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'''स्फटिक''' एक रंगहीन, पारदर्शी, निर्मल और शीत प्रभाव प्रधान वाला उपरत्न है। इसको कई नामों से जाना जाता है, जैसे- 'सफ़ेद बिल्लौर', [[अंग्रेज़ी]] में 'रॉक क्रिस्टल', [[संस्कृत]] में 'सितोपल', शिवप्रिय, कांचमणि और फिटक आदि। इसे फिटकरी भी कहा जाता है। सामान्यत: यह काँच जैसा प्रतीत होता है, परंतु यह काँच की अपेक्षा अधिक दीर्घजीवी होता है। कटाई में काँच के मुकाबले इसमें कोण<ref>नोंक</ref> अधिक उभरे होते हैं। इसकी प्रवृत्ति<ref>तासीर</ref> ठंडी होती है। अत: ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियों में वैद्यजन इसकी भस्मी का प्रयोग करते हैं। स्फटिक को नग के बजाय माला के रूप में पहना जाता है। स्फटिक माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
'''स्फटिक''' एक रंगहीन, पारदर्शी, निर्मल और शीत प्रभाव वाला उपरत्न है। इसको कई नामों से जाना जाता है, जैसे- 'सफ़ेद बिल्लौर', [[अंग्रेज़ी]] में 'रॉक क्रिस्टल', [[संस्कृत]] में 'सितोपल', शिवप्रिय, कांचमणि और फिटक आदि। इसे फिटकरी भी कहा जाता है। सामान्यत: यह काँच जैसा प्रतीत होता है, परंतु यह काँच की अपेक्षा अधिक दीर्घजीवी होता है। कटाई में काँच के मुकाबले इसमें कोण<ref>नोंक</ref> अधिक उभरे होते हैं। इसकी प्रवृत्ति<ref>तासीर</ref> ठंडी होती है। अत: ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियों में वैद्यजन इसकी भस्मी का प्रयोग करते हैं। स्फटिक को नग के बजाय माला के रूप में पहना जाता है। स्फटिक माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
==रासायनिक संरचना==
==रासायनिक संरचना==
स्फटिक की रासायनिक संरचना सिलिकॉन डाइऑक्साइड है। तमाम क्रिस्टलों में यह सबसे अधिक साफ, पवित्र और ताकतवर है। स्फटिक शुद्ध क्रिस्टल है, या फिर यह भी कहा जा सकता है कि अंग्रेज़ी में शुद्ध क्वार्टज क्रिस्टल का देसी नाम स्फटिक है। 'प्योर स्नो' या 'व्हाइट क्रिस्टल' भी इसी के नाम हैं। यह सफ़ेदी लिए हुए रंगहीन, पारदर्शी और चमकदार होता है। यह सफ़ेद बिल्लौर अर्थात रॉक क्रिस्टल से हू-ब-हू मिलता है।
स्फटिक की रासायनिक संरचना सिलिकॉन डाइऑक्साइड है। तमाम क्रिस्टलों में यह सबसे अधिक साफ, पवित्र और ताकतवर है। स्फटिक शुद्ध क्रिस्टल है, या फिर यह भी कहा जा सकता है कि अंग्रेज़ी में शुद्ध क्वार्टज क्रिस्टल का देसी नाम स्फटिक है। 'प्योर स्नो' या 'व्हाइट क्रिस्टल' भी इसी के नाम हैं। यह सफ़ेदी लिए हुए रंगहीन, पारदर्शी और चमकदार होता है। यह सफ़ेद बिल्लौर अर्थात रॉक क्रिस्टल से हू-ब-हू मिलता है।
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स्फटिक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पहनने वाले किसी भी पुरुष या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है। इसके बारे में यह भी माना जाता है कि इसे धारण करने से भूत-प्रेत आदि की बाधा से मुक्त रहा जा सकता है। कई प्रकार के आकार और प्रकारों में स्फटिक मिलता है। इसके मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स दोनों के लिहाज से लोकप्रिय है। यह [[इंद्रधनुष]] की छटा-सी खिल उठती है। इसे पहनने मात्र से ही शरीर में इलैक्ट्रोकैमिकल संतुलन उभरता है और तनाव-दबाव से मुक्त होकर शांति मिलने लगती है। स्फटिक की माला के मणकों से रोजाना सुबह लक्ष्मी देवी का [[मंत्र]] जप करना आर्थिक तंगी का नाश करता है। स्फटिक के [[शिवलिंग]] की [[पूजा]]-अर्चना से धन-दौलत, खुशहाली और बीमारी आदि से राहत मिलती है तथा सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती हैं।
स्फटिक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पहनने वाले किसी भी पुरुष या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है। इसके बारे में यह भी माना जाता है कि इसे धारण करने से भूत-प्रेत आदि की बाधा से मुक्त रहा जा सकता है। कई प्रकार के आकार और प्रकारों में स्फटिक मिलता है। इसके मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स दोनों के लिहाज से लोकप्रिय है। यह [[इंद्रधनुष]] की छटा-सी खिल उठती है। इसे पहनने मात्र से ही शरीर में इलैक्ट्रोकैमिकल संतुलन उभरता है और तनाव-दबाव से मुक्त होकर शांति मिलने लगती है। स्फटिक की माला के मणकों से रोजाना सुबह लक्ष्मी देवी का [[मंत्र]] जप करना आर्थिक तंगी का नाश करता है। स्फटिक के [[शिवलिंग]] की [[पूजा]]-अर्चना से धन-दौलत, खुशहाली और बीमारी आदि से राहत मिलती है तथा सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती हैं।


[[रुद्राक्ष]] और [[मूंगा]] के साथ पिरोया गया स्फटिक का ब्रेसलेट खूब पहना जाता है। इससे व्यक्ति को डर और भय नहीं लगता। उसकी सोच-समझ में तेजी और विकास होने लगता है। मन इधर-उधर भटकने की स्थिति में, सुख-शांति के लिए स्फटिक पहनने की सलाह दी जती है। कहते हैं कि स्फटिक के [[शंख]] से ईश्वर को जल तर्पण करने वाला पुरुष या स्त्री जन्म-मृत्यु के फेर से मुक्त हो जता है।
[[रुद्राक्ष]] और [[मूंगा]] के साथ पिरोया गया स्फटिक का ब्रेसलेट खूब पहना जाता है। इससे व्यक्ति को डर और भय नहीं लगता। उसकी सोच-समझ में तेज़ीऔर विकास होने लगता है। मन इधर-उधर भटकने की स्थिति में, सुख-शांति के लिए स्फटिक पहनने की सलाह दी जती है। कहते हैं कि स्फटिक के [[शंख]] से ईश्वर को जल तर्पण करने वाला पुरुष या स्त्री जन्म-मृत्यु के फेर से मुक्त हो जता है।


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

Latest revision as of 08:21, 10 February 2021

thumb|250px|स्फटिक स्फटिक एक रंगहीन, पारदर्शी, निर्मल और शीत प्रभाव वाला उपरत्न है। इसको कई नामों से जाना जाता है, जैसे- 'सफ़ेद बिल्लौर', अंग्रेज़ी में 'रॉक क्रिस्टल', संस्कृत में 'सितोपल', शिवप्रिय, कांचमणि और फिटक आदि। इसे फिटकरी भी कहा जाता है। सामान्यत: यह काँच जैसा प्रतीत होता है, परंतु यह काँच की अपेक्षा अधिक दीर्घजीवी होता है। कटाई में काँच के मुकाबले इसमें कोण[1] अधिक उभरे होते हैं। इसकी प्रवृत्ति[2] ठंडी होती है। अत: ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियों में वैद्यजन इसकी भस्मी का प्रयोग करते हैं। स्फटिक को नग के बजाय माला के रूप में पहना जाता है। स्फटिक माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है।

रासायनिक संरचना

स्फटिक की रासायनिक संरचना सिलिकॉन डाइऑक्साइड है। तमाम क्रिस्टलों में यह सबसे अधिक साफ, पवित्र और ताकतवर है। स्फटिक शुद्ध क्रिस्टल है, या फिर यह भी कहा जा सकता है कि अंग्रेज़ी में शुद्ध क्वार्टज क्रिस्टल का देसी नाम स्फटिक है। 'प्योर स्नो' या 'व्हाइट क्रिस्टल' भी इसी के नाम हैं। यह सफ़ेदी लिए हुए रंगहीन, पारदर्शी और चमकदार होता है। यह सफ़ेद बिल्लौर अर्थात रॉक क्रिस्टल से हू-ब-हू मिलता है।

विशेषताएँ

स्फटिक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पहनने वाले किसी भी पुरुष या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है। इसके बारे में यह भी माना जाता है कि इसे धारण करने से भूत-प्रेत आदि की बाधा से मुक्त रहा जा सकता है। कई प्रकार के आकार और प्रकारों में स्फटिक मिलता है। इसके मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स दोनों के लिहाज से लोकप्रिय है। यह इंद्रधनुष की छटा-सी खिल उठती है। इसे पहनने मात्र से ही शरीर में इलैक्ट्रोकैमिकल संतुलन उभरता है और तनाव-दबाव से मुक्त होकर शांति मिलने लगती है। स्फटिक की माला के मणकों से रोजाना सुबह लक्ष्मी देवी का मंत्र जप करना आर्थिक तंगी का नाश करता है। स्फटिक के शिवलिंग की पूजा-अर्चना से धन-दौलत, खुशहाली और बीमारी आदि से राहत मिलती है तथा सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती हैं।

रुद्राक्ष और मूंगा के साथ पिरोया गया स्फटिक का ब्रेसलेट खूब पहना जाता है। इससे व्यक्ति को डर और भय नहीं लगता। उसकी सोच-समझ में तेज़ीऔर विकास होने लगता है। मन इधर-उधर भटकने की स्थिति में, सुख-शांति के लिए स्फटिक पहनने की सलाह दी जती है। कहते हैं कि स्फटिक के शंख से ईश्वर को जल तर्पण करने वाला पुरुष या स्त्री जन्म-मृत्यु के फेर से मुक्त हो जता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नोंक
  2. तासीर

संबंधित लेख