वास्तुविद्या कला: Difference between revisions
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हमारे [[ग्रंथ]] [[पुराण|पुराणों]] आदि में वास्तु एवं ज्योतिष से संबंधित गूढ़ रहस्यों तथा उसके सदुपयोग सम्बंधी ज्ञान का अथाह समुद्र व्याप्त है जिसके सिद्धान्तों पर चलकर मनुष्य अपने जीवन को सुखी, समृद्ध, शक्तिशाली और निरोगी बना सकता है। प्रभु की भक्ति में लीन रहते हुए उसके बताये मार्ग पर चलकर वास्तुसम्मत निर्माण में रहकर और वास्तुविषयक | हमारे [[ग्रंथ]] [[पुराण|पुराणों]] आदि में वास्तु एवं ज्योतिष से संबंधित गूढ़ रहस्यों तथा उसके सदुपयोग सम्बंधी ज्ञान का अथाह समुद्र व्याप्त है जिसके सिद्धान्तों पर चलकर मनुष्य अपने जीवन को सुखी, समृद्ध, शक्तिशाली और निरोगी बना सकता है। प्रभु की भक्ति में लीन रहते हुए उसके बताये मार्ग पर चलकर वास्तुसम्मत निर्माण में रहकर और वास्तुविषयक ज़रूरी बातों को जीवन में अपनाकर मनुष्य अपने जीवन को सुखी व सम्पन्न बना सकता है। सुखी परिवार अभियान में वास्तु एक स्वतंत्र इकाई के रूप में गठित की गयी है और उस पर गहन अनुसंधान जारी है। असल में वास्तु से वस्तु विशेष की क्या स्थित होनी चाहिए। उसका विवरण प्राप्त होता है। श्रेष्ठ वातावरण और श्रेष्ठ परिणाम के लिए श्रेष्ठ वास्तु के अनुसार जीवनशैली और ग्रह का निर्माण अतिआवश्यक है। इस विद्या में विविधताओं के बावजूद वास्तु सम्यक उस भवन को बना सकते हैं। जिसमें कि कोई व्यक्ति पहले से निवास करता चला आ रहा है। वास्तु ज्ञान वस्तुतः भूमि व दिशाओं का ज्ञान है। | ||
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Latest revision as of 10:51, 2 January 2018
जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। वास्तु विद्या के ज्ञान का सही उपयोग करने की कला।
वास्तु शास्त्र
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हमारे ग्रंथ पुराणों आदि में वास्तु एवं ज्योतिष से संबंधित गूढ़ रहस्यों तथा उसके सदुपयोग सम्बंधी ज्ञान का अथाह समुद्र व्याप्त है जिसके सिद्धान्तों पर चलकर मनुष्य अपने जीवन को सुखी, समृद्ध, शक्तिशाली और निरोगी बना सकता है। प्रभु की भक्ति में लीन रहते हुए उसके बताये मार्ग पर चलकर वास्तुसम्मत निर्माण में रहकर और वास्तुविषयक ज़रूरी बातों को जीवन में अपनाकर मनुष्य अपने जीवन को सुखी व सम्पन्न बना सकता है। सुखी परिवार अभियान में वास्तु एक स्वतंत्र इकाई के रूप में गठित की गयी है और उस पर गहन अनुसंधान जारी है। असल में वास्तु से वस्तु विशेष की क्या स्थित होनी चाहिए। उसका विवरण प्राप्त होता है। श्रेष्ठ वातावरण और श्रेष्ठ परिणाम के लिए श्रेष्ठ वास्तु के अनुसार जीवनशैली और ग्रह का निर्माण अतिआवश्यक है। इस विद्या में विविधताओं के बावजूद वास्तु सम्यक उस भवन को बना सकते हैं। जिसमें कि कोई व्यक्ति पहले से निवास करता चला आ रहा है। वास्तु ज्ञान वस्तुतः भूमि व दिशाओं का ज्ञान है।