शिवराज पाटिल: Difference between revisions

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'''शिवराज विश्वनाथ पाटील''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shivraj Patil'', जन्म: 12 अक्टूबर, 1935) एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, वर्तमान [[पंजाब]] राज्य के [[राज्यपाल]], [[केंद्रशासित प्रदेश]] [[चंडीगढ़]] के प्रशासक और पूर्व [[लोकसभा अध्यक्ष]] हैं। शिवराज पाटील सर्वसम्मति से दसवीं लोक सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे जिसका गौरव बहुत कम लोगों को ही प्राप्त हुआ है। अपने उदार दृष्टिकोण, सौम्य स्वभाव और अनुकरणीय धैर्य व सदैव निष्पक्षता बरतने के गुण के कारण सभा की कार्यवाहियों को चलाने में वह उत्कृष्ट संचालक साबित हुए। ये प्रधानमंत्री [[मनमोहन सिंह]] की सरकार में गृह मंत्री भी रहें है।  
'''शिवराज विश्वनाथ पाटिल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shivraj Patil'', जन्म: [[12 अक्टूबर]], [[1935]]) एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, वर्तमान [[पंजाब]] राज्य के [[राज्यपाल]], [[केंद्रशासित प्रदेश]] [[चंडीगढ़]] के प्रशासक और पूर्व [[लोकसभा अध्यक्ष]] हैं। शिवराज पाटिल सर्वसम्मति से दसवीं लोक सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे जिसका गौरव बहुत कम लोगों को ही प्राप्त हुआ है। अपने उदार दृष्टिकोण, सौम्य स्वभाव और अनुकरणीय धैर्य व सदैव निष्पक्षता बरतने के गुण के कारण सभा की कार्यवाहियों को चलाने में वह उत्कृष्ट संचालक साबित हुए। ये प्रधानमंत्री [[मनमोहन सिंह]] की सरकार में गृह मंत्री भी रहें है।  
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
शिवराज पाटील का जन्म [[12 अक्तूबर]], [[1935]] को [[महाराष्ट्र]] राज्य के [[लातूर ज़िला|लातूर ज़िले]] के चाकूर गांव में हुआ था। उन्होंने ओसमानिया विश्वविद्यालय, [[हैदराबाद]] से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात् उन्होंने [[मुम्बई विश्वविद्यालय|बम्बई विश्वविद्यालय]] में विधि का अध्ययन किया। विधि में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के बाद, पाटील ने प्राध्यापक के रूप में जीवन शुरू किया और लगभग छः महीने तक अध्यापन कार्य किया। उसके बाद उन्होंने अपने गृह-नगर लातूर में वकालत शुरू करने का निर्णय किया। कुछ ही दिनों बाद उनका ध्यान सार्वजनिक जीवन की ओर आकर्षित हुआ। वर्ष 1967 में, वह लातूर नगरपालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और 1969 तक इस पद पर बने रहे तथा 1971 से 1972 तक दोबारा इस पद पर रहे। लातूर नगरपालिका के अध्यक्ष के रूप में पाटील ने नगरपालिका प्रशासन में, विशेषकर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा, अस्पतालों तथा भूमिगत जल निकासी व्यवस्था, जल आपूर्ति योजनाओं एवं नगर आयोजना आदि के बारे में अनेक नवीनताओं का प्रवर्तन किया।
शिवराज पाटिल का जन्म [[12 अक्तूबर]], [[1935]] को [[महाराष्ट्र]] राज्य के [[लातूर ज़िला|लातूर ज़िले]] के चाकूर गांव में हुआ था। उन्होंने ओसमानिया विश्वविद्यालय, [[हैदराबाद]] से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात् उन्होंने [[मुम्बई विश्वविद्यालय|बम्बई विश्वविद्यालय]] में विधि का अध्ययन किया। विधि में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के बाद, पाटिल ने प्राध्यापक के रूप में जीवन शुरू किया और लगभग छह महीने तक अध्यापन कार्य किया। उसके बाद उन्होंने अपने गृह-नगर लातूर में वकालत शुरू करने का निर्णय किया। कुछ ही दिनों बाद उनका ध्यान सार्वजनिक जीवन की ओर आकर्षित हुआ। वर्ष [[1967]] में, वह लातूर नगरपालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और [[1969]] तक इस पद पर बने रहे तथा [[1971]] से [[1972]] तक दोबारा इस पद पर रहे। लातूर नगरपालिका के अध्यक्ष के रूप में पाटिल ने नगरपालिका प्रशासन में, विशेषकर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा, अस्पतालों तथा भूमिगत जल निकासी व्यवस्था, जल आपूर्ति योजनाओं एवं नगर आयोजना आदि के बारे में अनेक नवीनताओं का प्रवर्तन किया।
==राजनीतिक परिचय==
==राजनीतिक परिचय==
शिवराज पाटील का विधायी और संसदीय जीवन, 1972 में उनके महाराष्ट्र विधान सभा के लिए निर्वाचित हो जाने के साथ ही शुरू हुआ। वह 1972 से 1977 तक और पुनः 1977 से 1979 तक राज्य विधान सभा के सदस्य रहे। वह 1974-75 के दौरान सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के सभापति रहे। पाटील 1975 में उप मंत्री बने और उनके पास विधि और न्याय, सिंचाई तथा नयाचार विभाग रहे और वह इस पद पर 1976 तक रहे। वह 5 जुलाई, 1977 को राज्य विधान सभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित किए गए और [[13 मार्च]], [[1978]] तक इस पद पर बने रहे। उनकी ईमानदारी, विवादास्पद मामलों को निष्पक्षता से निपटाने और असीम धैर्य के लिए उनकी बहुत ही प्रशंसा की गई और [[17 मार्च]], 1978 को उन्हें सर्वसम्मति से महाराष्ट्र विधान सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया तथा वह [[6 दिसम्बर]], [[1979]] तक इस पद पर रहे।
शिवराज पाटिल का विधायी और संसदीय जीवन, [[1972]] में उनके महाराष्ट्र विधान सभा के लिए निर्वाचित हो जाने के साथ ही शुरू हुआ। वह 1972 से [[1977]] तक और पुनः 1977 से 1979 तक राज्य विधान सभा के सदस्य रहे। वह [[1974]]-[[1975|75]] के दौरान सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के सभापति रहे। पाटिल 1975 में उप मंत्री बने और उनके पास विधि और न्याय, सिंचाई तथा नयाचार विभाग रहे और वह इस पद पर [[1976]] तक रहे। वह [[5 जुलाई]], [[1977]] को राज्य विधान सभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित किए गए और [[13 मार्च]], [[1978]] तक इस पद पर बने रहे। उनकी ईमानदारी, विवादास्पद मामलों को निष्पक्षता से निपटाने और असीम धैर्य के लिए उनकी बहुत ही प्रशंसा की गई और [[17 मार्च]], [[1978]] को उन्हें सर्वसम्मति से महाराष्ट्र विधान सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया तथा वह [[6 दिसम्बर]], [[1979]] तक इस पद पर रहे।
====लोकसभा सांसद====
====लोकसभा सांसद====
शिवराज पाटील पहली बार 1980 में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के उम्मीदवार के रूप में लातूर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लोक सभा के लिए निर्वाचित हुए। वह उसी निर्वाचन क्षेत्र से आठवीं, नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं लोक सभा में क्रमशः 1984, 1989, 1991, 1996 और 1998 में पुनर्निर्वाचित हुए। पाटील 12 मई, 1980 से 7 सितम्बर, 1980 तक संसद सदस्यों के वेतन तथा भत्तों संबंधी संयुक्त समिति के सदस्य रहे और 8 सितम्बर, 1980 से 18 अक्तूबर, 1980 तक इस समिति के सभापति रहे।
शिवराज पाटिल पहली बार [[1980]] में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के उम्मीदवार के रूप में लातूर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लोक सभा के लिए निर्वाचित हुए। वह उसी निर्वाचन क्षेत्र से आठवीं, नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं लोक सभा में क्रमशः [[1984]], [[1989]], [[1991]], [[1996]] और [[1998]] में पुनर्निर्वाचित हुए। पाटिल [[12 मई]], [[1980]] से [[7 सितम्बर]], [[1980]] तक संसद सदस्यों के वेतन तथा भत्तों संबंधी संयुक्त समिति के सदस्य रहे और [[8 सितम्बर]], [[1980]] से [[18 अक्तूबर]], [[1980]] तक इस समिति के सभापति रहे।
====केंद्रीय मंत्रिपरिषद में====  
====केंद्रीय मंत्रिपरिषद में====  
सन 1980 के बाद वाले दशक में शिवराज पाटील ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 19 अक्तूबर, 1980 को पाटील केंद्रीय मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री बनाए गए और निम्नलिखित विभागों में रहे-  
सन [[1980]] के बाद वाले दशक में शिवराज पाटिल ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 19 अक्तूबर, 1980 को पाटिल केंद्रीय मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री बनाए गए और निम्नलिखित विभागों में रहे-  
* रक्षा मंत्रालय- 19 अक्तूबर, 1980 से 14 जनवरी, 1982 तक
* रक्षा मंत्रालय- 19 अक्तूबर, 1980 से 14 जनवरी, 1982 तक
* वाणिज्य (स्वतंत्र प्रभार) - 15 जनवरी, 1982 से 29 जनवरी, 1983 तक
* वाणिज्य (स्वतंत्र प्रभार) - 15 जनवरी, 1982 से 29 जनवरी, 1983 तक
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* नागर विमानन और पर्यटन (स्वतंत्र प्रभार) - 25 जून, 1986 से 2 दिसम्बर, 1989 तक।
* नागर विमानन और पर्यटन (स्वतंत्र प्रभार) - 25 जून, 1986 से 2 दिसम्बर, 1989 तक।
====लोकसभा अध्यक्ष====
====लोकसभा अध्यक्ष====
दो वर्षों से कम ही समय में देश में नई लोक सभा को चुनने के लिए पुनः चुनाव हुए। [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] ने केंद्र में सरकार बनाई। पाटील लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए स्वाभाविक पसंद थे और उन्हें इस पद के लिए सर्वसम्मति से चुना गया। सभा के सभी वर्गों की यह सुविचारित राय थी कि पाटील इस सम्माननीय पद को अपने समृद्ध और विविध अनुभवों तथा परिपक्वता के गुणों से, जो एक पीठासीन अधिकारी में होने चाहिए, गरिमा प्रदान करेंगे। संसदीय संस्थाओं को सुदृढ़ करने के प्रति पाटील की प्रतिबद्धता के बारे में सदस्यों, मीडिया या आम जनता, राज्यों के विधायी निकायों या अन्य देशों के संसदीय निकायों सभी को स्पष्टतः पता था। लोक सभा के अध्यक्ष के रूप में पाटील का सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों समान रूप से आदर करते थे। ऐसे कई अवसर आए जब सभा में स्थिति तनावपूर्ण और हंगामेदार बनी किंतु अपने अनुकरणीय धैर्य और असाधारण सहनशीलता से वह तनाव और बोझिल वातावरण को दूर करने में बराबर सफल रहे। "बैंक घोटाला", "राजनीति का अपराधीकरण" जैसे कुछ विवादास्पद मुद्दों पर वाद-विववाद के दौरान उन्होंने जिस तरह सभा की कार्यवाही का संचालन किया उसकी विभिन्न क्षेत्रों में भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।
दो वर्षों से कम ही समय में देश में नई लोक सभा को चुनने के लिए पुनः चुनाव हुए। [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] ने केंद्र में सरकार बनाई। पाटिल लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए स्वाभाविक पसंद थे और उन्हें इस पद के लिए सर्वसम्मति से चुना गया। सभा के सभी वर्गों की यह सुविचारित राय थी कि पाटिल इस सम्माननीय पद को अपने समृद्ध और विविध अनुभवों तथा परिपक्वता के गुणों से, जो एक पीठासीन अधिकारी में होने चाहिए, गरिमा प्रदान करेंगे। संसदीय संस्थाओं को सुदृढ़ करने के प्रति पाटिल की प्रतिबद्धता के बारे में सदस्यों, मीडिया या आम जनता, राज्यों के विधायी निकायों या अन्य देशों के संसदीय निकायों सभी को स्पष्टतः पता था। लोक सभा के अध्यक्ष के रूप में पाटिल का सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों समान रूप से आदर करते थे। ऐसे कई अवसर आए जब सभा में स्थिति तनावपूर्ण और हंगामेदार बनी किंतु अपने अनुकरणीय धैर्य और असाधारण सहनशीलता से वह तनाव और बोझिल वातावरण को दूर करने में बराबर सफल रहे। "बैंक घोटाला", "राजनीति का अपराधीकरण" जैसे कुछ विवादास्पद मुद्दों पर वाद-विववाद के दौरान उन्होंने जिस तरह सभा की कार्रवाई का संचालन किया उसकी विभिन्न क्षेत्रों में भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।
====अध्यक्षता के दौरान====
====अध्यक्षता के दौरान====
अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उस समय एक इतिहास रचा गया जब लोक सभा में उच्चतम न्यायालय के एक तत्कालीन न्यायाधीश के विरूद्ध पहली बार महाभियोग के प्रस्ताव पर चर्चा की गई और बाद में उसे अस्वीकृत किया गया। चूंकि यह अपनी तरह का पहला और अत्यधिक महत्व का मामला था, अतः शिवराज पाटील ने यह सुनिश्चित करने में विशेष सावधानी बरती कि प्रस्ताव पर विचार करने के लिए समुचित प्रक्रिया स्थापित की जाए और इस मुद्दे पर विभिन्न दलों और ग्रुपों के नेताओं के साथ परामर्श किया। शिवराज पाटील ने लोक सभा सचिवालय की संस्थागत व्यवस्थाओं के चल रहे कम्प्यूटरीकरण और आधुनिकीकरण प्रयासों पर, विशेषकर संसद सदस्यों की सूचना सेवा के कम्प्यूटरीकरण पर और बल दिया। उनके नेतृत्व में न केवल लोक सभा सचिवालय के अधिकांश कार्यकलापों का कम्प्यूटरीकरण किया गया अपितु सांसदों को निष्पक्ष, तथ्यपरक और विश्वसनीय एवं आधिकारिक आंकड़े लगातार और नियमित आधार पर प्रदान करने के लिए अनुक्रमणिका आधारित सूचना आंकड़ों का भी विकास किया गया।
अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उस समय एक इतिहास रचा गया जब लोक सभा में उच्चतम न्यायालय के एक तत्कालीन न्यायाधीश के विरुद्ध पहली बार महाभियोग के प्रस्ताव पर चर्चा की गई और बाद में उसे अस्वीकृत किया गया। चूंकि यह अपनी तरह का पहला और अत्यधिक महत्व का मामला था, अतः शिवराज पाटिल ने यह सुनिश्चित करने में विशेष सावधानी बरती कि प्रस्ताव पर विचार करने के लिए समुचित प्रक्रिया स्थापित की जाए और इस मुद्दे पर विभिन्न दलों और ग्रुपों के नेताओं के साथ परामर्श किया। शिवराज पाटिल ने लोक सभा सचिवालय की संस्थागत व्यवस्थाओं के चल रहे कम्प्यूटरीकरण और आधुनिकीकरण प्रयासों पर, विशेषकर संसद सदस्यों की सूचना सेवा के कम्प्यूटरीकरण पर और बल दिया। उनके नेतृत्व में न केवल लोक सभा सचिवालय के अधिकांश कार्यकलापों का कम्प्यूटरीकरण किया गया अपितु सांसदों को निष्पक्ष, तथ्यपरक और विश्वसनीय एवं आधिकारिक आंकड़े लगातार और नियमित आधार पर प्रदान करने के लिए अनुक्रमणिका आधारित सूचना आंकड़ों का भी विकास किया गया।
====सांसद पुरस्कार की स्थापना====
====सांसद पुरस्कार की स्थापना====
शिवराज पाटील की संसदीय प्रणाली को मजबूत करने की दृढ़ निश्चयी वचनबद्धता उस समय उजागर हुई जब भारतीय संसदीय दल द्वारा उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार की स्थापना की गई। यह पुरस्कार संसदीय परम्पराओं को बनाए रखने में अपना योगदान देने के लिए उत्कृष्ट सांसद को प्रत्येक वर्ष प्रदान किया जाता है।
शिवराज पाटिल की संसदीय प्रणाली को मजबूत करने की दृढ़ निश्चयी वचनबद्धता उस समय उजागर हुई जब भारतीय संसदीय दल द्वारा उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार की स्थापना की गई। यह पुरस्कार संसदीय परम्पराओं को बनाए रखने में अपना योगदान देने के लिए उत्कृष्ट सांसद को प्रत्येक वर्ष प्रदान किया जाता है।
==राज्यपाल और प्रशासक==
==राज्यपाल और प्रशासक==
लोकसभा सांसद, लोकसभा अध्यक्ष केन्द्रीय गृहमंत्री के अलावा शिवराज पाटील वर्तमान में [[पंजाब]] के [[राज्यपाल]] और [[केंद्रशासित प्रदेश]] [[चंडीगढ़]] के प्रशासक हैं। शिवराज पाटील [[राजस्थान]] के राज्यपाल (26 अप्रॅल, 2010 - 28 अप्रॅल, 2012) भी रह चुके हैं।  
लोकसभा सांसद, लोकसभा अध्यक्ष केन्द्रीय गृहमंत्री के अलावा शिवराज पाटिल वर्तमान में [[पंजाब]] के [[राज्यपाल]] और [[केंद्रशासित प्रदेश]] [[चंडीगढ़]] के प्रशासक हैं। शिवराज पाटिल [[राजस्थान]] के राज्यपाल (26 अप्रॅल, 2010 - 28 अप्रॅल, 2012) भी रह चुके हैं।  
   
   


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<references/>
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==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://164.100.47.132/speakerloksabhahindi/former%20speakers/SVpatil.htm शिवराज पाटील]
*[http://loksabhaph.nic.in/dyspeakerlist.aspx आधिकारिक वेबसाइट (पार्लियामेंट ऑफ़ इंडिया, लोकसभा)]
*[http://164.100.47.132/speakerloksabhahindi/former%20speakers/SVpatil.htm शिवराज पाटिल]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
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Latest revision as of 09:05, 10 February 2021

शिवराज पाटिल
पूरा नाम शिवराज विश्वनाथ पाटिल
जन्म 12 अक्टूबर, 1935
जन्म भूमि चाकूर गांव, लातूर ज़िला महाराष्ट्र
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पद केंद्रीय गृहमंत्री, पंजाब के राज्यपाल, लोकसभा अध्यक्ष, चंडीगढ़ के प्रशासक
कार्य काल गृहमंत्री- 22 मई, 200430 नवंबर, 2008

राज्यपाल- 22 जनवरी, 201021 जनवरी, 2015
लोकसभा अध्यक्ष- 10 जुलाई, 199122 मई, 1996
प्रशासक- 22 जनवरी, 2010 – अब तक

शिक्षा विधि में स्नातकोत्तर
विद्यालय मुम्बई विश्वविद्यालय
अन्य जानकारी शिवराज पाटिल ने अतिरिक्त प्रभार सम्भालते हुए राजस्थान के राज्यपाल (26 अप्रॅल, 2010 - 28 अप्रॅल, 2012) भी बने।
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शिवराज विश्वनाथ पाटिल (अंग्रेज़ी: Shivraj Patil, जन्म: 12 अक्टूबर, 1935) एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, वर्तमान पंजाब राज्य के राज्यपाल, केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष हैं। शिवराज पाटिल सर्वसम्मति से दसवीं लोक सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे जिसका गौरव बहुत कम लोगों को ही प्राप्त हुआ है। अपने उदार दृष्टिकोण, सौम्य स्वभाव और अनुकरणीय धैर्य व सदैव निष्पक्षता बरतने के गुण के कारण सभा की कार्यवाहियों को चलाने में वह उत्कृष्ट संचालक साबित हुए। ये प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में गृह मंत्री भी रहें है।

जीवन परिचय

शिवराज पाटिल का जन्म 12 अक्तूबर, 1935 को महाराष्ट्र राज्य के लातूर ज़िले के चाकूर गांव में हुआ था। उन्होंने ओसमानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात् उन्होंने बम्बई विश्वविद्यालय में विधि का अध्ययन किया। विधि में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के बाद, पाटिल ने प्राध्यापक के रूप में जीवन शुरू किया और लगभग छह महीने तक अध्यापन कार्य किया। उसके बाद उन्होंने अपने गृह-नगर लातूर में वकालत शुरू करने का निर्णय किया। कुछ ही दिनों बाद उनका ध्यान सार्वजनिक जीवन की ओर आकर्षित हुआ। वर्ष 1967 में, वह लातूर नगरपालिका के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और 1969 तक इस पद पर बने रहे तथा 1971 से 1972 तक दोबारा इस पद पर रहे। लातूर नगरपालिका के अध्यक्ष के रूप में पाटिल ने नगरपालिका प्रशासन में, विशेषकर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा, अस्पतालों तथा भूमिगत जल निकासी व्यवस्था, जल आपूर्ति योजनाओं एवं नगर आयोजना आदि के बारे में अनेक नवीनताओं का प्रवर्तन किया।

राजनीतिक परिचय

शिवराज पाटिल का विधायी और संसदीय जीवन, 1972 में उनके महाराष्ट्र विधान सभा के लिए निर्वाचित हो जाने के साथ ही शुरू हुआ। वह 1972 से 1977 तक और पुनः 1977 से 1979 तक राज्य विधान सभा के सदस्य रहे। वह 1974-75 के दौरान सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के सभापति रहे। पाटिल 1975 में उप मंत्री बने और उनके पास विधि और न्याय, सिंचाई तथा नयाचार विभाग रहे और वह इस पद पर 1976 तक रहे। वह 5 जुलाई, 1977 को राज्य विधान सभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित किए गए और 13 मार्च, 1978 तक इस पद पर बने रहे। उनकी ईमानदारी, विवादास्पद मामलों को निष्पक्षता से निपटाने और असीम धैर्य के लिए उनकी बहुत ही प्रशंसा की गई और 17 मार्च, 1978 को उन्हें सर्वसम्मति से महाराष्ट्र विधान सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया तथा वह 6 दिसम्बर, 1979 तक इस पद पर रहे।

लोकसभा सांसद

शिवराज पाटिल पहली बार 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में लातूर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लोक सभा के लिए निर्वाचित हुए। वह उसी निर्वाचन क्षेत्र से आठवीं, नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं लोक सभा में क्रमशः 1984, 1989, 1991, 1996 और 1998 में पुनर्निर्वाचित हुए। पाटिल 12 मई, 1980 से 7 सितम्बर, 1980 तक संसद सदस्यों के वेतन तथा भत्तों संबंधी संयुक्त समिति के सदस्य रहे और 8 सितम्बर, 1980 से 18 अक्तूबर, 1980 तक इस समिति के सभापति रहे।

केंद्रीय मंत्रिपरिषद में

सन 1980 के बाद वाले दशक में शिवराज पाटिल ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 19 अक्तूबर, 1980 को पाटिल केंद्रीय मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री बनाए गए और निम्नलिखित विभागों में रहे-

  • रक्षा मंत्रालय- 19 अक्तूबर, 1980 से 14 जनवरी, 1982 तक
  • वाणिज्य (स्वतंत्र प्रभार) - 15 जनवरी, 1982 से 29 जनवरी, 1983 तक
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रानिकी, अंतरिक्ष और महासागर विकास, जैव- प्रौद्योगिकी - 29 जनवरी, 1983 से 21 अक्तूबर, 1986 तक
  • रक्षा उत्पादन और आपूर्ति - 22 अक्तूबर, 1986 से 24 जून, 1988 तक
  • नागर विमानन और पर्यटन (स्वतंत्र प्रभार) - 25 जून, 1986 से 2 दिसम्बर, 1989 तक।

लोकसभा अध्यक्ष

दो वर्षों से कम ही समय में देश में नई लोक सभा को चुनने के लिए पुनः चुनाव हुए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने केंद्र में सरकार बनाई। पाटिल लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए स्वाभाविक पसंद थे और उन्हें इस पद के लिए सर्वसम्मति से चुना गया। सभा के सभी वर्गों की यह सुविचारित राय थी कि पाटिल इस सम्माननीय पद को अपने समृद्ध और विविध अनुभवों तथा परिपक्वता के गुणों से, जो एक पीठासीन अधिकारी में होने चाहिए, गरिमा प्रदान करेंगे। संसदीय संस्थाओं को सुदृढ़ करने के प्रति पाटिल की प्रतिबद्धता के बारे में सदस्यों, मीडिया या आम जनता, राज्यों के विधायी निकायों या अन्य देशों के संसदीय निकायों सभी को स्पष्टतः पता था। लोक सभा के अध्यक्ष के रूप में पाटिल का सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों समान रूप से आदर करते थे। ऐसे कई अवसर आए जब सभा में स्थिति तनावपूर्ण और हंगामेदार बनी किंतु अपने अनुकरणीय धैर्य और असाधारण सहनशीलता से वह तनाव और बोझिल वातावरण को दूर करने में बराबर सफल रहे। "बैंक घोटाला", "राजनीति का अपराधीकरण" जैसे कुछ विवादास्पद मुद्दों पर वाद-विववाद के दौरान उन्होंने जिस तरह सभा की कार्रवाई का संचालन किया उसकी विभिन्न क्षेत्रों में भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।

अध्यक्षता के दौरान

अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उस समय एक इतिहास रचा गया जब लोक सभा में उच्चतम न्यायालय के एक तत्कालीन न्यायाधीश के विरुद्ध पहली बार महाभियोग के प्रस्ताव पर चर्चा की गई और बाद में उसे अस्वीकृत किया गया। चूंकि यह अपनी तरह का पहला और अत्यधिक महत्व का मामला था, अतः शिवराज पाटिल ने यह सुनिश्चित करने में विशेष सावधानी बरती कि प्रस्ताव पर विचार करने के लिए समुचित प्रक्रिया स्थापित की जाए और इस मुद्दे पर विभिन्न दलों और ग्रुपों के नेताओं के साथ परामर्श किया। शिवराज पाटिल ने लोक सभा सचिवालय की संस्थागत व्यवस्थाओं के चल रहे कम्प्यूटरीकरण और आधुनिकीकरण प्रयासों पर, विशेषकर संसद सदस्यों की सूचना सेवा के कम्प्यूटरीकरण पर और बल दिया। उनके नेतृत्व में न केवल लोक सभा सचिवालय के अधिकांश कार्यकलापों का कम्प्यूटरीकरण किया गया अपितु सांसदों को निष्पक्ष, तथ्यपरक और विश्वसनीय एवं आधिकारिक आंकड़े लगातार और नियमित आधार पर प्रदान करने के लिए अनुक्रमणिका आधारित सूचना आंकड़ों का भी विकास किया गया।

सांसद पुरस्कार की स्थापना

शिवराज पाटिल की संसदीय प्रणाली को मजबूत करने की दृढ़ निश्चयी वचनबद्धता उस समय उजागर हुई जब भारतीय संसदीय दल द्वारा उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार की स्थापना की गई। यह पुरस्कार संसदीय परम्पराओं को बनाए रखने में अपना योगदान देने के लिए उत्कृष्ट सांसद को प्रत्येक वर्ष प्रदान किया जाता है।

राज्यपाल और प्रशासक

लोकसभा सांसद, लोकसभा अध्यक्ष केन्द्रीय गृहमंत्री के अलावा शिवराज पाटिल वर्तमान में पंजाब के राज्यपाल और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक हैं। शिवराज पाटिल राजस्थान के राज्यपाल (26 अप्रॅल, 2010 - 28 अप्रॅल, 2012) भी रह चुके हैं।



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