संविधान संशोधन- 91वाँ: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "मुताबिक" to "मुताबिक़")
 
Line 43: Line 43:
*बशर्ते राज्य में मंत्रीयों की कुल संख्या मुख्यमंत्री सहित 12 से कम नहीं हो:
*बशर्ते राज्य में मंत्रीयों की कुल संख्या मुख्यमंत्री सहित 12 से कम नहीं हो:


बशर्ते जहाँ किसी राज्य में मंत्रीपरिषद में मंत्रीयों की कुल संख्या मुख्यमंत्री सहित संविधान (91वाँ संशोधन) अधिनियम, 2003 लागू होने की तारीख को उपरोक्त 15 प्रतिशत या पहले उपखंड में निर्दिष्ट संख्या से ज़्यादा हो, जैसा भी मामला हो, तब उस राज्य में मंत्रीयों की कुल संख्या को इस धारा के प्रावधानों के मुताबिक निर्धारित करने के लिए [[राष्ट्रपति]] द्वारा इस बारे में सार्वजनिक अधिसूचना जारी करने की तारीख के छह महीने के भीतर इस धारा के प्रावधानों का पालन किया जाए।
बशर्ते जहाँ किसी राज्य में मंत्रीपरिषद में मंत्रीयों की कुल संख्या मुख्यमंत्री सहित संविधान (91वाँ संशोधन) अधिनियम, 2003 लागू होने की तारीख को उपरोक्त 15 प्रतिशत या पहले उपखंड में निर्दिष्ट संख्या से ज़्यादा हो, जैसा भी मामला हो, तब उस राज्य में मंत्रीयों की कुल संख्या को इस धारा के प्रावधानों के मुताबिक़ निर्धारित करने के लिए [[राष्ट्रपति]] द्वारा इस बारे में सार्वजनिक अधिसूचना जारी करने की तारीख के छह महीने के भीतर इस धारा के प्रावधानों का पालन किया जाए।


(1बी) राज्य विधानसभा या राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन, जहाँ विधानपरिषद हो, का सदस्य जो किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध हो तथा जिसे दसवीं अनुसूची के पैरा 2 के तहत उस सदन का सदस्य बनने के अयोग्य घोषित कर दिया गया हो, धारा (1) के तहत उसे मंत्री पद पर नियुक्ति के लिए भी अयोग्य माना जाएगा तथा वह अवधि उसे अयोग्य घोषित किए जाने की तारीख से उस तारीख तक जारी रहेगी जब तक उसकी उस सदस्य के रूप में नियुक्ति की अवधि समाप्त नहीं हो जाती या उस अवधि के समाप्त  होने से पहले, उस तारीख से, जब वह राज्य विधानसभा या विधानमंडल के किसी भी सदन के लिए चुनाव लड़े, जहाँ विधानपरिषद हो, जैसा भी मामला हो, उसे निर्वाचित घोषित किया जाए, जो भी पहले हो।"
(1बी) राज्य विधानसभा या राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन, जहाँ विधानपरिषद हो, का सदस्य जो किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध हो तथा जिसे दसवीं अनुसूची के पैरा 2 के तहत उस सदन का सदस्य बनने के अयोग्य घोषित कर दिया गया हो, धारा (1) के तहत उसे मंत्री पद पर नियुक्ति के लिए भी अयोग्य माना जाएगा तथा वह अवधि उसे अयोग्य घोषित किए जाने की तारीख से उस तारीख तक जारी रहेगी जब तक उसकी उस सदस्य के रूप में नियुक्ति की अवधि समाप्त नहीं हो जाती या उस अवधि के समाप्त  होने से पहले, उस तारीख से, जब वह राज्य विधानसभा या विधानमंडल के किसी भी सदन के लिए चुनाव लड़े, जहाँ विधानपरिषद हो, जैसा भी मामला हो, उसे निर्वाचित घोषित किया जाए, जो भी पहले हो।"

Latest revision as of 10:05, 11 February 2021

संविधान संशोधन- 91वाँ
विवरण 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है।
संविधान लागू होने की तिथि 26 जनवरी, 1950
91वाँ संशोधन 2003
संबंधित लेख संविधान सभा
अन्य जानकारी 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है।

भारत का संविधान (91वाँ संशोधन) अधिनियम, 2003

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • संविधान के अनुच्छेद 75 में धारा (1) के बाद निम्नलिखित धाराएँ जोड़ी जाए, जो कि इस प्रकार है:

"(1ए) मंत्रीपरिषद में प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या सदन के सदस्यों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

(1बी) संसद के किसी भी सदन का सदस्य जो कि किसी भी राजानीतिक दल से संबद्ध हो तथा उसे दसवीं अनुसूची के पैरा 2 के अंतर्गत उस सदन का सदस्य बनने के अयोग्य घोषित कर दिया हो, वह धारा (1) के तहत मंत्री के पद पर नियुक्ति के लिए भी अयोग्य माना जाएगा और यह अवधि उसे अयोग्य घोषित किए जाने की तारीख से शुरू होगी और उस तारीख तक लागू रहेगी जिस अवधि तक उसका सदस्य के रूप में कार्यकाल समाप्त नहीं होता या उस अवधि के समाप्त होने से पहले उस तारीख तक, जब वह कहीं से संसद के किसी भी सदन के लिए हुए चुनाव में खड़ा हुआ हो, और उसे निर्वाचित घोषित किया गया हो, जो भी पहले हो"।

  • संविधान के अनुच्छेद 164 में धारा (1) के बाद निम्नलिखित धाराएं जोड़ी जाएं:

"(1ए) राज्य में मंत्रीपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रीयों की कुल संख्या राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए:

  • बशर्ते राज्य में मंत्रीयों की कुल संख्या मुख्यमंत्री सहित 12 से कम नहीं हो:

बशर्ते जहाँ किसी राज्य में मंत्रीपरिषद में मंत्रीयों की कुल संख्या मुख्यमंत्री सहित संविधान (91वाँ संशोधन) अधिनियम, 2003 लागू होने की तारीख को उपरोक्त 15 प्रतिशत या पहले उपखंड में निर्दिष्ट संख्या से ज़्यादा हो, जैसा भी मामला हो, तब उस राज्य में मंत्रीयों की कुल संख्या को इस धारा के प्रावधानों के मुताबिक़ निर्धारित करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा इस बारे में सार्वजनिक अधिसूचना जारी करने की तारीख के छह महीने के भीतर इस धारा के प्रावधानों का पालन किया जाए।

(1बी) राज्य विधानसभा या राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन, जहाँ विधानपरिषद हो, का सदस्य जो किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध हो तथा जिसे दसवीं अनुसूची के पैरा 2 के तहत उस सदन का सदस्य बनने के अयोग्य घोषित कर दिया गया हो, धारा (1) के तहत उसे मंत्री पद पर नियुक्ति के लिए भी अयोग्य माना जाएगा तथा वह अवधि उसे अयोग्य घोषित किए जाने की तारीख से उस तारीख तक जारी रहेगी जब तक उसकी उस सदस्य के रूप में नियुक्ति की अवधि समाप्त नहीं हो जाती या उस अवधि के समाप्त होने से पहले, उस तारीख से, जब वह राज्य विधानसभा या विधानमंडल के किसी भी सदन के लिए चुनाव लड़े, जहाँ विधानपरिषद हो, जैसा भी मामला हो, उसे निर्वाचित घोषित किया जाए, जो भी पहले हो।"

  • संविधान के अनुच्छेद 361ए के बाद निम्नलिखित अनुच्छेद जोड़ा जाए, जो इस प्रकार है:

'261बी- किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध सदन का सदस्य जिसे दसवीं अनुसूची के पैरा 2 के अंतर्गत सदन की सदस्यता के अयोग्य घोषित किया गया हो, वह उस अवधि में किसी लाभकारी राजनीतिक पद के लिए भी अयोग्य माना जाएगा। उसे अयोग्य घोषित किए जाने की तारीख से तब तक के लिए, जब तक उसकी सदस्य के रूप में नियुक्ति की अवधि समाप्त नहीं हो जाती या उस तारीख तक, जब वह सदन के लिए कोई चुनाव लड़े और निर्वाचित घोषित किया जाए, जो भी पहले हो।'

  • व्याख्या इस अनुच्छेद के उद्देश्य से-

(ए) 'सदन' का अर्थ वही समझा जाएगा जो दसवीं अनुसूची के पैरा 1 की धारा (ए) में दिया गया हैं। (बी) शब्द 'लाभकारी राजनीतिक पद' से तात्पर्य किसी कार्यालय में (I) भारत सरकार या राज्य सरकार के तहत, जहाँ ऐसे कार्यालय में वेतन या पारिश्रमिक भारत सरकार या राज्य सरकार के सार्वजनिक राजस्व से दिया जाता हो, जैसा भी मामला हो, या (II) ऐसा संकाय, जो निगमित हो या नहीं, पूरी तरह या आंशिक रूप से भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन हो तथा ऐसे कार्यालय का वेतन या परिश्रमिक ऐसे संकाय द्वारा दिया जाता है, ऐसे मामलों को छोड़कर जहाँ ऐसा वेतन या पारिश्रमिक प्रतिपूरक के रूप में दिया जाता हो।

  • संविधान की दसवीं अनुसूची में (ए) पैरा 1 में धारा बी में शब्दों तथा संख्या को "पैरा 3 या, जैसा भी मामला हो, हटा दिया जाए;" (बी) पैरा 2 के उप-पैरा (1) में शब्दों तथा संख्या "पैरा 3, 4 तथा 5", के स्थान पर "पैरा 4 तथा 5" लिखा जाए; (सी) पैरा 3 को हटा दिया जाए।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख