संविधान संशोधन- 11वाँ: Difference between revisions

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'''भारत का संविधान (11वाँ संशोधन) अधिनियम,1961'''
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'''भारत का संविधान (11वाँ संशोधन) अधिनियम, 1961'''
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*इस संशोधन का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 66 और 71 का इस दृष्टि से संशोधन करना था, जिसमें उपयुक्त निर्वाचकमंडल में किसी ख़ाली पद के आधार पर [[राष्ट्रपति]] और [[उपराष्ट्रपति]] के निर्वाचन को चुनौती न दी जा सके।
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संविधान संशोधन- 11वाँ
विवरण 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है।
संविधान लागू होने की तिथि 26 जनवरी, 1950
11वाँ संशोधन 1961
संबंधित लेख संविधान सभा
अन्य जानकारी 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है।

भारत का संविधान (11वाँ संशोधन) अधिनियम, 1961

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • इस संशोधन का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 66 और 71 का इस दृष्टि से संशोधन करना था, जिसमें उपयुक्त निर्वाचकमंडल में किसी ख़ाली पद के आधार पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को चुनौती न दी जा सके।
  • इस संशोधन को डॉ. खरे के मामले के पश्चात्त पारित किया गया था।
  • डॉ. खरे ने राष्ट्रपति के चुनाव को इसी आधार पर चुनौती दी थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख