ईश्वर लाट: Difference between revisions

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* त्रिपोलिया से चांदपोल की ओर जाने वाली सड़क पर, त्रिपोलिया से लगभग 200 गज की दूरी पर ईश्वरलाट नामक सात मंजिली अठकोणी इमारत है।  
* त्रिपोलिया से चांदपोल की ओर जाने वाली सड़क पर, त्रिपोलिया से लगभग 200 गज की दूरी पर ईश्वरलाट नामक सात मंजिली अठकोणी इमारत है।  
* इसे सर्गाशुली भी कहते हैं। कुछ लोग इसे जयस्तम्भ भी कहते हैं।  
* इसे सर्गाशुली भी कहते हैं। कुछ लोग इसे जयस्तम्भ भी कहते हैं।  
* जयस्तम्भ बताने वालों का कहना है कि [[ईश्वरीसिंह|महाराजा ईश्वरीसिंह]] ने इसे अपने सौतेले भाई माधोसिंह पर विजय प्राप्त करने पर यादगार स्वरुप बनवाया था।  
* जयस्तम्भ बताने वालों का कहना है कि [[ईश्वरीसिंह|महाराजा ईश्वरीसिंह]] ने इसे अपने सौतेले भाई [[माधोसिंह]] पर विजय प्राप्त करने पर यादगार स्वरूप बनवाया था।  
* कुछ का यह भी कहना है कि ईश्वरीसिंह ने अपने मंत्री हरगोविन्द नारायणी की पुत्री को अपनी प्रेमिका बना रखा था। उसको प्रतिदिन देखने के लिए इस लाट को बनाया गया था।
* कुछ का यह भी कहना है कि ईश्वरीसिंह ने अपने मंत्री हरगोविन्द नारायणी की पुत्री को अपनी प्रेमिका बना रखा था। उसको प्रतिदिन देखने के लिए इस लाट को बनाया गया था।



Latest revision as of 13:18, 29 October 2017

ईश्वर लाट राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है।

  • त्रिपोलिया से चांदपोल की ओर जाने वाली सड़क पर, त्रिपोलिया से लगभग 200 गज की दूरी पर ईश्वरलाट नामक सात मंजिली अठकोणी इमारत है।
  • इसे सर्गाशुली भी कहते हैं। कुछ लोग इसे जयस्तम्भ भी कहते हैं।
  • जयस्तम्भ बताने वालों का कहना है कि महाराजा ईश्वरीसिंह ने इसे अपने सौतेले भाई माधोसिंह पर विजय प्राप्त करने पर यादगार स्वरूप बनवाया था।
  • कुछ का यह भी कहना है कि ईश्वरीसिंह ने अपने मंत्री हरगोविन्द नारायणी की पुत्री को अपनी प्रेमिका बना रखा था। उसको प्रतिदिन देखने के लिए इस लाट को बनाया गया था।



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