वैदेही वनवास -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध': Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (श्रेणी:खंड काव्य; Adding category Category:खण्ड काव्य (को हटा दिया गया हैं।))
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 14: Line 14:
|शीर्षक 1=शैली
|शीर्षक 1=शैली
|पाठ 1=[[खंडकाव्य]]
|पाठ 1=[[खंडकाव्य]]
|शीर्षक 2=[[छन्द]]
|शीर्षक 2=कुल सर्ग
|पाठ 2=रोला
|पाठ 2=18
|बाहरी कड़ियाँ=
|बाहरी कड़ियाँ=
}}
}}
|-  
|-  
|
| {{वैदेही वनवास}}
{{वैदेही वनवास}}
|}
|}
'''वैदेही वनवास''' [[अयोध्यासिंह उपाध्याय|अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']] का प्रसिद्ध [[खण्डकाव्य]] है। इसका प्रकाशन '[[प्रियप्रवास -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'|प्रियप्रवास]]' के प्रकाशन के कोई 26 [[वर्ष]] बाद [[1940]] ई. में हुआ। अब तक इसके चार संस्करण निकल चुके हैं। 'हरिऔध' कृत [[खड़ीबोली]] के इस दूसरे [[प्रबन्ध काव्य]] में [[राम|रामकथा]] के [[वैदेही|वैदेही वनवास]] प्रसंग को आधार बनाया गया है और [[करुण रस]] की निष्पत्ति कराई गयी है। किंतु इसमें 'प्रियप्रवास' की तुलना में बहुत कम लोकप्रियता मिल पायी है। यद्यपि इस कृति में कवि 'हरिऔध' ने यथासाध्य सरल तथा बोलचाल की [[भाषा]] अपनायी है।<ref>{{cite book | last =धीरेंद्र| first =वर्मा| title =हिंदी साहित्य कोश| edition =| publisher =| location =| language =हिंदी| pages =583| chapter =भाग- 2 पर आधारित}}</ref>
'''वैदेही वनवास''' [[अयोध्यासिंह उपाध्याय|अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']] का प्रसिद्ध [[खण्डकाव्य]] है। इसका प्रकाशन '[[प्रियप्रवास -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'|प्रियप्रवास]]' के प्रकाशन के कोई 26 [[वर्ष]] बाद [[1940]] ई. में हुआ। अब तक इसके चार संस्करण निकल चुके हैं। 'हरिऔध' कृत [[खड़ीबोली]] के इस दूसरे [[प्रबन्ध काव्य]] में [[राम|रामकथा]] के [[वैदेही|वैदेही वनवास]] प्रसंग को आधार बनाया गया है और [[करुण रस]] की निष्पत्ति कराई गयी है। किंतु इसमें 'प्रियप्रवास' की तुलना में बहुत कम लोकप्रियता मिल पायी है। यद्यपि इस कृति में कवि 'हरिऔध' ने यथासाध्य सरल तथा बोलचाल की [[भाषा]] अपनायी है।<ref>{{cite book | last =धीरेंद्र| first =वर्मा| title =हिंदी साहित्य कोश| edition =| publisher =| location =| language =हिंदी| pages =583| chapter =भाग- 2 पर आधारित}}</ref>
Line 32: Line 31:
[[Category:पद्य साहित्य]]
[[Category:पद्य साहित्य]]
[[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:खंड काव्य]]
[[Category:अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']]
[[Category:अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']]
[[Category:वैदेही वनवास]]
[[Category:वैदेही वनवास]]
[[Category:खण्ड काव्य]]


__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 09:57, 5 April 2013

वैदेही वनवास -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
जन्म 15 अप्रैल, 1865
जन्म स्थान निज़ामाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 16 मार्च, 1947
मृत्यु स्थान निज़ामाबाद, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'प्रियप्रवास', 'वैदेही वनवास', 'पारिजात', 'हरिऔध सतसई'
शैली खंडकाव्य
कुल सर्ग 18
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
वैदेही वनवास -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
कुल अठारह (18) सर्ग
वैदेही वनवास प्रथम सर्ग
वैदेही वनवास द्वितीय सर्ग
वैदेही वनवास तृतीय सर्ग
वैदेही वनवास चतुर्थ सर्ग
वैदेही वनवास पंचम सर्ग
वैदेही वनवास षष्ठ सर्ग
वैदेही वनवास सप्तम सर्ग
वैदेही वनवास अष्टम सर्ग
वैदेही वनवास नवम सर्ग
वैदेही वनवास दशम सर्ग
वैदेही वनवास एकादश सर्ग
वैदेही वनवास द्वादश सर्ग
वैदेही वनवास त्रयोदश सर्ग
वैदेही वनवास चतुर्दश सर्ग
वैदेही वनवास पंचदश सर्ग
वैदेही वनवास षोडश सर्ग
वैदेही वनवास सप्तदश सर्ग
वैदेही वनवास अष्टदश सर्ग

वैदेही वनवास अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का प्रसिद्ध खण्डकाव्य है। इसका प्रकाशन 'प्रियप्रवास' के प्रकाशन के कोई 26 वर्ष बाद 1940 ई. में हुआ। अब तक इसके चार संस्करण निकल चुके हैं। 'हरिऔध' कृत खड़ीबोली के इस दूसरे प्रबन्ध काव्य में रामकथा के वैदेही वनवास प्रसंग को आधार बनाया गया है और करुण रस की निष्पत्ति कराई गयी है। किंतु इसमें 'प्रियप्रवास' की तुलना में बहुत कम लोकप्रियता मिल पायी है। यद्यपि इस कृति में कवि 'हरिऔध' ने यथासाध्य सरल तथा बोलचाल की भाषा अपनायी है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 2 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 583।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख