रबाब: Difference between revisions

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'''रबाब''' एक [[वाद्य यंत्र]] है। सर्वप्रथम अहोबल के 'संगीत पारिजात' में रबाब का उल्लेख मिलता है।  
'''रबाब''' एक [[वाद्य यंत्र]] है। सर्वप्रथम अहोबल के 'संगीत पारिजात' में रबाब का उल्लेख मिलता है। रबाब मूल रूप से अफ़ग़ानिस्तान का एक संगीत वाद्य है लेकिन यह पड़ोसी देशों में भी बजाया जाता है। रबाब '''अरब''' शब्द से उत्पन्न है जिसका अर्थ होता है "धनुष के साथ खेला" जाने वाला लेकिन [[एशिया|मध्य एशिया]] में प्रयोग में लाया जाने वाला वाद्य निर्माण में अलग है। रुबाब पश्तून, ताजिक, कश्मीरी, और ईरान के कुर्द शास्त्रीय संगीतकारों द्वारा मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है
* इसका पेट [[सारंगी]] से कुछ लंबा त्रिभुजाकार तथा डेढ गुना गहरा होता है।  
* इसका पेट [[सारंगी]] से कुछ लंबा त्रिभुजाकार तथा डेढ गुना गहरा होता है।  
* [[शास्त्रीय संगीत]] का वर्तमान [[सरोद]] इसी का परिष्कृत रूप है।  
* [[शास्त्रीय संगीत]] का वर्तमान [[सरोद]] इसी का परिष्कृत रूप है।  
* इसमें तीन से सात तार तक होते है।  
* इसमें तीन से सात तार तक होते है।  
* रबाब [[अफगानिस्तान]] से [[पंजाब]] तक प्रचलित रहा है।  
* रबाब [[अफ़ग़ानिस्तान]] से [[पंजाब]] तक प्रचलित रहा है।  
* अनेक उष्कृष्ट रबाबियों की परम्परा में एक प्रतिष्ठित लोक-वाद्य के रूप इसकी ख्याति रही है।
* अनेक उष्कृष्ट रबाबियों की परम्परा में एक प्रतिष्ठित लोक-वाद्य के रूप इसकी ख्याति रही है।


==वीथिका==
==वीथिका==

Latest revision as of 14:35, 1 November 2014

तुर्की रबाब|thumb|150px रबाब एक वाद्य यंत्र है। सर्वप्रथम अहोबल के 'संगीत पारिजात' में रबाब का उल्लेख मिलता है। रबाब मूल रूप से अफ़ग़ानिस्तान का एक संगीत वाद्य है लेकिन यह पड़ोसी देशों में भी बजाया जाता है। रबाब अरब शब्द से उत्पन्न है जिसका अर्थ होता है "धनुष के साथ खेला" जाने वाला लेकिन मध्य एशिया में प्रयोग में लाया जाने वाला वाद्य निर्माण में अलग है। रुबाब पश्तून, ताजिक, कश्मीरी, और ईरान के कुर्द शास्त्रीय संगीतकारों द्वारा मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है

  • इसका पेट सारंगी से कुछ लंबा त्रिभुजाकार तथा डेढ गुना गहरा होता है।
  • शास्त्रीय संगीत का वर्तमान सरोद इसी का परिष्कृत रूप है।
  • इसमें तीन से सात तार तक होते है।
  • रबाब अफ़ग़ानिस्तान से पंजाब तक प्रचलित रहा है।
  • अनेक उष्कृष्ट रबाबियों की परम्परा में एक प्रतिष्ठित लोक-वाद्य के रूप इसकी ख्याति रही है।


वीथिका


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • पुस्तक- संगीत विशारद, पृष्ठ- 577

बाहरी कड़ियाँ

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