खोद खाद धरती सहै -कबीर: Difference between revisions
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Latest revision as of 14:17, 30 June 2017
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खोद खाद धरती सहै, काट कूट बनराइ। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि सहन करने की क्षमता केवल महान् लोगों में होती है। विशाल धरती में ही यह क्षमता होती है कि वह खुदाई के कष्ट को झेले, सुविस्तृत वनराजि में ही यह क्षमता है कि वह काट-कूट को सहन कर सके। इसी प्रकार विशाल हृदयमयी प्रभु-भक्त में ही यह क्षमता व्याप्त होती है कि वह लोगों के दुर्वचन वचन सहता है। अन्य लोगों में यह सहन शक्ति नहीं होती।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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