चंडप्रद्योत: Difference between revisions
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'''चंडप्रद्योत''' [[अवन्ती]] का राजा था, जो [[बुद्ध]] का समकालीन था। इसकी पुत्री | '''चंडप्रद्योत''' [[अवन्ती]] का राजा था, जो [[बुद्ध]] का समकालीन था। इसकी पुत्री वासवदत्ता से वत्सनरेश [[उदयन]] ने [[विवाह]] किया था, जिसका उल्लेख [[भास]] रचित '[[स्वप्नवासवदत्ता]]' नामक [[नाटक]] में है। | ||
*वासवदत्ता को अवन्ती से संबंधित मानते हुए एक स्थान पर नाटक 'स्वप्नवासवदत्ता' में कहा गया है कि- | *वासवदत्ता को अवन्ती से संबंधित मानते हुए एक स्थान पर नाटक 'स्वप्नवासवदत्ता' में कहा गया है कि- | ||
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*चतुर्थ शती ई. पू. में [[अवन्ती]] का जनपद [[मौर्य साम्राज्य]] में सम्मिलित था और [[उज्जयिनी]] [[मगध महाजनपद|मगध साम्राज्य]] के पश्चिम प्रांत की राजधानी थी। | *चतुर्थ शती ई. पू. में [[अवन्ती]] का जनपद [[मौर्य साम्राज्य]] में सम्मिलित था और [[उज्जयिनी]] [[मगध महाजनपद|मगध साम्राज्य]] के पश्चिम प्रांत की राजधानी थी। | ||
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Latest revision as of 08:30, 1 June 2016
चंडप्रद्योत अवन्ती का राजा था, जो बुद्ध का समकालीन था। इसकी पुत्री वासवदत्ता से वत्सनरेश उदयन ने विवाह किया था, जिसका उल्लेख भास रचित 'स्वप्नवासवदत्ता' नामक नाटक में है।
- वासवदत्ता को अवन्ती से संबंधित मानते हुए एक स्थान पर नाटक 'स्वप्नवासवदत्ता' में कहा गया है कि-
"हम्! अतिसदृशी खल्वियमार्याय अवंतिकाया:"[1]
- चतुर्थ शती ई. पू. में अवन्ती का जनपद मौर्य साम्राज्य में सम्मिलित था और उज्जयिनी मगध साम्राज्य के पश्चिम प्रांत की राजधानी थी।
- इससे पूर्व मगध और अवन्ती का संघर्ष पर्याप्त समय तक चलता रहा था, जिसकी सूचना 'परिशिष्टपर्वन्'[2] से मिलती है।
- 'कथासरित्सागर'[3] से यह भी ज्ञात होता है कि अवन्तीराज चंडप्रद्योत के पुत्र पालक ने कौशांबी को अपने राज्य में मिला लिया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अंक 6.
- ↑ परिशिष्टपर्वन् (पृ. 42
- ↑ कथासरित्सागर (टॉनी का अनुवाद जिल्द 2, पृ. 484