लठ्ठा का मेला: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
{{tocright}}
|चित्र=Nandottsav.jpg
'''लठ्ठा का मेला''' [[उत्तर भारत]] के विशाल [[ब्रज]] मंडल के [[रंग नाथ जी मन्दिर वृन्दावन|रंग नाथ जी मन्दिर]] में आयोजन होने वाला सुप्रसिद्ध मेला है।
|चित्र का नाम=लठ्ठे का मेला, वृन्दावन
|विवरण='लट्ठा का मेला' [[ब्रज|ब्रज क्षेत्र]] में मनाया जाने वाला प्रमुख उत्सव है। '[[वैष्णव संप्रदाय]]' के प्रसिद्ध [[रंगनाथ जी मन्दिर, वृन्दावन|रंगनाथ जी मन्दिर]] में वेद मंत्रों के साथ लठ्ठा मेले का आयोजन किया जाता है।
|शीर्षक 1=राज्य
|पाठ 1=उत्तर प्रदेश
|शीर्षक 2=ज़िला
|पाठ 2=[[मथुरा]]
|शीर्षक 3=मेला स्थल
|पाठ 3=[[रंगनाथ जी मन्दिर, वृन्दावन|रंगनाथ जी मन्दिर]]
|शीर्षक 4=
|पाठ 4=
|शीर्षक 5=
|पाठ 5=
|शीर्षक 6=
|पाठ 6=
|शीर्षक 7=
|पाठ 7=
|शीर्षक 8=
|पाठ 8=
|शीर्षक 9=
|पाठ 9=
|शीर्षक 10=
|पाठ 10=
|संबंधित लेख=[[ब्रज]], [[मथुरा]], [[वृन्दावन]], [[कृष्ण]], [[रंग नाथ जी मन्दिर वृन्दावन|रंगनाथ जी मन्दिर]]
|अन्य जानकारी=इस मेले में [[माखन]] की मटकी 30 फुट ऊँचे खम्भे पर बाँधी जाती है, जिसे पाने के पहलवानों की टोलियाँ प्रयासरत रहती हैं। खम्भे पर चढ़ते समय पहलवानों पर तेल तथा जल की बौछार की जाती है।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=12:33 23 जुलाई, 2016 (IST)
}}
'''लठ्ठा का मेला''' उत्तर भारत के [[ब्रजमंडल]] में [[रंग नाथ जी मन्दिर वृन्दावन|रंगनाथ जी मन्दिर]] में आयोजित होता है। यह सुप्रसिद्ध मेला ब्रज क्षेत्र की प्राचीन संस्कृति का प्रतीक है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
==मेले का आयोजन==
==मेले का आयोजन==
[[वैष्णव संप्रदाय]] के प्रसिद्ध रंग मंदिर में वेद मंत्रों के साथ लठ्ठा मेले का आयोजन किया जाता है। पुराने विशाल चार खंभों के ऊपर आचार्यों के पास रखी माखन की मटकी को लेने के लिये 30 फुट ऊंचे खंभे पर चढ़कर [[वृन्दावन]] और आसपास के गांव के दर्जनों पहलवानों कई घंटे भरसक प्रयास करते है। आचार्यें पहलवानों के ऊपर कई टीन सरसों का तेल और पानी की बौछारें की करते है। इससे खंभे पर चढ़ने का प्रयास कर रहे पहलवान फिसलकर नीचे आ जाते है। दुसायत, जैंत, छटीकरा, राल गांव के ठाकुरों की पालों के पहलवानों में मटकी को पाने की होड़ मची रहती है।  
[[वैष्णव संप्रदाय]] के प्रसिद्ध रंग मंदिर में वेद मंत्रों के साथ लठ्ठा मेले का आयोजन किया जाता है। पुराने विशाल चार खंभों के ऊपर आचार्यों के पास रखी [[माखन]] की मटकी को लेने के लिये 30 फुट ऊंचे खंभे पर चढ़कर [[वृन्दावन]] और आसपास के गांव के दर्जनों पहलवान कई घंटे तक भरसक प्रयास करते हैं। आचार्य पहलवानों के ऊपर कई टीन सरसों का तेल और पानी की बौछारें भी करते हैं। इससे खंभे पर चढ़ने का प्रयास कर रहे पहलवान फिसलकर नीचे आ जाते है। दुसायत, जैंत, [[छटीकरा]], राल गांव के ठाकुरों की पालों के पहलवानों में मटकी को पाने की होड़ मची रहती है।  
==श्रद्धालुओं की भीड़==
==श्रद्धालुओं की भीड़==
मंदिर परिसर में कोतुहल से भरपूर इस मेले को देखने के लिए भक्तों का सैलाब उमता है। इस कोतुहल से भरे मटकी पाने के प्रयास को देखने के लिये हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रहती है। भक्त नंद के आनंद भये जय कन्हैया लाल की के जयघोष करते है। इससे पूर्व गोदारंगमन्नार मंदिर के आचार्यों ने दक्षिण शैली में वेदमंत्रोच्चारों के साथ माखन से भरी मटकी को स्तंभ के ऊपर स्थापित किया जाता है। यहां पर अन्य मंदिरों से अलग पांचरात्र शास्त्र विधि से भगवान गोदारंगमन्नार की पूजा की जाती है। यहां [[नक्षत्र|नक्षत्रों]] की चाल के आधार पर आचार्य गणना करके तिथियों के आधार पर तीज त्यौहार मनाए जाते हैं।  
मंदिर परिसर में कोतुहल से भरपूर इस मेले को देखने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ता है। इस कोतुहल से भरे मटकी पाने के प्रयास को देखने के लिये हज़ारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रहती है। भक्त "नंद के आनंद भये जय कन्हैया लाल की" के जयघोष करते हैं। इससे पूर्व गोदारंगमन्नार मंदिर के आचार्यों द्वारा दक्षिण शैली में वेद-मंत्रोच्चारों के साथ [[माखन]] से भरी मटकी को स्तंभ के ऊपर स्थापित किया जाता है। यहां पर अन्य मंदिरों से अलग पांचरात्र शास्त्र विधि से भगवान गोदारंगमन्नार की [[पूजा]] की जाती है। यहां नक्षत्रों की चाल के आधार पर आचार्य द्वारा गणना करके तिथियों के आधार पर तीज-त्यौहार मनाए जाते हैं।


{|style="width:100%"
|-
|
|}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{उत्सव और मेले}}
{{उत्सव और मेले}}
[[Category:ब्रज]]
[[Category:ब्रज]][[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश की संस्कृति]][[Category:उत्सव और मेले]][[Category:संस्कृति कोश]]
[[Category:उत्तर प्रदेश]]
[[Category:उत्तर प्रदेश की संस्कृति]]
[[Category:उत्सव और मेले]]
[[Category:संस्कृति कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 13:51, 26 August 2016

लठ्ठा का मेला
विवरण 'लट्ठा का मेला' ब्रज क्षेत्र में मनाया जाने वाला प्रमुख उत्सव है। 'वैष्णव संप्रदाय' के प्रसिद्ध रंगनाथ जी मन्दिर में वेद मंत्रों के साथ लठ्ठा मेले का आयोजन किया जाता है।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मथुरा
मेला स्थल रंगनाथ जी मन्दिर
संबंधित लेख ब्रज, मथुरा, वृन्दावन, कृष्ण, रंगनाथ जी मन्दिर
अन्य जानकारी इस मेले में माखन की मटकी 30 फुट ऊँचे खम्भे पर बाँधी जाती है, जिसे पाने के पहलवानों की टोलियाँ प्रयासरत रहती हैं। खम्भे पर चढ़ते समय पहलवानों पर तेल तथा जल की बौछार की जाती है।
अद्यतन‎ 12:33 23 जुलाई, 2016 (IST)

लठ्ठा का मेला उत्तर भारत के ब्रजमंडल में रंगनाथ जी मन्दिर में आयोजित होता है। यह सुप्रसिद्ध मेला ब्रज क्षेत्र की प्राचीन संस्कृति का प्रतीक है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

मेले का आयोजन

वैष्णव संप्रदाय के प्रसिद्ध रंग मंदिर में वेद मंत्रों के साथ लठ्ठा मेले का आयोजन किया जाता है। पुराने विशाल चार खंभों के ऊपर आचार्यों के पास रखी माखन की मटकी को लेने के लिये 30 फुट ऊंचे खंभे पर चढ़कर वृन्दावन और आसपास के गांव के दर्जनों पहलवान कई घंटे तक भरसक प्रयास करते हैं। आचार्य पहलवानों के ऊपर कई टीन सरसों का तेल और पानी की बौछारें भी करते हैं। इससे खंभे पर चढ़ने का प्रयास कर रहे पहलवान फिसलकर नीचे आ जाते है। दुसायत, जैंत, छटीकरा, राल गांव के ठाकुरों की पालों के पहलवानों में मटकी को पाने की होड़ मची रहती है।

श्रद्धालुओं की भीड़

मंदिर परिसर में कोतुहल से भरपूर इस मेले को देखने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ता है। इस कोतुहल से भरे मटकी पाने के प्रयास को देखने के लिये हज़ारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रहती है। भक्त "नंद के आनंद भये जय कन्हैया लाल की" के जयघोष करते हैं। इससे पूर्व गोदारंगमन्नार मंदिर के आचार्यों द्वारा दक्षिण शैली में वेद-मंत्रोच्चारों के साथ माखन से भरी मटकी को स्तंभ के ऊपर स्थापित किया जाता है। यहां पर अन्य मंदिरों से अलग पांचरात्र शास्त्र विधि से भगवान गोदारंगमन्नार की पूजा की जाती है। यहां नक्षत्रों की चाल के आधार पर आचार्य द्वारा गणना करके तिथियों के आधार पर तीज-त्यौहार मनाए जाते हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख