मायावती: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "राजनैतिक" to "राजनीतिक")
m (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 9: Line 9:
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु कारण=
|मृत्यु कारण=
|अविभावक=पिता- प्रभुदास, माता- रामरती
|अभिभावक=पिता- प्रभुदास, माता- रामरती
|पति/पत्नी=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|संतान=
Line 30: Line 30:
|शीर्षक 2=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=[[1995]] में मायावती पहली बार [[उत्तर प्रदेश]] की [[मुख्यमंत्री]] बनी थीं। इसके पश्चात वे दुबारा [[1997]] में मुख्यमंत्री बनीं।
|अन्य जानकारी=[[1995]] में मायावती पहली बार [[उत्तर प्रदेश]] की [[मुख्यमंत्री]] बनी थीं। इसके पश्चात् वे दुबारा [[1997]] में मुख्यमंत्री बनीं।
|बाहरी कड़ियाँ=
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=1:27, 5 अक्टूबर-2012, (IST)
|अद्यतन=1:27, 5 अक्टूबर-2012, (IST)
Line 44: Line 44:
मायावती सफल राजनेत्री के रूप में अपनी एक ख़ास पहचान बना चुकी हैं। उन्होंने अपनी मजबूत छवि का निर्माण अपनी योग्यता और वैयक्तिक विशेषताओं के बल पर किया है। वे एक आत्म-निर्भर महिला हैं। उनके व्यक्तित्व में आत्म-विश्वास और दृढ़ता कूट-कूट कर भरी है। काम के प्रति बेहद सजग रहने वाली मायावती अपने अफ़सरों की लापरवाही के लिए कठोर व सख्त भी बन जाती हैं।
मायावती सफल राजनेत्री के रूप में अपनी एक ख़ास पहचान बना चुकी हैं। उन्होंने अपनी मजबूत छवि का निर्माण अपनी योग्यता और वैयक्तिक विशेषताओं के बल पर किया है। वे एक आत्म-निर्भर महिला हैं। उनके व्यक्तित्व में आत्म-विश्वास और दृढ़ता कूट-कूट कर भरी है। काम के प्रति बेहद सजग रहने वाली मायावती अपने अफ़सरों की लापरवाही के लिए कठोर व सख्त भी बन जाती हैं।
====राजनीतिक सफर====
====राजनीतिक सफर====
सन [[1977]] में कांशीराम जी से मिलने के बाद मायावती ने अध्यापन का कार्य छोड़कर राजनीति में आने का निश्चय कर लिया था। जब [[1984]] में कांशीराम द्वारा 'बहुजन समाज पार्टी' (बीएसपी) का गठन किया गया। उस समय [[मुज़फ़्फ़रनगर ज़िला|मुज़फ़्फ़रनगर जिले]] की कैराना [[लोकसभा]] सीट से मायावती जी को चुनाव लड़ाया गया। इसके बाद [[हरिद्वार]] और [[बिजनौर]] सीट के लिए भी मायावती को ही प्रतिनिधि बनाया गया। पहली बार बिजनौर सीट से जीतने के बाद ही मायावती [[लोकसभा]] पहुँच गयी थीं। वर्ष [[1995]] में वे [[राज्यसभा]] की सदस्य भी रहीं। 1995 में मायावती पहली बार [[उत्तर प्रदेश]] की [[मुख्यमंत्री]] बनीं। इसके पश्चात वे दोबारा [[1997]] में मुख्यमंत्री बनीं। वर्ष [[2001]] में [[कांशीराम]] ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इसके बाद [[2002]] में '[[भारतीय जनता पार्टी]]' के समर्थन के साथ वह फिर मुख्यमंत्री बनीं। इस बार यह अवधि पहले की अपेक्षा थोड़ी बड़ी थी। [[2007]] के चुनावों में बीएसपी के लिए लगभग सभी वर्ग के लोगों ने मतदान किया। इन चुनावों में विजयी होने के पश्चात मायावती चौथी बार मुख्यमंत्री बनाई गईं। कमज़ोर और दलित वर्गों का उत्थान और उन्हें रोज़गार के अच्छे अवसर दिलवाना, उनके द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का केन्द्र है।
सन [[1977]] में कांशीराम जी से मिलने के बाद मायावती ने अध्यापन का कार्य छोड़कर राजनीति में आने का निश्चय कर लिया था। जब [[1984]] में कांशीराम द्वारा 'बहुजन समाज पार्टी' (बीएसपी) का गठन किया गया। उस समय [[मुज़फ़्फ़रनगर ज़िला|मुज़फ़्फ़रनगर जिले]] की कैराना [[लोकसभा]] सीट से मायावती जी को चुनाव लड़ाया गया। इसके बाद [[हरिद्वार]] और [[बिजनौर]] सीट के लिए भी मायावती को ही प्रतिनिधि बनाया गया। पहली बार बिजनौर सीट से जीतने के बाद ही मायावती [[लोकसभा]] पहुँच गयी थीं। वर्ष [[1995]] में वे [[राज्यसभा]] की सदस्य भी रहीं। 1995 में मायावती पहली बार [[उत्तर प्रदेश]] की [[मुख्यमंत्री]] बनीं। इसके पश्चात् वे दोबारा [[1997]] में मुख्यमंत्री बनीं। वर्ष [[2001]] में [[कांशीराम]] ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इसके बाद [[2002]] में '[[भारतीय जनता पार्टी]]' के समर्थन के साथ वह फिर मुख्यमंत्री बनीं। इस बार यह अवधि पहले की अपेक्षा थोड़ी बड़ी थी। [[2007]] के चुनावों में बीएसपी के लिए लगभग सभी वर्ग के लोगों ने मतदान किया। इन चुनावों में विजयी होने के पश्चात् मायावती चौथी बार मुख्यमंत्री बनाई गईं। कमज़ोर और दलित वर्गों का उत्थान और उन्हें रोज़गार के अच्छे अवसर दिलवाना, उनके द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का केन्द्र है।


==उपलब्धियाँ==
==उपलब्धियाँ==
Line 59: Line 59:
{{उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री}}
{{उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री}}
[[Category:राजनीतिज्ञ]][[Category:उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:लोकसभा सांसद]]
[[Category:राजनीतिज्ञ]][[Category:उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:लोकसभा सांसद]]
[[Category:मुख्यमंत्री]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 07:29, 7 November 2017

मायावती
पूरा नाम मायावती नैना कुमारी
जन्म 15 जनवरी, 1956
जन्म भूमि नई दिल्ली
अभिभावक पिता- प्रभुदास, माता- रामरती
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी 'बहुजन समाज पार्टी' (बसपा)
पद पूर्व मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा कला स्नातक, एल.एल.बी. और बी.एड.
विद्यालय 'दिल्ली विश्वविद्यालय', 'वीएमएलजी कॉलेज', गाजियाबाद
भाषा हिन्दी, अंग्रेज़ी
अन्य जानकारी 1995 में मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं। इसके पश्चात् वे दुबारा 1997 में मुख्यमंत्री बनीं।
अद्यतन‎ 1:27, 5 अक्टूबर-2012, (IST)

मायावती नैना कुमारी (अंग्रेज़ी: Mayawati; जन्म- 15 जनवरी, 1956, नई दिल्ली) को भारत की शीर्ष महिला राजनीतिज्ञों में स्थान प्राप्त है। वे देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में से एक 'बहुजन समाज पार्टी' (बसपा) की प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वे अपने कार्यकर्ताओं के बीच 'बहनजी' के नाम से प्रसिद्ध हैं। सन 2007 के विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी ने राज्य में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया था, जिसके बाद वे देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं। इससे पहले भी मायावती तीन बार छोटे-छोटे कार्यकाल के लिये वर्ष 1995, 1997 और 'भारतीय जनता पार्टी' के समर्थन से 2002 से 2003 तक प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं।

जन्म तथा शिक्षा

मायावती का जन्म 15 जनवरी, 1956 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम 'प्रभुदास' और माता का नाम 'रामरती' था। मायावती का संबंध गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव 'बादलपुर' से है। उनके पिता प्रभुदास, गौतमबुद्ध नगर के ही डाक विभाग में कार्यरत थे। आर्थिक दृष्टि से पिछड़े परिवार से संबंधित होने के बावजूद इनके अभिभावकों ने अपने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा। मायावती ने 'दिल्ली विश्वविद्यालय' के 'कालिंदी कॉलेज' से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। इसके अतिरिक्त उन्होंने 'दिल्ली विश्वविद्यालय' से एल.एल.बी. की परीक्षा और 'वी.एम.एल.जी. कॉलेज', गाजियाबाद ('मेरठ यूनिवर्सिटी') से बी.एड. की उपाधि प्राप्त की।

राजनीति में आगमन

कुछ वर्षों तक मायावती दिल्ली के एक स्कूल में शिक्षण कार्य भी करती रहीं, लेकिन वर्ष 1977 में दलित नेता कांशीराम से मिलने के बाद उन्होंने पूर्णकालिक राजनीति में आने का निश्चय कर लिया। कांशीराम के नेतृत्व के अंतर्गत वह उनकी कोर टीम का हिस्सा रहीं, जब 1984 में उन्होंने अपनी पार्टी 'बसपा' की स्थापना की थी। 2006 में कांशीराम के निधन के बाद मायावती 'बहुजन समाज पार्टी' की अध्यक्ष बनाई गईं।[1]

व्यक्तित्व

मायावती सफल राजनेत्री के रूप में अपनी एक ख़ास पहचान बना चुकी हैं। उन्होंने अपनी मजबूत छवि का निर्माण अपनी योग्यता और वैयक्तिक विशेषताओं के बल पर किया है। वे एक आत्म-निर्भर महिला हैं। उनके व्यक्तित्व में आत्म-विश्वास और दृढ़ता कूट-कूट कर भरी है। काम के प्रति बेहद सजग रहने वाली मायावती अपने अफ़सरों की लापरवाही के लिए कठोर व सख्त भी बन जाती हैं।

राजनीतिक सफर

सन 1977 में कांशीराम जी से मिलने के बाद मायावती ने अध्यापन का कार्य छोड़कर राजनीति में आने का निश्चय कर लिया था। जब 1984 में कांशीराम द्वारा 'बहुजन समाज पार्टी' (बीएसपी) का गठन किया गया। उस समय मुज़फ़्फ़रनगर जिले की कैराना लोकसभा सीट से मायावती जी को चुनाव लड़ाया गया। इसके बाद हरिद्वार और बिजनौर सीट के लिए भी मायावती को ही प्रतिनिधि बनाया गया। पहली बार बिजनौर सीट से जीतने के बाद ही मायावती लोकसभा पहुँच गयी थीं। वर्ष 1995 में वे राज्यसभा की सदस्य भी रहीं। 1995 में मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। इसके पश्चात् वे दोबारा 1997 में मुख्यमंत्री बनीं। वर्ष 2001 में कांशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इसके बाद 2002 में 'भारतीय जनता पार्टी' के समर्थन के साथ वह फिर मुख्यमंत्री बनीं। इस बार यह अवधि पहले की अपेक्षा थोड़ी बड़ी थी। 2007 के चुनावों में बीएसपी के लिए लगभग सभी वर्ग के लोगों ने मतदान किया। इन चुनावों में विजयी होने के पश्चात् मायावती चौथी बार मुख्यमंत्री बनाई गईं। कमज़ोर और दलित वर्गों का उत्थान और उन्हें रोज़गार के अच्छे अवसर दिलवाना, उनके द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का केन्द्र है।

उपलब्धियाँ

सत्ता में आने के बाद से ही मायावती ने अनियमितताओं को समाप्त करने का प्रयत्न किया। शिकायत थी कि कई विभागों में होने वाली भर्तियों में धाँधली की गई है। मायावती ने संस्थानों में होने वाली भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए भी कड़े प्रयत्न किए। उनके द्वारा किए जा रहे सामाजिक सुधारों की सूची में गैर दलित वर्गों के लोगों के उत्थान के साथ निम्न और दलित वर्गों के लोगों को आरक्षण देने की भी व्यवस्था की गई है, जिसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में दलित वर्ग के लोगों के लिए सीट आरक्षित हैं।

पुस्तकें

मायावती के ऊपर कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं। इनमें पहला नाम 'आयरन लेडी कुमारी मायावती' का है। इस पुस्तक के लेखक पत्रकार मोहम्मद जमील अख़्तर हैं। मायावती ने स्वयं हिन्दी में 'मेरा संघर्षमयी जीवन' और 'बहुजन मूवमेंट का सफ़रनामा' तीन भागों में लिखा है। ये दोनों ही पुस्तकें काफ़ी चर्चित रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार अजय बोस द्वारा लिखी गयी 'बहनजी: अ पॉलिटिकल बायोग्राफ़ी ऑफ़ मायावती', मायावती से संबंधित अब तक की सर्वाधिक प्रशंसनीय पुस्तक है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मायावती (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 5 अक्टूबर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख