अक्का महादेवी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - " महान " to " महान् ") |
||
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''अक्का महादेवी''' [[वीरशैव संप्रदाय|वीरशैव धर्म]] से सम्बंधित एक प्रसिद्ध महिला संत थीं। ये बारहवीं [[शताब्दी]] में हुई थीं। इनके वचन कन्नड़ गद्य में भक्ति [[कविता]] में ऊंचा योगदान माने जाते हैं। अक्का महादेवी ने कुल मिलाकर लगभग 430 वचन कहे थे, जो अन्य समकालीन [[संत|संतों]] के वचनों की अपेक्षा कम हैं। इन्हें वीरशैव धर्म के अन्य संतों, जैसे- [[बसव]], चेन्न बसव, किन्नरी बोम्मैया, सिद्धर्मा, अलामप्रभु एवं दास्सिमैय्या द्वारा उच्च स्थान दिया गया था। | '''अक्का महादेवी''' [[वीरशैव संप्रदाय|वीरशैव धर्म]] से सम्बंधित एक प्रसिद्ध महिला संत थीं। ये बारहवीं [[शताब्दी]] में हुई थीं। इनके वचन कन्नड़ गद्य में भक्ति [[कविता]] में ऊंचा योगदान माने जाते हैं। अक्का महादेवी ने कुल मिलाकर लगभग 430 वचन कहे थे, जो अन्य समकालीन [[संत|संतों]] के वचनों की अपेक्षा कम हैं। इन्हें वीरशैव धर्म के अन्य संतों, जैसे- [[बसव]], चेन्न बसव, किन्नरी बोम्मैया, सिद्धर्मा, अलामप्रभु एवं दास्सिमैय्या द्वारा उच्च स्थान दिया गया था। | ||
{{tocright}} | {{tocright}} | ||
== | ==जन्म== | ||
अक्का महादेवी [[शिव]] की [[भक्त]] थीं। शिव को वह अपने पति के रूप में देखती थीं। बचपन से ही उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से शिव के प्रति समर्पित कर दिया था। जब वह युवा हुईं तो | अक्का महादेवी का जन्म 12वीं [[शताब्दी]] में [[दक्षिण भारत]] के [[कर्णाटक|कर्णाटक राज्य]] में 'उदुतदी' नामक स्थान पर हुआ। वे एक महान् शिव भक्त थीं। 10 वर्ष की आयु में ही उन्हें शिवमंत्र में दीक्षा प्राप्त हुई थी। अक्का महादेवी ने अपने सलोने प्रभु का सजीव चित्रण अनेकों कविताओं में किया है। उनका कहना था कि वे केवल नाम मात्र को एक स्त्री हैं, किन्तु उनका देह, मन, [[आत्मा]] सब [[शिव]] का है। | ||
==विवाह== | |||
अक्का महादेवी [[शिव]] की [[भक्त]] थीं। शिव को वह अपने पति के रूप में देखती थीं। बचपन से ही उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से शिव के प्रति समर्पित कर दिया था। जब वह युवा हुईं तो स्थानीय जैन राजा कौशिक, अक्का महादेवी के अप्रतिम सौन्दर्य पर मुग्ध हो गया। [[परिवार]] के लोग [[विवाह संस्कार|विवाह]] के लिए सहमत हो गए, क्योंकि राजा के कोप का भाजन परिवार वाले नहीं बनना चाहते थे।<ref>{{cite web |url= http://eranjanisharmaanjani.blogspot.in/2013/06/akka-mahadevi.html|title=अक्का महादेवी |accessmonthday= 19 दिसम्बर|accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ErAnjaniSharmaAnjani's Blog |language= हिन्दी}}</ref> | |||
====महल से निष्कासित==== | ====महल से निष्कासित==== | ||
अक्का महादेवी | अक्का महादेवी ने राजा से विवाह तो कर लिया, किंतु उसे शारीरिक रूप से दूर ही रखा। उनका कहना था कि उनका विवाह पहले ही शिव से हो चुका है। राजा उनसे कई तरीकों से प्रेम निवेदन करता रहा, लेकिन हर बार वह शिव से विवाह की बात को दोहरातीं। एक दिन राजा ने सोचा कि ऐसी पत्नी को रखने का कोई मतलब नहीं है। ऐसी पत्नी के साथ भला कोई कैसे रह सकता है, जिसने किसी अदृश्य व अनजाने व्यक्ति से विवाह किया हुआ है। उन दिनों औपचारिक रूप से तलाक नहीं होते थे। किंतु राजा परेशान रहने लगा। उसे समझ नही आ रहा था कि वह क्या करे। उसने अक्का को अपनी राजसभा में बुलाया और राजसभा से फैसला करने को कहा। जब सभा में अक्का महादेवी से पूछा गया तो वह यही कहती रहीं कि उनके पति कहीं और हैं।<ref name="aa">{{cite web |url= http://www.ishafoundation.org/blog/hi/yog-dhyan/yog-gatha/shiv-ki-prem-deewani-akka-mahadevi/|title= शिव की प्रेम दीवानी अक्का महादेवी|accessmonthday= 19 दिसम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= इशा हिन्दी ब्लॉग|language= हिन्दी}}</ref> | ||
राजा और भी क्रोध में आ गया, क्योंकि इतने सारे लोगों के सामने उसकी पत्नी कह रही थी कि उसका पति कहीं और है। आठ सौ साल पहले किसी राजा के लिए यह सहन करना कोई आसान बात नहीं थी। समाज में ऐसी बातों का सामना करना आसान नहीं था। राजा ने कहा, "अगर तुम्हारा विवाह किसी और के साथ हो चुका है तो तुम मेरे साथ क्या कर रही हो? चली जाओ।" राजा के ऐसे आदेश से अक्का महादेवी वहाँ से चल पड़ीं। जब राजा ने देखा कि अक्का बिना किसी परेशानी के उसे छोड़कर जा रही है, तो क्रोध के कारण उसके मन में नीचता आ गई। उसने कहा, "तुमने जो कुछ भी पहना हुआ है, [[आभूषण]], कपड़े, सब कुछ मेरा है। यह सब यहीं छोड़ दो और तब जाओ।" लोगों से भरी राजसभा में सत्रह-अठ्ठारह साल की युवती अक्का महादेवी ने अपने सभी वस्त्र उतार दिए और वहां से निर्वस्त्र ही चल पड़ीं। उस दिन के बाद से अक्का महादेवी ने वस्त्र पहनने से इनकार कर दिया। बहुत-से लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि उन्हें वस्त्र पहनने चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें ही परेशानी हो सकती है, लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।<ref name="aa"/> | राजा और भी क्रोध में आ गया, क्योंकि इतने सारे लोगों के सामने उसकी पत्नी कह रही थी कि उसका पति कहीं और है। आठ सौ साल पहले किसी राजा के लिए यह सहन करना कोई आसान बात नहीं थी। समाज में ऐसी बातों का सामना करना आसान नहीं था। राजा ने कहा, "अगर तुम्हारा विवाह किसी और के साथ हो चुका है तो तुम मेरे साथ क्या कर रही हो? चली जाओ।" राजा के ऐसे आदेश से अक्का महादेवी वहाँ से चल पड़ीं। जब राजा ने देखा कि अक्का बिना किसी परेशानी के उसे छोड़कर जा रही है, तो क्रोध के कारण उसके मन में नीचता आ गई। उसने कहा, "तुमने जो कुछ भी पहना हुआ है, [[आभूषण]], कपड़े, सब कुछ मेरा है। यह सब यहीं छोड़ दो और तब जाओ।" लोगों से भरी राजसभा में सत्रह-अठ्ठारह साल की युवती अक्का महादेवी ने अपने सभी वस्त्र उतार दिए और वहां से निर्वस्त्र ही चल पड़ीं। उस दिन के बाद से अक्का महादेवी ने वस्त्र पहनने से इनकार कर दिया। बहुत-से लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि उन्हें वस्त्र पहनने चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें ही परेशानी हो सकती है, लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।<ref name="aa"/> | ||
==निधन== | ==निधन== | ||
अक्का महादेवी पूरे जीवन निर्वस्त्र ही रहीं और एक | अक्का महादेवी पूरे जीवन निर्वस्त्र ही रहीं और एक महान् [[संत]] के रूप में जानी गईं। उनका निधन कम उम्र में ही हो गया था, लेकिन इतने कम समय में ही उन्होंने [[शिव]] और उनके प्रति अपनी [[भक्ति]] के बारे में सैकड़ों खूबसूरत [[कविता|कविताएं]] लिखीं। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
Line 15: | Line 17: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भारत के संत}} | {{भारत के संत}} | ||
[[Category:कवियित्री]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:कथा साहित्य कोश]] | [[Category:धर्म प्रवर्तक और संत]][[Category:कवियित्री]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:कथा साहित्य कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 14:08, 30 June 2017
अक्का महादेवी वीरशैव धर्म से सम्बंधित एक प्रसिद्ध महिला संत थीं। ये बारहवीं शताब्दी में हुई थीं। इनके वचन कन्नड़ गद्य में भक्ति कविता में ऊंचा योगदान माने जाते हैं। अक्का महादेवी ने कुल मिलाकर लगभग 430 वचन कहे थे, जो अन्य समकालीन संतों के वचनों की अपेक्षा कम हैं। इन्हें वीरशैव धर्म के अन्य संतों, जैसे- बसव, चेन्न बसव, किन्नरी बोम्मैया, सिद्धर्मा, अलामप्रभु एवं दास्सिमैय्या द्वारा उच्च स्थान दिया गया था।
जन्म
अक्का महादेवी का जन्म 12वीं शताब्दी में दक्षिण भारत के कर्णाटक राज्य में 'उदुतदी' नामक स्थान पर हुआ। वे एक महान् शिव भक्त थीं। 10 वर्ष की आयु में ही उन्हें शिवमंत्र में दीक्षा प्राप्त हुई थी। अक्का महादेवी ने अपने सलोने प्रभु का सजीव चित्रण अनेकों कविताओं में किया है। उनका कहना था कि वे केवल नाम मात्र को एक स्त्री हैं, किन्तु उनका देह, मन, आत्मा सब शिव का है।
विवाह
अक्का महादेवी शिव की भक्त थीं। शिव को वह अपने पति के रूप में देखती थीं। बचपन से ही उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से शिव के प्रति समर्पित कर दिया था। जब वह युवा हुईं तो स्थानीय जैन राजा कौशिक, अक्का महादेवी के अप्रतिम सौन्दर्य पर मुग्ध हो गया। परिवार के लोग विवाह के लिए सहमत हो गए, क्योंकि राजा के कोप का भाजन परिवार वाले नहीं बनना चाहते थे।[1]
महल से निष्कासित
अक्का महादेवी ने राजा से विवाह तो कर लिया, किंतु उसे शारीरिक रूप से दूर ही रखा। उनका कहना था कि उनका विवाह पहले ही शिव से हो चुका है। राजा उनसे कई तरीकों से प्रेम निवेदन करता रहा, लेकिन हर बार वह शिव से विवाह की बात को दोहरातीं। एक दिन राजा ने सोचा कि ऐसी पत्नी को रखने का कोई मतलब नहीं है। ऐसी पत्नी के साथ भला कोई कैसे रह सकता है, जिसने किसी अदृश्य व अनजाने व्यक्ति से विवाह किया हुआ है। उन दिनों औपचारिक रूप से तलाक नहीं होते थे। किंतु राजा परेशान रहने लगा। उसे समझ नही आ रहा था कि वह क्या करे। उसने अक्का को अपनी राजसभा में बुलाया और राजसभा से फैसला करने को कहा। जब सभा में अक्का महादेवी से पूछा गया तो वह यही कहती रहीं कि उनके पति कहीं और हैं।[2]
राजा और भी क्रोध में आ गया, क्योंकि इतने सारे लोगों के सामने उसकी पत्नी कह रही थी कि उसका पति कहीं और है। आठ सौ साल पहले किसी राजा के लिए यह सहन करना कोई आसान बात नहीं थी। समाज में ऐसी बातों का सामना करना आसान नहीं था। राजा ने कहा, "अगर तुम्हारा विवाह किसी और के साथ हो चुका है तो तुम मेरे साथ क्या कर रही हो? चली जाओ।" राजा के ऐसे आदेश से अक्का महादेवी वहाँ से चल पड़ीं। जब राजा ने देखा कि अक्का बिना किसी परेशानी के उसे छोड़कर जा रही है, तो क्रोध के कारण उसके मन में नीचता आ गई। उसने कहा, "तुमने जो कुछ भी पहना हुआ है, आभूषण, कपड़े, सब कुछ मेरा है। यह सब यहीं छोड़ दो और तब जाओ।" लोगों से भरी राजसभा में सत्रह-अठ्ठारह साल की युवती अक्का महादेवी ने अपने सभी वस्त्र उतार दिए और वहां से निर्वस्त्र ही चल पड़ीं। उस दिन के बाद से अक्का महादेवी ने वस्त्र पहनने से इनकार कर दिया। बहुत-से लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि उन्हें वस्त्र पहनने चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें ही परेशानी हो सकती है, लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।[2]
निधन
अक्का महादेवी पूरे जीवन निर्वस्त्र ही रहीं और एक महान् संत के रूप में जानी गईं। उनका निधन कम उम्र में ही हो गया था, लेकिन इतने कम समय में ही उन्होंने शिव और उनके प्रति अपनी भक्ति के बारे में सैकड़ों खूबसूरत कविताएं लिखीं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अक्का महादेवी (हिन्दी) ErAnjaniSharmaAnjani's Blog। अभिगमन तिथि: 19 दिसम्बर, 2014।
- ↑ 2.0 2.1 शिव की प्रेम दीवानी अक्का महादेवी (हिन्दी) इशा हिन्दी ब्लॉग। अभिगमन तिथि: 19 दिसम्बर, 2014।