फ्रेंक एंथनी: Difference between revisions
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एंथनी बड़े प्रबुद्ध व्यक्ति थे। वे संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य रहे। राष्ट्रमंडल सम्मेलन में भी देश की ओर से उन्होंने दो बार भाग | *लंदन से शिक्षा पूरी करके फ्रेंक एंथनी [[भारत]] आये और फिर यहाँ वकालत करने लगे। उनकी गणना [[सर्वोच्च न्यायालय]] के प्रमुख अधिवक्ताओं में होती थी। | ||
*फ्रेंक एंथनी ने सार्वजनिक क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। | |||
*[[वाइसराय]] की राष्ट्रीय सुरक्षा कौंसिल के भी वे सदस्य रहे। 'राष्ट्रीय एकीकरण समिति' और 'नेहरू स्मारक फंड' के सदस्य भी थे। | |||
*उन्होंने 'रेलवे कर्मचारी यूनियन' और 'एंग्लो इंडियन शिक्षा संगठन' की अध्यक्षता की थी। | |||
*स्वतंत्रता के बाद फ्रेंक एंथनी केन्द्रीय असेम्बली और [[भारत]] की [[संविधान सभा]] के भी सदस्य थे। | |||
*[[1952]] में गठित प्रथम लोकसभा में फ्रेंक एंथनी एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में सदस्य नामजद किए गए। यह क्रम सातवीं लोकसभा तक<ref>छठी लोकसभा को छोड़कर</ref> निरंतर चलता रहा। | |||
*एंथनी बड़े प्रबुद्ध व्यक्ति थे। वे संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य रहे। राष्ट्रमंडल सम्मेलन में भी देश की ओर से उन्होंने दो बार भाग लिया था। सुरक्षा के विषय में उनको विशेष ज्ञान था। अपने समुदाय के हित संवर्धन के लिए भी वे सदा प्रयत्नशील रहते थे। | |||
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फ्रेंक एंथनी (जन्म- 1908; मृत्यु- 1993) प्रसिद्ध एग्लो-इंडियन नेता थे। उनका जन्म 25 सितम्बर, 1908 ई. को जबलपुर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उन्होंने 'नागपुर विश्वविद्यालय' से तथा लंदन से शिक्षा पाई थी।
- लंदन से शिक्षा पूरी करके फ्रेंक एंथनी भारत आये और फिर यहाँ वकालत करने लगे। उनकी गणना सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख अधिवक्ताओं में होती थी।
- फ्रेंक एंथनी ने सार्वजनिक क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी।
- वाइसराय की राष्ट्रीय सुरक्षा कौंसिल के भी वे सदस्य रहे। 'राष्ट्रीय एकीकरण समिति' और 'नेहरू स्मारक फंड' के सदस्य भी थे।
- उन्होंने 'रेलवे कर्मचारी यूनियन' और 'एंग्लो इंडियन शिक्षा संगठन' की अध्यक्षता की थी।
- स्वतंत्रता के बाद फ्रेंक एंथनी केन्द्रीय असेम्बली और भारत की संविधान सभा के भी सदस्य थे।
- 1952 में गठित प्रथम लोकसभा में फ्रेंक एंथनी एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में सदस्य नामजद किए गए। यह क्रम सातवीं लोकसभा तक[1] निरंतर चलता रहा।
- एंथनी बड़े प्रबुद्ध व्यक्ति थे। वे संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य रहे। राष्ट्रमंडल सम्मेलन में भी देश की ओर से उन्होंने दो बार भाग लिया था। सुरक्षा के विषय में उनको विशेष ज्ञान था। अपने समुदाय के हित संवर्धन के लिए भी वे सदा प्रयत्नशील रहते थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ छठी लोकसभा को छोड़कर
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