आकाशवाणी लखनऊ: Difference between revisions

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==प्रसिद्ध कलाकारों का शुरुआती केंद्र==
==प्रसिद्ध कलाकारों का शुरुआती केंद्र==
आकाशवाणी लखनऊ केंद्र के अपर महानिदेशक गुलाब चंद ने आईएएनएस से एक बातचीत के दौरान कहा था कि- "हिंदुस्तानी संगीत के प्रचार-प्रसार और संरक्षण में आकाशवाणी के इस केंद्र ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। [[संगीत]] जगत के अधिकांश शीर्ष कलाकार शुरू में इसी केंद्र से जुड़े रहे हैं।" उनका यह भी कहना था कि- "शास्त्रीय संगीत में [[सिद्धेश्वरी देवी]], [[बेगम अख़्तर]], [[बिस्मिल्लाह ख़ाँ|उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ]], [[पंडित रविशंकर]], [[अली अकबर ख़ान|उस्ताद अली अकबर ख़ान]] तथा सुगम संगीत में [[तलत महमूद]], [[मदन मोहन]], [[जयदेव (संगीतकार)|जयदेव]] और अनूप जलोटा जैसे नामी-गिरामी कलाकारों ने इस केंद्र का नाम रौशन किया है। इनमें से कई कलाकारों ने तो अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत ही आकाशवाणी के इसी केंद्र से की थी।"
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Latest revision as of 11:58, 22 July 2017

आकाशवाणी लखनऊ
विवरण 'आकाशवाणी लखनऊ' सार्वजनिक क्षेत्र की रेडियो प्रसारण सेवा है। इसकी गिनती उन नौ पुरातात्विक महत्व के आकाशवाणी केन्द्रों में है, जो अखंड भारत की आज़ादी के पहले से ही कार्यरत थे।
देश भारत
शहर व राज्य लखनऊ, उत्तर प्रदेश
स्थापना 2 अप्रैल, 1938
अन्य जानकारी आकाशवाणी लखनऊ की शुरुआत लखनऊ में 18, ऐबट मार्ग स्थित एक किराये के मकान से हुई थी। कालांतर में यह 18, विधान सभा मार्ग स्थित वर्तमान भव्य स्टूडियो में स्थानांतरित हुआ।

आकाशवाणी लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विधान सभा मार्ग पर स्थित है। आकाशवाणी के इस केंद्र की स्थापना और उसके प्रसारण की शुरुआत 2 अप्रैल, 1938 को 18, ऐबट मार्ग स्थित एक किराये के मकान से हुई थी। कालांतर में यह 18, विधान सभा मार्ग स्थित वर्तमान भव्य स्टूडियो में स्थानांतरित हुआ। इसकी गिनती उन नौ पुरातात्विक महत्व के आकाशवाणी केन्द्रों में है, जो अखंड भारत की आज़ादी के पहले से ही कार्यरत थे। वर्ष 2013 में इस केंद्र ने अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूरे किये थे।

शुरुआत

आकाशवाणी के लखनऊ केंद्र की स्थापना 2 अप्रैल सन 1938 को हुई थी। इसका उद्घाटन यूनाइटेड प्रोविसेंज ऑफ़ आगरा एंड अवध के तत्कालील गवर्नर सर हेरी हेस ने किया था। बाद में इस संस्थान की तकनीकी क्षमता का और अधिक विस्तार होता गया। कालांतर में यह 18, विधान सभा मार्ग स्थित वर्तमान भव्य स्टूडियो में स्थानांतरित हुआ। इसकी गिनती उन नौ पुरातात्विक महत्व के आकाशवाणी केन्द्रों में है, जो अखंड भारत की आज़ादी के पहले से ही कार्यरत थे। स्वाभाविक है कि इस केन्द्र ने अपने सदियों के इस अनथके सफ़र में ढेर सारी उपलब्धियां पाई हैं। उन्हें सहेजना और नई पीढ़ियों तक पहुँचाना भी सरल नहीं था, ख़ास तौर से उन दिनों में जब आज की तरह की तकनीकी संचार और संरक्षण की सुविधा सुलभ नहीं थी। मैनुअल कैमरे से खींचे गये ज्यादातर ब्लैक एंड व्हाइट फोटो हुआ करते थे।

गौरवशाली 75 वर्ष

आकाशवाणी ने अपने प्रसारण के गौरवशाली 75 वर्ष 2013 में पूरे किए। इन 75 वर्षों में कई नामी-गिरामी कलाकारों ने इस आकाशवाणी केंद्र के माध्यम से संगीत और साहित्य की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। आकाशवाणी लखनऊ के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संस्थान की तरफ से 'अवधवाणी' नाम से एक पत्रिका प्रकाशित की गई थी। यूं तो यह पत्रिका का 17वां अंक था, लेकिन इसके माध्यम से लखनऊ आकाशवाणी ने अपने गौरवशाली इतिहास को आम लोगों के बीच पहुंचाने का प्रयास किया। आकाशवाणी का लखनऊ केन्द्र वही संस्थान है, जहां से रमई काका (चंद्रभूषण द्विवेदी) और बताशा बुआ (सुमित्रा कुमारी सिन्हा) लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाने में कामयाब रहे थे। इन दोनों शख्सियतों ने आकाशवाणी के माध्यम से अवधी बोली को एक नया आयाम दिया।

प्रसिद्ध कलाकारों का शुरुआती केंद्र

आकाशवाणी लखनऊ केंद्र के अपर महानिदेशक गुलाब चंद ने आईएएनएस से एक बातचीत के दौरान कहा था कि- "हिंदुस्तानी संगीत के प्रचार-प्रसार और संरक्षण में आकाशवाणी के इस केंद्र ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संगीत जगत के अधिकांश शीर्ष कलाकार शुरू में इसी केंद्र से जुड़े रहे हैं।" उनका यह भी कहना था कि- "शास्त्रीय संगीत में सिद्धेश्वरी देवी, बेगम अख़्तर, उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ, पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर ख़ान तथा सुगम संगीत में तलत महमूद, मदन मोहन, जयदेव और अनूप जलोटा जैसे नामी-गिरामी कलाकारों ने इस केंद्र का नाम रौशन किया है। इनमें से कई कलाकारों ने तो अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत ही आकाशवाणी के इसी केंद्र से की थी।"


आकाशवाणी के लखनऊ केंद्र का संगीत के अलावा साहित्य के क्षेत्र में भी अहम योगदान रहा है। देश के प्रमुख लेखकों और कवियों में शुमार होने वाले कई नामी-गिरामी लोगों ने आकाशवाणी लखनऊ को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। पं. श्रीनारायण चतुर्वेदी, अमृतलाल नागर, यशपाल, भगवती चरण वर्मा, कुंवर चंद्र प्रकाश, मजाज़ लखनवी और के.पी. सक्सेना जैसे लेखक और कवि आकाशवाणी लखनऊ की ही देन कहे जा सकते हैं।


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