अभिज्ञ और अनभिज्ञ: Difference between revisions
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Latest revision as of 10:17, 30 January 2018
‘भिज्ञ’ कोई शब्द नहीं है। कुछ लोग समझ बैठे हैं कि ‘अज्ञानी’ के ‘अ’ के समान ‘अभिज्ञ’ का भी ‘अ’ नकारात्मकता के लिए है और बचा हुआ ‘भिज्ञ’ सकारात्मक अर्थ ‘जानकार’ के लिए है। इसी प्रकार, वे समझते हैं कि ‘अनजान’ के ‘अन’ के समान ‘अनभिज्ञ’ का भी ‘अन,’ नकारात्मकता के लिए है और बचा हुआ ‘भिज्ञ’ फिर ‘जानकार’ के लिए है। वस्तुतः ‘जानकार’ के लिए शब्द ‘अभिज्ञ है, जिस के खंड ‘अभि’ और ‘ज्ञ’ हैं। ‘अभि’ माने ‘ज्ञानी, जानने वाला, परिचित’। ‘अभि’ के मूल में ‘भा’ धातु है, जिस का अर्थ ‘दीप्ति है, और ‘ज्ञ’ के मूल में ‘ज्ञा’ धातु है, जिस का अर्थ है ‘जानना, परिचित होना, सीखना’।
उदाहरण
अब ‘अनभिज्ञ’ शब्द से सही-सही ‘अभिज्ञ’ होने के लिए आगे बढ़ा जाए। ‘अनभिज्ञ’ की रचना ‘अभिज्ञ’ के पूर्व ‘न’ जोड़ने से हुई। यह ‘न’ पलट कर ‘अन्’ हो गया, जिस से शब्द का रूप ‘अन्+अभिज्ञ’ अर्थात् ‘अनभिज्ञ’ हो गया है। ‘ज्ञ’ को जोड़ कर बनाए गए उपर्युक्त तथा कुछ अन्य शब्दों के अर्थों का रस-पान कीजिए-अज्ञ (ज्ञानरहित, अचेतन, जड़, नासमझ, मूर्ख); अनभिज्ञ (अनजान, अनभ्यस्त, अनाड़ी, अपरचित, नावाक़िफ, बुद्धिहीन, मूर्ख) अभिज्ञ (जानकार, जानने वाला, अनुभवशील, कुशल); अल्पज्ञ (कम ज्ञान रखनेवाला, नासमझ) तत्तवज्ञ (आजकल ‘तत्वज्ञ’ भी) (तत्व जानने वाला, दार्शनिक, ब्रह्मज्ञानी); मर्मज्ञ (रहस्य जानने वाला तत्वज्ञ’) रसज्ञ (कुशल, निपुण, काव्य-मर्मज्ञ); विज्ञ (कुशल, चतुर, प्रतिभावान्, प्रवीण, बुद्धिमान्) शास्त्रज्ञ (शास्त्रवेत्ता); सर्वज्ञ (सर्वज्ञाता, सब-कुछ जानने वाला परम ज्ञानी)। ऊपर लिखे गए सभी शब्द विशेषण हैं, पर ‘सर्वज्ञ’ संज्ञा के रूप में भी आगामी अर्थों का वाचक है-ईश्वर, जिनदेव, तीर्थंकर, देवता, बुद्ध, शिव।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मानक हिन्दी के शुद्ध प्रयोग भाग 1 (हिंदी) भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 31 दिसम्बर, 2013।
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