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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {'[[ग्वालियर घराना]]' के जन्मदाता कौन माने जाते हैं?
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| |type="()"}
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| -[[विष्णु दिगम्बर पलुस्कर|पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर]]
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| -[[ओंकार नाथ ठाकुर]]
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| +नत्थन पीरबख़्श
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| -कादरबख़्श
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| || '''ग्वालियर घराना''' [[हिंदुस्तानी संगीत]] का सबसे प्राचीन [[घराना]] है। हस्सू खाँ, हद्दू खाँ के दादा उस्ताद नत्थन पीरबख़्श को इस घराने का जन्मदाता कहा जाता है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ग्वालियर घराना]]
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| {[[तबला]] वादन में '[[दिल्ली घराना]]' की नींव किसने रखी थी?
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| |type="()"}
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| -उस्ताद काले ख़ाँ
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| -उस्ताद सिद्धार ख़ाँ
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| +उस्ताद मीरू ख़ाँ
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| -मुहम्मद बख़्श
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| {'नाधिंधिंना' के जादूगर किस वादक को कहा जाता है?
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| |type="()"}
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| -पं. कण्ठे महाराज
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| -सामता प्रसाद मिश्र
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| -भैरो सहाय जी
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| +पं. अनोखेलाल मिश्र
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| {'नटवरी नृत्य' किस [[नृत्य कला|नृत्य]] को कहा जाता है?
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| |type="()"}
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| -[[भरतनाट्यम]]
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| -[[कथकली]]
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| +[[कत्थक]]
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| -[[मणिपुरी नृत्य|मणिपुरी]]
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| ||[[चित्र:Birju-Maharaj.jpg|right|100px|बिरजू महाराज]][[कत्थक]] की शैली का जन्म [[ब्राह्मण]] पुजारियों द्वारा [[हिन्दू|हिन्दुओं]] की पारम्परिक पुन: गणना में निहित है, जिन्हें 'कथिक' कहते थे, जो नाटकीय अंदाज में हाव भावों का उपयोग करते थे। क्रमश: इसमें कथा कहने की शैली और अधिक विकसित हुई तथा एक [[नृत्य कला|नृत्य]] रूप बन गया। इस नृत्य को 'नटवरी नृत्य' के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर [[भारत]] में [[मुग़ल|मुग़लों]] के आने पर इस नृत्य को शाही दरबार में ले जाया गया और इसका विकास एक परिष्कृत कलारूप में हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कत्थक]]
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| {'तेराताली' [[लोकनृत्य]] किस राज्य से सम्बन्धित है?
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| |type="()"}
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| -[[केरल]] से
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| +[[राजस्थान]] से
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| -[[मध्य प्रदेश]] से
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| -[[तमिलनाडु]] से
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| ||[[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer.jpg|right|120px|पुष्कर झील, राजस्थान]][[राजस्थान]] में ख्याल, रम्मत, रासधारी, [[नृत्य कला|नृत्य]], भवाई, ढाला-मारु, तुर्रा-कलंगी या माच तथा आदिवासी गवरी, [[घूमर नृत्य|घूमर]], अग्नि नृत्य, [[कोटा राजस्थान|कोटा]] का [[चकरी नृत्य]], डीडवाणा पोकरण के '''तेराताली नृत्य''', [[मारवाड़]] की कच्ची घोड़ी का नृत्य, पाबूजी की फड़ तथा [[कठपुतली]] प्रदर्शन के नाम उल्लेखनीय हैं। पाबूजी की फड़ चित्रांकित पर्दे के सहारे प्रदर्शनात्मक विधि द्वारा गाया जाने वाला गेय-नाट्य है। लोक बादणें में नगाड़ा [[ढोल]]-ढ़ोलक, मादल, [[रावण हत्था]], पूंगी, बसली, [[सारंगी]], तदूरा, तासा, थाली, [[झाँझ]] पत्तर तथा खड़ताल आदि हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजस्थान]]
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| {फ़िल्म 'झनक-झनक पायल बाजे' में एक विख्यात नर्तक ने शानदार अभिनय प्रस्तुत किया था। उनका नाम क्या था?
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| |type="()"}
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| -उदयशंकर
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| -[[बिरजू महाराज]]
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| +गोपीकृष्ण
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| -अच्छन महाराज
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| {निम्नलिखित में से प्रात:कालीन संधिप्रकाश [[राग]] कौन-सा है?
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| |type="()"}
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| -दरबारी
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| -भूपाली
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| +कालिंगड़ा
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| -भीमपलासी
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| {'[[किराना घराना]]' की उत्पत्ति का श्रेय किस [[मुग़ल]] बादशाह को है?
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| |type="()"}
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| -[[औरंगज़ेब]]
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| -[[अकबर]]
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| -[[शाहजहाँ]]
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| +[[जहाँगीर]]
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| ||[[चित्र:Jahangir.jpg|right|120px|जहाँगीर]]जहाँगीर के चरित्र में एक अच्छा लक्षण था- प्रकृति से ह्रदय से आनंद लेना तथा फूलों को प्यार करना, उत्तम सौन्दर्य, बोधात्मक रुचि से सम्पन्न। स्वयं चित्रकार होने के कारण [[जहाँगीर]], [[कला]] एवं [[साहित्य]] का पोषक था। 'किराना घराना' की उत्पत्ति का मुख्य श्रेय जहाँगीर को ही दिया जाता है। उसका ‘तुजूके-जहाँगीरी’ संस्मरण उसकी साहित्यिक योग्यता का प्रमाण है। जहाँगीर ने एक आदर्श प्रेमी की तरह 1615 ई. में [[लाहौर]] में संगमरमर की एक सुन्दर क़ब्र बनवायी, जिस पर एक प्रेमपूर्ण अभिलेख था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]]
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| {'ब्रह्म ताल' कितनी मात्रा का होता है?
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| |type="()"}
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| -15 मात्रा
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| -11 मात्रा
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| +28 मात्रा
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| -10 मात्रा
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| {[[स्वर (संगीत)|स्वर]] ‘सा, रे एवं ग’ में किस स्वर की तीव्रता सबसे अधिक होती है?
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| |type="()"}
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| -सा
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| +ग
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| -किसी की नहीं
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| -सभी में समान
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| {किस [[वेद]] में [[संगीत]] विद्यमान है? | | {किस [[वेद]] में [[संगीत]] विद्यमान है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |