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<h4>[[एक व्यक्तित्व]]</h4>
| class="headbg6" style="border:1px solid #D0D09D;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg5" style="padding-left:8px;"><span style="color:#34341B;">'''एक व्यक्तित्व'''</span></div>
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[[चित्र:Rahul Sankrityayan.JPG|right|90px|link=राहुल सांकृत्यायन|border]]
<div id="rollnone"> [[चित्र:C.V Raman.jpg|right|100px|चंद्रशेखर वेंकट रामन|link=चंद्रशेखर वेंकट रामन]] </div>
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* चंद्रशेखर वेंकट रामन का जन्म तिरुचिरापल्ली शहर में 7 नवम्बर 1888 को हुआ था ।
        '''[[राहुल सांकृत्यायन|महापण्डित राहुल सांकृत्यायन]]''' को '''हिन्दी यात्रा साहित्य''' का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। [[बौद्ध धर्म]] पर उनका शोध [[हिन्दी साहित्य]] में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने [[तिब्बत]] से लेकर [[श्रीलंका]] तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो [[पाली]], [[प्राकृत]], [[अपभ्रंश]], तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो [[कार्ल मार्क्स]], लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी [[इतिहास]], [[पुरातत्त्व]], [[स्थापत्य कला|स्थापत्य]], भाषाशास्त्र एवं [[राजनीति कोश|राजनीति शास्त्र]] के अच्छे ज्ञाता थे। [[राहुल सांकृत्यायन|... और पढ़ें]]
* इनके पिता चंद्रशेखर अय्यर और माँ पार्वती अम्माल थीं।
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* वेंकटरामन ब्रिटेन के प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की 'एम॰ आर॰ सी॰ लेबोरेट्रीज़ ऑफ़ म्यलूकुलर बायोलोजी' के स्ट्रकचरल स्टडीज़ विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक थे।
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* 'रामन प्रभाव' की खोज 28 फरवरी 1928 को हुई थी। इस महान खोज की याद में 28 फरवरी का दिन हम 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' के रूप में मनाते हैं। इस महान खोज 'रामन प्रभाव' के लिये 1930 में श्री रामन को 'भौतिकी का नोबेल पुरस्कार' प्रदान किया गया और रामन भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले एशिया के पहले व्यक्ति बने।
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* डॉ.रामन का देश-विदेश की प्रख्यात वैज्ञानिक संस्थाओं ने सम्मान किया। भारत सरकार ने 'भारत रत्न' की सर्वोच्च उपाधि देकर सम्मानित किया।
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* सोवियत रूस ने उन्हें 1958 में 'लेनिन पुरस्कार' प्रदान किया।
| [[एक व्यक्तित्व|पिछले लेख]] →
* 21 नवम्बर 1970 को 82 वर्ष की आयु में वैज्ञानिक डॉ. रामन की मृत्यु हुई।      [[चंद्रशेखर वेंकट रामन|.... और पढ़ें]]
|[[ओंकारनाथ ठाकुर|पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर]]
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| [[जे. आर. डी. टाटा]]
<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>
| [[आर. के. लक्ष्मण]]
|}
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<noinclude>[[Category:एक व्यक्तित्व के साँचे]]</noinclude>

Latest revision as of 14:03, 6 April 2020

एक व्यक्तित्व

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        महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो कार्ल मार्क्स, लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी इतिहास, पुरातत्त्व, स्थापत्य, भाषाशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। ... और पढ़ें

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