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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[विद्यासागर सेतु]] कहाँ स्थित है?
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| -[[कटक]]
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| -[[रामेश्वरम]]
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| +[[कोलकाता]]
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| -[[मदुरा]]
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| ||[[चित्र:Vidyasagar-Setu.jpg|right|100px|विद्यासागर सेतु]]'कोलकाता' [[पश्चिम बंगाल]] की राजधानी है। इसका एक उपनाम '''डायमण्ड हार्बर''' भी है। यह [[भारत]] का सबसे बड़ा शहर और प्रमुख बंदरगाहों में से एक हैं। [[कोलकाता]] का पुराना नाम 'कलकत्ता' था। [[1 जनवरी]], [[2001]] से कलकत्ता का नाम आधिकारिक तौर पर कोलकाता हुआ था। कोलकाता एक धार्मिक शहर है। यहाँ हर गली में मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, यहूदी सभागार आदि मिल जाएँगे। इन मंदिरों और मस्जिदों के अलावा भी यहाँ देखने लायक़ बहुत कुछ है। यहाँ का '[[विद्यासागर सेतु]]' [[हुगली नदी]] पर बना हुआ है और कोलकाता से [[हावड़ा ज़िला|हावड़ा]] को जोड़ता है। 19वीं शताब्दी के बंगाली समाज सुधारक [[ईश्वर चंद्र विद्यासागर]] के नाम पर इस सेतु का नाम रखा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कोलकाता]], [[कोलकाता पर्यटन]], [[विद्यासागर सेतु]]
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| {'[[सीमंतोन्नयन संस्कार]]' का क्या अर्थ है?
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| -सास द्वारा गर्भवती बहू के बाल खोलना।
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| +पति द्वारा गर्भवती पत्नी के बाल खोलना।
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| -ननद द्वारा गर्भवती भाभी के बाल खोलना।
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| -पति और सास की उपस्थिति में गर्भवती महिला द्वारा स्वयं बाल खोलना।
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| {निम्न में से किस [[सूर्य मंदिर (बहुविकल्पी)|सूर्य मन्दिर]] को 'ब्लैक पैगोडा' कहा जाता है?
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| +[[कोणार्क सूर्य मन्दिर]]
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| -[[कटारमल सूर्य मन्दिर]]
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| -[[मार्तण्ड सूर्य मंदिर|मार्तण्ड सूर्य मन्दिर]]
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||[[चित्र:A-View-Of-Sun-Temple-Konark.jpg|right|100px|कोणार्क सूर्य मन्दिर]]'कोणार्क सूर्य मन्दिर' [[भारत]] के [[उड़ीसा|उड़ीसा राज्य]] के [[पुरी ज़िला|पुरी ज़िले]] के [[कोणार्क]] नामक क़स्बे में स्थित है। यह [[सूर्य मन्दिर कोणार्क|सूर्य मन्दिर]] अपने निर्माण के 750 साल बाद भी अपनी अद्वितीयता, विशालता व कलात्मक भव्यता से हर किसी को निरुत्तर कर देता है। वास्तव में जिसे हम कोणार्क सूर्य मन्दिर के रूप में पहचानते हैं, वह पार्श्व में बने उस [[सूर्य मंदिर (बहुविकल्पी)|सूर्य मन्दिर]] का जगमोहन या महामण्डप है, जो कि बहुत पहले ध्वस्त हो चुका है। कोणार्क के सूर्य मन्दिर को [[अंग्रेज़ी]] में "ब्लैक पैगोडा" भी कहा जाता है। [[भारत]] से ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से लाखों पर्यटक इसको देखने कोणार्क आते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कोणार्क सूर्य मन्दिर]]
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| {"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता" किस [[ग्रंथ]] से उद्धृत है?
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| |type="()"}
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| -[[रामायण]]
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| -[[ऋग्वेद]]
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| +[[मनुस्मृति]]
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| -[[अभिज्ञानशाकुन्तलम]]
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| ||[[भारत]] में [[वेद|वेदों]] के उपरान्त सर्वाधिक मान्यता और प्रचलन '[[मनुस्मृति]]' का ही है । इसमें चारों [[वर्ण व्यवस्था|वर्णों]], चारों [[आश्रम व्यवस्था|आश्रमों]], [[सोलह संस्कार|सोलह संस्कारों]] तथा सृष्टि उत्पत्ति के अतिरिक्त राज्य की व्यवस्था, राजा के कर्तव्य, भांति-भांति के विवादों, सेना का प्रबन्ध आदि सभी विषयों पर परामर्श दिया गया है। भारत में 'मनुस्मृति' का सर्वप्रथम मुद्रण 1813 ई. में [[कलकत्ता]] में हुआ था। 2694 [[श्लोक|श्लोकों]] का यह [[ग्रंथ]] 12 अध्यायों में विभक्त है। यह [[हिन्दू धर्म]] का सबसे प्रधान ग्रंथ है। इसके रचयिता के विषय में मतभेद है। कुछ का मत है कि पहले यह एक 'मानव धर्मशास्त्र' था, जो अब उपलब्ध नहीं है। अत: वर्तमान 'मनुस्मृति' को [[मनु]] के नाम से प्रचारित करके उसे प्रामाणिकता प्रदान की गई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मनुस्मृति]]
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| {[[सोलह महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] का उल्लेख किस [[बौद्ध]] धर्म-ग्रंथ में मिलता है?
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| -[[दीपवंश]]
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| -[[महावंश]]
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| -[[दिव्यावदान]]
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| +[[अंगुत्तरनिकाय]]
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| ||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|100px|right|बौद्ध धर्म का प्रतीक]]अंगुत्तरनिकाय महत्त्वपूर्ण [[बौद्ध]] [[ग्रंथ]] है। इसके लेखक 'महंत आनंद कौसलायन' हैं। महाबोधि सभा, [[कलकत्ता]] द्वारा इसको वर्तमान समय में प्रकाशित किया गया है। 11 निपातों से युक्त इस निकाय में [[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] द्वारा भिक्षुओं को उपदेश में दी जाने वाली बातों का वर्णन है। इस निकाय में छठी शताब्दी ई.पू. के [[सोलह महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] का उल्लेख मिलता हैं|{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अंगुत्तरनिकाय]]
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| {[[भारत]] का राष्ट्रीय [[वाद्य यंत्र]] कौन-सा है? | | {[[भारत]] का राष्ट्रीय [[वाद्य यंत्र]] कौन-सा है? |
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| -[[बाँसुरी]] | | -[[बाँसुरी]] |
| -[[तबला]] | | -[[तबला]] |
| ||[[चित्र:Sitar.jpg|right|100px|सितार]]'सितार' के जन्म के विषय में विद्वानों के अनेक मत हैं। अभी तक किसी भी मत के पक्ष में कोई ठोस प्रमाण नहीं प्राप्त हो सका हैं। कुछ विद्वानों के मतानुसार [[सितार]] का निर्माण [[वीणा]] के एक प्रकार के आधार पर हुआ है। भारतीयता को महत्त्व देने वाले भारतीय विद्वान इस मत को सहज में ही मान लेते हैं। सितार को [[भारत]] का राष्ट्रीय वाद्य यंत्र होने का गौरव भी प्राप्त है। सितार बहुआयामी साज होने के साथ ही एक ऐसा [[वाद्य यंत्र]] है, जिसके ज़रिये भावनाओं को प्रकट किया जाता हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सितार]] | | ||[[चित्र:Sitar.jpg|right|100px|सितार]]'सितार' के जन्म के विषय में विद्वानों के अनेक मत हैं। अभी तक किसी भी मत के पक्ष में कोई ठोस प्रमाण नहीं प्राप्त हो सका हैं। कुछ विद्वानों के मतानुसार [[सितार]] का निर्माण [[वीणा]] के एक प्रकार के आधार पर हुआ है। भारतीयता को महत्त्व देने वाले भारतीय विद्वान् इस मत को सहज में ही मान लेते हैं। सितार को [[भारत]] का राष्ट्रीय वाद्य यंत्र होने का गौरव भी प्राप्त है। सितार बहुआयामी साज होने के साथ ही एक ऐसा [[वाद्य यंत्र]] है, जिसके ज़रिये भावनाओं को प्रकट किया जाता हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सितार]] |
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| {[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] को 'हिंदुस्तान का सबसे बड़ा शायर' की उपाधि किसने दी थी? | | {[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] को 'हिंदुस्तान का सबसे बड़ा शायर' की उपाधि किसने दी थी? |