण्डकाव्य]] है। इसका प्रकाशन '[[प्रियप्रवास -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'|प्रियप्रवास]]' के प्रकाशन के कोई 26 [[वर्ष]] बाद [[1940]] ई. में हुआ। अब तक इसके चार संस्करण निकल चुके हैं। 'हरिऔध' कृत [[खड़ीबोली]] के इस दूसरे [[प्रबन्ध काव्य]] में [[राम|रामकथा]] के [[वैदेही|वैदेही वनवास]] प्रसंग को आधार बनाया गया है और [[करुण रस]] की निष्पत्ति कराई गयी है। किंतु इसमें 'प्रियप्रवास' की तुलना में बहुत कम लोकप्रियता मिल पायी है। यद्यपि इस कृति में कवि 'हरिऔध' ने यथासाध्य सरल तथा बोलचाल की [[भाषा]] अपनायी है।<ref>{{cite book | last =धीरेंद्र| first =वर्मा| title =हिंदी साहित्य कोश| edition =| publisher =| location =| language =हिंदी| pages =583| chapter =भाग- 2 पर आधारित}}</ref> | |||
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==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की कृतियाँ}} | |||
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वैदेही वनवास अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का प्रसिद्ध खण्डकाव्य है। इसका प्रकाशन 'प्रियप्रवास' के प्रकाशन के कोई 26 वर्ष बाद 1940 ई. में हुआ। अब तक इसके चार संस्करण निकल चुके हैं। 'हरिऔध' कृत खड़ीबोली के इस दूसरे प्रबन्ध काव्य में रामकथा के वैदेही वनवास प्रसंग को आधार बनाया गया है और करुण रस की निष्पत्ति कराई गयी है। किंतु इसमें 'प्रियप्रवास' की तुलना में बहुत कम लोकप्रियता मिल पायी है। यद्यपि इस कृति में कवि 'हरिऔध' ने यथासाध्य सरल तथा बोलचाल की भाषा अपनायी है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 2 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 583।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख