अग्रसेन की बावली: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
|||
(10 intermediate revisions by 5 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[ | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
|चित्र=Agrasen Ki Bavli3.jpg | |||
|चित्र का नाम=अग्रसेन की बावली, दिल्ली | |||
|विवरण='अग्रसेन की बावली' [[दिल्ली]] में [[जंतर मंतर दिल्ली|जंतर मंतर]] के निकट स्थित एक ऐतिहासिक इमारत है, जिसका निर्माण [[महाराजा अग्रसेन]] ने करवाया था। | |||
|शीर्षक 1=राज्य | |||
|पाठ 1=[[राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली]] | |||
|शीर्षक 2=नगर | |||
|पाठ 2=[[दिल्ली]] | |||
|शीर्षक 3=निर्माणकर्ता | |||
|पाठ 3=[[महाराजा अग्रसेन]] | |||
|शीर्षक 4=निर्माण काल | |||
|पाठ 4=[[महाभारत|महाभारत काल]] | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|शीर्षक 6= | |||
|पाठ 6= | |||
|शीर्षक 7= | |||
|पाठ 7= | |||
|शीर्षक 8= | |||
|पाठ 8= | |||
|शीर्षक 9= | |||
|पाठ 9= | |||
|शीर्षक 10= | |||
|पाठ 10= | |||
|संबंधित लेख=[[दिल्ली]], [[महाराजा अग्रसेन]] | |||
|अन्य जानकारी=इस बावली की मुख्य विशेषता है कि यह [[उत्तर (दिशा)|उत्तर]] से [[दक्षिण दिशा]] में 60 मीटर लम्बी तथा भूतल पर 15 मीटर चौड़ी है। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''अग्रसेन की बावली''' [[भारत]] की राजधानी [[दिल्ली]] में '[[जंतर मंतर दिल्ली|जंतर मंतर]]' के निकट स्थित है, जो [[भारत सरकार]] द्वारा '[[भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग|भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण]]' (एएसआई) और अवशेष अधिनियम 1958 के अतंर्गत संरक्षित है। [[महाभारत]] के पौराणिक पात्र एवं [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] [[अग्रसेन महाराज|राजा अग्रसेन]] ने इसका निर्माण करवाया था। यह [[बावली]] अभी भी बेहतर स्थिति में है। इस बावली का निर्माण लाल बलुए पत्थर से हुआ है। अनगढ़ तथा गढ़े हुए पत्थर से निर्मित यह [[दिल्ली]] की बेहतरीन बावलियों में से एक है। | |||
==निर्माण काल== | |||
इस [[बावली]] का निर्माण सूर्यवंशी सम्राट [[महाराजा अग्रसेन]] ने करवाया था, इसलिए इसे 'अग्रसेन की बावली' कहते हैं। क़रीब 60 मीटर लंबी और 15 मीटर ऊंची इस बावली के बारे में विश्वास है कि महाभारत काल में इसका निर्माण कराया गया था। बाद में अग्रवाल समाज ने इस बावली का जीर्णोद्धार कराया। यह दिल्ली की उन गिनी चुनी बावलियों में से एक है, जो अभी भी अच्छी स्थिति में हैं। [[जंतर मंतर दिल्ली|जंतर मंतर]] के निकट, हेली रोड पर यह बावली मौजूद है। यहाँ पर [[नई दिल्ली]] और [[दिल्ली|पुरानी दिल्ली]] के लोग कभी [[तैराकी]] सीखने के लिए आते थे। | |||
==स्थापत्य विशेषताएँ== | ==स्थापत्य विशेषताएँ== | ||
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि 14वीं शताब्दी में इस बावली का निर्माण हुआ था। इसकी एक विशेषता यह भी है कि दिल्ली के [[हृदय]] [[कनॉट प्लेस]] के समीप हेली रोड के हेली लेन में स्थित यह बावली चारों तरफ़ से मकानों से घिरी है, जिससे किसी बाहरी व्यक्ति को पता भी नहीं चलता कि यहाँ कोई बावली है। इसकी अन्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- | |||
*अग्रसेन की बावली में 60 मीटर लम्बी और 15 मीटर चौड़ी है। इसमें 103 सीढ़ियाँ है। | |||
*अग्रसेन की बावली में 60 मीटर लम्बी | *बावली की स्थापत्य शैली उत्तरकालीन [[तुग़लक़ वंश|तुग़लक़]] तथा [[लोदी वंश|लोदी काल]] (13वी-16वी ईस्वी) से मेल खाती है। | ||
*[[लाल रंग|लाल]] बलुए पत्थर से बनी इस बावली की वास्तु संबंधी विशेषताएँ तुग़लक़ और लोदी काल की तरफ़ संकेत कर रहे हैं, लेकिन परंपरा के अनुसार इसे अग्रहरि एवं अग्रवाल समाज के पूर्वज अग्रसेन ने बनवाया था। | |||
*लाल बलुए पत्थर से बनी बावली की वास्तु संबंधी | *इमारत की मुख्य विशेषता है कि यह [[उत्तर (दिशा)|उत्तर]] से [[दक्षिण दिशा]] में 60 मीटर लम्बी तथा भूतल पर 15 मीटर चौड़ी है। | ||
*[[पश्चिम दिशा|पश्चिम]] की ओर तीन प्रवेश द्वार युक्त एक [[मस्जिद]] है। यह एक ठोस ऊँचे चबूतरे पर किनारों की भूमिगत दालानों से युक्त है। इसके स्थापत्य में ‘व्हेल मछली की पीठ के समान’ छत, ‘चैत्य आकृति’ की नक़्क़ाशी युक्त चार खम्बों का संयुक्त स्तम्भ, चाप स्कन्ध में प्रयुक्त पदक अलंकरण इसको विशिष्टता प्रदान करता है। | |||
== | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==चित्र वीथिका == | |||
<gallery> | <gallery> | ||
चित्र:Agrasen Ki Bavli.jpg|अग्रसेन की बावली<br /> Agrasen Ki Bavli | चित्र:Agrasen Ki Bavli.jpg|अग्रसेन की बावली<br /> Agrasen Ki Bavli | ||
चित्र:Agrasen Ki | चित्र:Agrasen Ki Bavli0jpg.jpg|अग्रसेन की बावली<br /> Agrasen Ki Bavli | ||
चित्र:Agrasen Ki Bavli1.jpg|अग्रसेन की बावली<br /> Agrasen Ki Bavli | चित्र:Agrasen Ki Bavli1.jpg|अग्रसेन की बावली<br /> Agrasen Ki Bavli | ||
चित्र:Agrasen Ki Bavli2.jpg|अग्रसेन की बावली<br /> Agrasen Ki Bavli | चित्र:Agrasen Ki Bavli2.jpg|अग्रसेन की बावली<br /> Agrasen Ki Bavli | ||
</gallery> | </gallery> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{दिल्ली}} | {{दिल्ली}}{{बावली}} | ||
{{ | [[Category:दिल्ली]][[Category:दिल्ली के पर्यटन स्थल]][[Category:राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली]] | ||
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] [[Category:स्थापत्य कला]][[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:कला कोश]] | |||
[[Category:पर्यटन कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:बावली]] | |||
[[Category: | |||
[[Category: | |||
[[Category: | |||
[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | |||
[[Category:स्थापत्य कला]][[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:कला कोश]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:इतिहास कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Latest revision as of 08:25, 27 April 2018
अग्रसेन की बावली
| |
विवरण | 'अग्रसेन की बावली' दिल्ली में जंतर मंतर के निकट स्थित एक ऐतिहासिक इमारत है, जिसका निर्माण महाराजा अग्रसेन ने करवाया था। |
राज्य | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली |
नगर | दिल्ली |
निर्माणकर्ता | महाराजा अग्रसेन |
निर्माण काल | महाभारत काल |
संबंधित लेख | दिल्ली, महाराजा अग्रसेन |
अन्य जानकारी | इस बावली की मुख्य विशेषता है कि यह उत्तर से दक्षिण दिशा में 60 मीटर लम्बी तथा भूतल पर 15 मीटर चौड़ी है। |
अग्रसेन की बावली भारत की राजधानी दिल्ली में 'जंतर मंतर' के निकट स्थित है, जो भारत सरकार द्वारा 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण' (एएसआई) और अवशेष अधिनियम 1958 के अतंर्गत संरक्षित है। महाभारत के पौराणिक पात्र एवं सूर्यवंशी राजा अग्रसेन ने इसका निर्माण करवाया था। यह बावली अभी भी बेहतर स्थिति में है। इस बावली का निर्माण लाल बलुए पत्थर से हुआ है। अनगढ़ तथा गढ़े हुए पत्थर से निर्मित यह दिल्ली की बेहतरीन बावलियों में से एक है।
निर्माण काल
इस बावली का निर्माण सूर्यवंशी सम्राट महाराजा अग्रसेन ने करवाया था, इसलिए इसे 'अग्रसेन की बावली' कहते हैं। क़रीब 60 मीटर लंबी और 15 मीटर ऊंची इस बावली के बारे में विश्वास है कि महाभारत काल में इसका निर्माण कराया गया था। बाद में अग्रवाल समाज ने इस बावली का जीर्णोद्धार कराया। यह दिल्ली की उन गिनी चुनी बावलियों में से एक है, जो अभी भी अच्छी स्थिति में हैं। जंतर मंतर के निकट, हेली रोड पर यह बावली मौजूद है। यहाँ पर नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली के लोग कभी तैराकी सीखने के लिए आते थे।
स्थापत्य विशेषताएँ
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि 14वीं शताब्दी में इस बावली का निर्माण हुआ था। इसकी एक विशेषता यह भी है कि दिल्ली के हृदय कनॉट प्लेस के समीप हेली रोड के हेली लेन में स्थित यह बावली चारों तरफ़ से मकानों से घिरी है, जिससे किसी बाहरी व्यक्ति को पता भी नहीं चलता कि यहाँ कोई बावली है। इसकी अन्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- अग्रसेन की बावली में 60 मीटर लम्बी और 15 मीटर चौड़ी है। इसमें 103 सीढ़ियाँ है।
- बावली की स्थापत्य शैली उत्तरकालीन तुग़लक़ तथा लोदी काल (13वी-16वी ईस्वी) से मेल खाती है।
- लाल बलुए पत्थर से बनी इस बावली की वास्तु संबंधी विशेषताएँ तुग़लक़ और लोदी काल की तरफ़ संकेत कर रहे हैं, लेकिन परंपरा के अनुसार इसे अग्रहरि एवं अग्रवाल समाज के पूर्वज अग्रसेन ने बनवाया था।
- इमारत की मुख्य विशेषता है कि यह उत्तर से दक्षिण दिशा में 60 मीटर लम्बी तथा भूतल पर 15 मीटर चौड़ी है।
- पश्चिम की ओर तीन प्रवेश द्वार युक्त एक मस्जिद है। यह एक ठोस ऊँचे चबूतरे पर किनारों की भूमिगत दालानों से युक्त है। इसके स्थापत्य में ‘व्हेल मछली की पीठ के समान’ छत, ‘चैत्य आकृति’ की नक़्क़ाशी युक्त चार खम्बों का संयुक्त स्तम्भ, चाप स्कन्ध में प्रयुक्त पदक अलंकरण इसको विशिष्टता प्रदान करता है।
|
|
|
|
|
चित्र वीथिका
-
अग्रसेन की बावली
Agrasen Ki Bavli -
अग्रसेन की बावली
Agrasen Ki Bavli -
अग्रसेन की बावली
Agrasen Ki Bavli -
अग्रसेन की बावली
Agrasen Ki Bavli
संबंधित लेख