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'''महारानी दिद्दा''' (958 ई. - 1003 ई.) [[कश्मीर]] की महारानी थी। महारानी दिद्दा, [[लोहार वंश]] के राजा सिंहराज की पुत्री और [[काबुल]] के [[हिन्दुशाही वंश|हिन्दू शाही]] भीम शाही की पोत्री थी। रानी दिद्दा का विवाह क्षेमेन्द्र गुप्त से हुआ।  1003 ई. में दिद्दा की मुत्यु के बाद संग्रामराज गद्दी पर बैठा।  
==ऐतिहासिक उल्लेख==
==ऐतिहासिक उल्लेख==
प्राचीन संस्कृत कवि [[कल्हण]] ने कश्मीर के इतिहास की सबसे शक्तिशाली महिला शासक दिद्दा का उल्लेख किया है, जो 950-958 ईस्वी में राजा क्षेमगुप्त की पत्नी थी और शारीरिक रूप से कमज़ोर पति के कारण उसी ने सत्ता का पूरी तरह उपयोग किया। वह पति की मृत्यु के बाद सिंहासन पर बैठी और उसने एक साफ़ सुथरा शासन देने की कोशिश करते हुए भ्रष्ट मंत्रियों और यहां तक कि अपने प्रधानमंत्री को भी बर्खास्त कर दिया। लेकिन दिद्दा को सत्ता और वासना की ऐसी भूख थी, जिसके चलते उसने अपने ही पुत्रों को मरवा दिया। वह पुंछ के एक ग्वाले तुंगा से प्रेम करती थी, जिसे उसने प्रधानमंत्री बना दिया। इतिहास का ऐसा वर्णन सिवा कल्हण के किसी और संस्कृत कवि ने नहीं किया।<ref>{{cite web |url=http://prempoet.blogspot.in/2009/02/blog-post_16.html |title=कल्हण की राजतरंगिणी |accessmonthday=18 नवम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=प्रेम का दरिया (ब्लॉग) |language=हिन्दी }}</ref>
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Latest revision as of 14:41, 7 July 2017

दिद्दा
पूरा नाम महारानी दिद्दा
जन्म 958 ई.
मृत्यु तिथि 1003 ई.
पिता/माता पिता- राजा सिंहराज
पति/पत्नी क्षेमेन्द्र गुप्त
संतान संग्रामराज[1]
उपाधि कश्मीर की महारानी
शासन 979 ई. – 1003 ई.
वंश लोहार वंश
अन्य जानकारी प्राचीन संस्कृत कवि कल्हण ने कश्मीर के इतिहास की सबसे शक्तिशाली महिला शासक दिद्दा का उल्लेख किया है।

महारानी दिद्दा (958 ई. - 1003 ई.) कश्मीर की महारानी थी। महारानी दिद्दा, लोहार वंश के राजा सिंहराज की पुत्री और काबुल के हिन्दू शाही भीम शाही की पोत्री थी। रानी दिद्दा का विवाह क्षेमेन्द्र गुप्त से हुआ। 1003 ई. में दिद्दा की मुत्यु के बाद संग्रामराज गद्दी पर बैठा।

ऐतिहासिक उल्लेख

प्राचीन संस्कृत कवि कल्हण ने कश्मीर के इतिहास की सबसे शक्तिशाली महिला शासक दिद्दा का उल्लेख किया है, जो 950-958 ईस्वी में राजा क्षेमगुप्त की पत्नी थी और शारीरिक रूप से कमज़ोर पति के कारण उसी ने सत्ता का पूरी तरह उपयोग किया। वह पति की मृत्यु के बाद सिंहासन पर बैठी और उसने एक साफ़ सुथरा शासन देने की कोशिश करते हुए भ्रष्ट मंत्रियों और यहां तक कि अपने प्रधानमंत्री को भी बर्खास्त कर दिया। लेकिन दिद्दा को सत्ता और वासना की ऐसी भूख थी, जिसके चलते उसने अपने ही पुत्रों को मरवा दिया। वह पुंछ के एक ग्वाले तुंगा से प्रेम करती थी, जिसे उसने प्रधानमंत्री बना दिया। इतिहास का ऐसा वर्णन सिवा कल्हण के किसी और संस्कृत कवि ने नहीं किया।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संग्रामराज, महारानी दिद्दा का गोद लिया हुआ पुत्र था
  2. कल्हण की राजतरंगिणी (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) प्रेम का दरिया (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 18 नवम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

  1. REDIRECT साँचा:रानियाँ और महारानियाँ