हिमालय की जलवायु: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
(No difference)

Latest revision as of 11:52, 9 February 2021

thumb|250px|हिमालय
Himalayas
हवा और जल संचरण की विशाल प्रणालियों को प्रभावित करने वाले विशाल जलवायवीय विभाजक के रूप में हिमालय दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप और उत्तर में मध्य एशियाई उच्चभूमि की मौसमी स्थितियों को प्रभावित करने में प्रमुख भूमिका निभाता है। अपनी स्थिति और विशाल ऊँचाई के कारण हिमालय पर्वतश्रेणी सर्दियों में उत्तर की ओर से आने वाली ठंडी यूरोपीय वायु को भारत में प्रवेश करने से रोकती है और दक्षिण-पश्चिम मॉनसूनी हवाओं को पर्वतश्रेणी को पार करके उत्तर में जाने से पहले अधिक वर्षा के लिए भी बाध्य करती है। इस प्रकार, भारतीय क्षेत्र में भारी मात्रा में वर्षा[1] होती है, लेकिन वहीं तिब्बत में मरुस्थलीय स्थितियां हैं। दक्षिणी ढलानों पर शिमला और पश्चिमी हिमालय के मसूरी में औसत सालाना वर्षा 1,530 मिमी तथा पूर्वी हिमालय के दार्जिलिंग में 3,048 मिमी होती है। उच्च हिमालय के उत्तर में सिन्धु घाटी के कश्मीर क्षेत्र में स्थित स्कार्दू गिलगित और लेह में सिर्फ़ 76 से 152 मिमी वर्षा होती है।

स्थानीय ऊँचाई और स्थिति से न सिर्फ़ हिमालय के विभिन्न क्षेत्रों की जलवायु में भिन्नता का निर्धारण होता है, बल्कि एक ही श्रेणी की विभिन्ना ढलानों पर भी अलग-अलग जलवायु होती है। उदाहरण के लिए, देहरादून के सामने मसूरी पर्वत पर 1,859 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मसूरी शहर में अनुकूल स्थिति के कारण सालाना 2,337 मिमी तक वर्षा होती है जबकि वहाँ से 145 किलोमीटर पश्चिमोत्तर में पर्वतस्कंध श्रृंखलाओं के पीछे 2,012 मीटर की ऊँचाई पर स्थित शिमला में सिर्फ़ 1,575 मिमी बारिश होती है। पूर्वी हिमालय, जो पश्चिमी हिमालय के मुक़ाबले कम ऊँचाई पर है, अपेक्षाकृत गर्म है। शिमला में दर्ज न्यूनतम तापमान- 25° सेल्सियस है। 1,945 मीटर की ऊँचाई वाले दार्जिलिंग में मई महीने में औसत न्यूनतम तापमान- 11° सेल्सियस रहता है। इसी महीने में 5,029 मीटर की ऊँचाई पर माउंट एवरेस्ट के पास न्यूनतम तापमान लगभग- 8° सेल्सियस होता है, 5,944 मीटर पर यह- 22° सेल्सियस तक गिर जाता है और यहाँ सबसे कम न्यूनतम तापमान- 29° सेल्सियस होता है, अक्सर 161 किलोमीटर से अधिक रफ़्तार से बहने वाली हवाओं से सुरक्षित क्षेत्रों में दिन के समय सुदूर ऊँचाइयों पर भी अक्सर सूर्य की गर्माहट ख़ुशनुमा होती है।

इस क्षेत्र में आर्द्र मौसम के दो कालखंड हैं, जाड़े में होने वाली वर्षा और दक्षिण-पश्चिमी मॉनसूनी हवाओं द्वारा लाई गई वर्षा। शीतकालीन वर्षा पश्चिम की ओर से भारत में आने वाले कम दबाव की मौसमी प्रणालियों के आगे बढ़ने के कारण होती है, जिसके कारण भारी हिमपात भी होता है। जिन क्षेत्रों में पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव होता है, वहाँ सतह से 3,048 मीटर की ऊँचाई पर हवा की ऊपरी परतों में संघनन होता है, परिणामस्वरूप ऊँचे पर्वतों पर अधिक वर्षा या हिमपात होता है। इसी मौसम में हिमालय की ऊँची चोटियों पर बर्फ़ एकत्र होती है और पश्चिमी हिमालय में पूर्वी हिमालय के मुक़ाबले अधिक वर्षा या हिमपात होता है। उदाहारण के लिए, जनवरी में पश्चिम स्थित मसूरी में लगभग 76 मिमी वर्षा या हिमपात दर्ज़ किया जाता है जबकि पूर्व में दार्जिलिंग में यह 25 मिमी से भी कम होता है। मई के अंत तक मौसमी परिस्थितियाँ उलट जाती हैं। पूर्वी हिमालय के ऊपर से गुज़रने वाली दक्षिण-पश्चिम मॉनसूनी हवाएँ 5,486 मीटर की ऊँचाई पर वर्षा और हिमपात का कारण बनती हैं, इसलिए जून में दार्जिलिंग में लगभग 610 मिमी और मसूरी में 203 मिमी से कम वर्षा या हिमपात दर्ज होता है। सितंबर में बारिश ख़त्म हो जाती है, जिसके बाद दिसंबर में जाड़े के मौसम की शुरुआत से पहले तक हिमालय में सबसे अच्छा मौसम रहता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बारिश और हिमपात

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख