गुजरात की जलवायु: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "ref>(" to "ref>")
m (Text replacement - "ह्रदय" to "हृदय")
 
(3 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 5: Line 5:
दक्षिणी गुजरात में भरूच और सूरत ज़िले अपनी उर्वर मिट्टी और उच्च क़िस्म की [[कपास]] की फ़सलों के लिए प्रसिद्ध हैं। तापी नदी पूर्व दिशा से गहरी खाइयों से होकर सूरत से गुज़रती है। दक्षिणी गुजरात का पूर्वी हिस्सा पहाड़ी है। वास्तव में, पश्चिमी घाट के उत्तरी विस्तार के कारण वर्षायुक्त ग्रीष्म मानसूनी हवाओं से अत्यधिक बारिश होती है। इससे आगे दक्षिण में पर्वत वनाच्छादित हैं। इसी क्षेत्र में छोटा डेंग ज़िला है। तटीय मैदानों में जलवायु में लगभग समानता रहती है यहाँ 2,000 मिमी के लगभग वर्षा होती है।
दक्षिणी गुजरात में भरूच और सूरत ज़िले अपनी उर्वर मिट्टी और उच्च क़िस्म की [[कपास]] की फ़सलों के लिए प्रसिद्ध हैं। तापी नदी पूर्व दिशा से गहरी खाइयों से होकर सूरत से गुज़रती है। दक्षिणी गुजरात का पूर्वी हिस्सा पहाड़ी है। वास्तव में, पश्चिमी घाट के उत्तरी विस्तार के कारण वर्षायुक्त ग्रीष्म मानसूनी हवाओं से अत्यधिक बारिश होती है। इससे आगे दक्षिण में पर्वत वनाच्छादित हैं। इसी क्षेत्र में छोटा डेंग ज़िला है। तटीय मैदानों में जलवायु में लगभग समानता रहती है यहाँ 2,000 मिमी के लगभग वर्षा होती है।


गुजरात में वनक्षेत्र मात्र 10 प्रतिशत है, जो मानवीय गतिविधियों के साथ-साथ कम वर्षा को प्रतिबिंबत करती है। अपेक्षाकृत शुष्क क्षेत्रों में झाड़ीदार जंगल पाए जाते हैं, जहाँ बबूल अकाकिया, करील, भारतीय बेर और दातुनी झाड़ियां<ref>सेल्वाडोर पर्सिका)</ref> पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हैं। 1,016 मिमी वार्षिक वर्षा दर वाली काठियावाड़ उच्चभूमि और पूर्वोत्तर मुख्यभूमि में सागौन, कत्था, गोंद (बैकलीगम), कीली वृक्ष और बंगाल किनो<ref> (ब्यूटिया गम)</ref> जैसे पर्णपाती वृक्ष पाए जाते हैं। पर्णपाती वन अपेक्षाकृत नम दक्षिणी और पूर्वी पहाड़ियों में केन्द्रित हैं। इनसे मुलायम टोमेंटोसा (घन-रोम), वेंगाई पादौक (महोगनी जैसा), मालाबार सीमल और ह्रदयाकार पत्तियों वाले अदीना जैसी कीमती लकड़ियां प्राप्त होती है। काठियावाड़ का पश्चिमी तट [[शैवाल]] के लिए जाना जाता है, जबकि पूर्वी तट से पपाइरस या पटेरा पौधा (साइपेरस पपाइरस) पाया जाता है।
गुजरात में वनक्षेत्र मात्र 10 प्रतिशत है, जो मानवीय गतिविधियों के साथ-साथ कम वर्षा को प्रतिबिंबत करती है। अपेक्षाकृत शुष्क क्षेत्रों में झाड़ीदार जंगल पाए जाते हैं, जहाँ बबूल अकाकिया, करील, भारतीय बेर और दातुनी झाड़ियां<ref>सेल्वाडोर पर्सिका</ref> पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हैं। 1,016 मिमी वार्षिक वर्षा दर वाली काठियावाड़ उच्चभूमि और पूर्वोत्तर मुख्यभूमि में सागौन, कत्था, गोंद (बैकलीगम), कीली वृक्ष और बंगाल किनो<ref>ब्यूटिया गम</ref> जैसे पर्णपाती वृक्ष पाए जाते हैं। पर्णपाती वन अपेक्षाकृत नम दक्षिणी और पूर्वी पहाड़ियों में केन्द्रित हैं। इनसे मुलायम टोमेंटोसा (घन-रोम), वेंगाई पादौक (महोगनी जैसा), मालाबार सीमल और हृदयाकार पत्तियों वाले अदीना जैसी कीमती लकड़ियां प्राप्त होती है। काठियावाड़ का पश्चिमी तट [[शैवाल]] के लिए जाना जाता है, जबकि पूर्वी तट से पपाइरस या पटेरा पौधा (साइपेरस पपाइरस) पाया जाता है।


[[काठियावाड़]] के [[गिर राष्ट्रीय उद्यान]] में एशियाई प्रजाति की एकमात्र जाति भारतीय [[सिंह]] है। कच्छ के छोटे रण के पास एक अभयारण्य में शेष बचे हुए भारतीय जंगली गधे पाए जाते हैं। [[अहमदाबाद]] के निकट का नलसरोवर पक्षी अभयारण्य साइबेरिया के मैदानों व अन्य स्थानों से शीत ऋतु में लगभग 140 प्रकार के प्रवासी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इनमें सारस, ब्राह्मणी बत्तख़, सोनचिरैया, पेलिकन, पनकौवा, आइबिस, लकलक (स्टॉर्क), बगुला और वक शामिल हैं। [[भारत]] में [[कच्छ का रण]] हंसावर (फ़्लेमिंगौ) का एकमात्र प्रजनन स्थल है। गुजरात में समुद्री और मीठे पानी की [[मछली|मछलियां]] पकड़ी जाती हैं। पकड़ी जाने वाली मछलियों में पॉम्फ़्रे सॉलमन, हिल्सा, ज्यूफ़िश (साइएना), झींगा, बॉम्बे डक (खाद्य मछली) और ट्यूना मछली शामिल हैं।
[[काठियावाड़]] के [[गिर राष्ट्रीय उद्यान]] में एशियाई प्रजाति की एकमात्र जाति भारतीय [[सिंह]] है। कच्छ के छोटे रण के पास एक अभयारण्य में शेष बचे हुए भारतीय जंगली गधे पाए जाते हैं। [[अहमदाबाद]] के निकट का नलसरोवर पक्षी अभयारण्य साइबेरिया के मैदानों व अन्य स्थानों से शीत ऋतु में लगभग 140 प्रकार के प्रवासी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इनमें [[सारस]], ब्राह्मणी बत्तख़, सोनचिरैया, पेलिकन, पनकौवा, आइबिस, लकलक (स्टॉर्क), बगुला और वक शामिल हैं। [[भारत]] में [[कच्छ का रण]] हंसावर (फ़्लेमिंगौ) का एकमात्र प्रजनन स्थल है। गुजरात में समुद्री और मीठे पानी की [[मछली|मछलियां]] पकड़ी जाती हैं। पकड़ी जाने वाली मछलियों में पॉम्फ़्रे सॉलमन, हिल्सा, ज्यूफ़िश (साइएना), झींगा, बॉम्बे डक (खाद्य मछली) और ट्यूना मछली शामिल हैं।


{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

Latest revision as of 09:56, 24 February 2017

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

[[चित्र:Gir-Forest-National-Park-3.jpg|thumb|250px|गिर वन राष्ट्रीय उद्यान]] मध्य गुजरात के दक्षिणी हिस्से में वर्षा दर अधिक और तापमान में अंतर कम है; और मिट्टी ज़्यादा उपजाऊ है, जो अंशत: दक्कन क्षेत्र के बैसाल्ट चट्टानों से व्युत्पन्न हुई है। इस क्षेत्र का केन्द्र वडोदरा (बड़ौदा) शहर है, जो पहले एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य की राजधानी था और जिसका दक्षिणी हिस्सा अब वडोदरा ज़िला है। यहाँ की महत्त्वपूर्ण नदी नर्मदा है, जो खंभात की खाड़ी में गिरती है। नर्मदा और तापी (ताप्ती) नदी द्वारा गाद जमा किए जाने के कारण खंभात की खाड़ी की गहराई कम हो गई है और यहाँ के भूतपूर्व बंदरगाहों का पतन हो गया।

दक्षिणी गुजरात में भरूच और सूरत ज़िले अपनी उर्वर मिट्टी और उच्च क़िस्म की कपास की फ़सलों के लिए प्रसिद्ध हैं। तापी नदी पूर्व दिशा से गहरी खाइयों से होकर सूरत से गुज़रती है। दक्षिणी गुजरात का पूर्वी हिस्सा पहाड़ी है। वास्तव में, पश्चिमी घाट के उत्तरी विस्तार के कारण वर्षायुक्त ग्रीष्म मानसूनी हवाओं से अत्यधिक बारिश होती है। इससे आगे दक्षिण में पर्वत वनाच्छादित हैं। इसी क्षेत्र में छोटा डेंग ज़िला है। तटीय मैदानों में जलवायु में लगभग समानता रहती है यहाँ 2,000 मिमी के लगभग वर्षा होती है।

गुजरात में वनक्षेत्र मात्र 10 प्रतिशत है, जो मानवीय गतिविधियों के साथ-साथ कम वर्षा को प्रतिबिंबत करती है। अपेक्षाकृत शुष्क क्षेत्रों में झाड़ीदार जंगल पाए जाते हैं, जहाँ बबूल अकाकिया, करील, भारतीय बेर और दातुनी झाड़ियां[1] पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हैं। 1,016 मिमी वार्षिक वर्षा दर वाली काठियावाड़ उच्चभूमि और पूर्वोत्तर मुख्यभूमि में सागौन, कत्था, गोंद (बैकलीगम), कीली वृक्ष और बंगाल किनो[2] जैसे पर्णपाती वृक्ष पाए जाते हैं। पर्णपाती वन अपेक्षाकृत नम दक्षिणी और पूर्वी पहाड़ियों में केन्द्रित हैं। इनसे मुलायम टोमेंटोसा (घन-रोम), वेंगाई पादौक (महोगनी जैसा), मालाबार सीमल और हृदयाकार पत्तियों वाले अदीना जैसी कीमती लकड़ियां प्राप्त होती है। काठियावाड़ का पश्चिमी तट शैवाल के लिए जाना जाता है, जबकि पूर्वी तट से पपाइरस या पटेरा पौधा (साइपेरस पपाइरस) पाया जाता है।

काठियावाड़ के गिर राष्ट्रीय उद्यान में एशियाई प्रजाति की एकमात्र जाति भारतीय सिंह है। कच्छ के छोटे रण के पास एक अभयारण्य में शेष बचे हुए भारतीय जंगली गधे पाए जाते हैं। अहमदाबाद के निकट का नलसरोवर पक्षी अभयारण्य साइबेरिया के मैदानों व अन्य स्थानों से शीत ऋतु में लगभग 140 प्रकार के प्रवासी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इनमें सारस, ब्राह्मणी बत्तख़, सोनचिरैया, पेलिकन, पनकौवा, आइबिस, लकलक (स्टॉर्क), बगुला और वक शामिल हैं। भारत में कच्छ का रण हंसावर (फ़्लेमिंगौ) का एकमात्र प्रजनन स्थल है। गुजरात में समुद्री और मीठे पानी की मछलियां पकड़ी जाती हैं। पकड़ी जाने वाली मछलियों में पॉम्फ़्रे सॉलमन, हिल्सा, ज्यूफ़िश (साइएना), झींगा, बॉम्बे डक (खाद्य मछली) और ट्यूना मछली शामिल हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सेल्वाडोर पर्सिका
  2. ब्यूटिया गम

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख