कैस्पियन सागर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "मुताबिक" to "मुताबिक़")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 2: Line 2:
'''कैस्पियन सागर''' विश्व का सबसे बड़ा [[सागर]] है। आज भले ही मानव चाँद की यात्रा कर चुका हो, लेकिन प्रकृति आज भी लोगों के लिए रहस्य और वैज्ञानिकों के लिए अनसुलझी पहेली बनी हुई है। दुनिया भर में मशहूर कई [[झील|झीलें]] और सागर अपने विशालकाय आकार-प्रकार की वजह से किसी रहस्य से कम नहीं हैं। उन्हीं में एक है- कैस्पियन सागर। यह सागर अपने भीतर कई हैरतअंगेज दास्तान समेटे हुए है।
'''कैस्पियन सागर''' विश्व का सबसे बड़ा [[सागर]] है। आज भले ही मानव चाँद की यात्रा कर चुका हो, लेकिन प्रकृति आज भी लोगों के लिए रहस्य और वैज्ञानिकों के लिए अनसुलझी पहेली बनी हुई है। दुनिया भर में मशहूर कई [[झील|झीलें]] और सागर अपने विशालकाय आकार-प्रकार की वजह से किसी रहस्य से कम नहीं हैं। उन्हीं में एक है- कैस्पियन सागर। यह सागर अपने भीतर कई हैरतअंगेज दास्तान समेटे हुए है।
==स्थिति तथा क्षेत्रफल==
==स्थिति तथा क्षेत्रफल==
विश्व के सबसे बड़े इस सागर का वर्तमान क्षेत्रापफल 1,43,000 वर्ग मील यानी 3,71,000 वर्ग किलोमीटर है। वैज्ञानिकों के अनुसार पर्यावरण असंतुलन के कहर से यह सागर भी अछूता नहीं रहा है और धीरे-धीरे सिकुड रहा है। वर्ष [[1994]]-[[1950]] के दशक में इसका क्षेत्रफल 1,69,000 यानी 4,38,000 वर्ग किलोमीटर था। ताजा आकड़ों के मुताबिक, कैस्पियन सागर 750 मीटर यानी 1200 किलोमीटर लम्बा और 480 किलोमीटर चौड़ा है, जबकि 3000 फुट से ज़्यादा गहरा है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार किसी समय यह '[[अराल सागर]]' से जुड़ा हुआ था, जो एक खारा सागर है।<ref name="ab">{{cite web |url=http://www.dainikindiadarpan.com/contshow.php?id=29&tbl=kshetriyasamachar_tb|title=रहस्यों से भरा कैस्पियन सागर|accessmonthday=25 मार्च|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
विश्व के सबसे बड़े इस सागर का वर्तमान क्षेत्रापफल 1,43,000 वर्ग मील यानी 3,71,000 वर्ग किलोमीटर है। वैज्ञानिकों के अनुसार पर्यावरण असंतुलन के कहर से यह सागर भी अछूता नहीं रहा है और धीरे-धीरे सिकुड रहा है। वर्ष [[1994]]-[[1950]] के दशक में इसका क्षेत्रफल 1,69,000 यानी 4,38,000 वर्ग किलोमीटर था। ताजा आकड़ों के मुताबिक़, कैस्पियन सागर 750 मीटर यानी 1200 किलोमीटर लम्बा और 480 किलोमीटर चौड़ा है, जबकि 3000 फुट से ज़्यादा गहरा है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार किसी समय यह '[[अराल सागर]]' से जुड़ा हुआ था, जो एक खारा सागर है।<ref name="ab">{{cite web |url=http://www.dainikindiadarpan.com/contshow.php?id=29&tbl=kshetriyasamachar_tb|title=रहस्यों से भरा कैस्पियन सागर|accessmonthday=25 मार्च|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
====मुख्य नदियाँ====
====मुख्य नदियाँ====
कैस्पियन सागर के पूर्व, उत्तर तथा पश्चिम में [[सोवियत संघ]] तथा दक्षिण में [[ईरान]] स्थित है। इसका पानी अन्य सागरों की अपेक्षा कम खारा है। कुछ भागों में इसकी गहराई बहुत अधिक और कुछ में बिल्कुल कम है। इसका तल अन्य सागरों की अपेक्षा नीचा है। प्राचीन काल में [[वंक्षु]] (आक्सस) नदी इसी में गिरती थी; अब इसमें बाल्गा, कूरा, यूराल आदि नदियाँ गिरती है। इसमें उपयोगी मछलियाँ पाई जाती है, अत: आस-पास मत्स्य उद्योग की प्रधानता है। नाविकों को यहाँ सागर यात्रा का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। अस्त्राखान, बाकू तथा अस्त्राबाद इसके मुख्य पत्तन है। इस [[सागर]] में संपूर्ण [[वर्ष]] नौपरिवहन कठिन तथा भयावह रहता है। सोवियत संघ ने कैस्पियन सागर में युद्धपोतों का एक बेड़ा रखा है और अपना नौसेना केंद्र क्रैसनोवोटस्क में स्थापित किया है। नदियों तथा नहरों के माध्यम से इसका सीधा जल यातायात संबंध, काला सागर, बाल्टिक सागर तथा श्वेत सागर से कर दिया गया है।
कैस्पियन सागर के पूर्व, उत्तर तथा पश्चिम में [[सोवियत संघ]] तथा दक्षिण में [[ईरान]] स्थित है। इसका पानी अन्य सागरों की अपेक्षा कम खारा है। कुछ भागों में इसकी गहराई बहुत अधिक और कुछ में बिल्कुल कम है। इसका तल अन्य सागरों की अपेक्षा नीचा है। प्राचीन काल में [[वंक्षु]] (आक्सस) नदी इसी में गिरती थी; अब इसमें बाल्गा, कूरा, यूराल आदि नदियाँ गिरती है। इसमें उपयोगी मछलियाँ पाई जाती है, अत: आस-पास मत्स्य उद्योग की प्रधानता है। नाविकों को यहाँ सागर यात्रा का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। अस्त्राखान, बाकू तथा अस्त्राबाद इसके मुख्य पत्तन है। इस [[सागर]] में संपूर्ण [[वर्ष]] नौपरिवहन कठिन तथा भयावह रहता है। सोवियत संघ ने कैस्पियन सागर में युद्धपोतों का एक बेड़ा रखा है और अपना नौसेना केंद्र क्रैसनोवोटस्क में स्थापित किया है। नदियों तथा नहरों के माध्यम से इसका सीधा जल यातायात संबंध, काला सागर, बाल्टिक सागर तथा श्वेत सागर से कर दिया गया है।
==तटवर्ती देश==
==तटवर्ती देश==
[[सागर]] के आस-पास का क्षेत्र आमतौर पर पर्वतीय है। लेकिन अपवाद के तौर पर बाल्गा नदी के मुहाने पर एक डेल्टा भी है। कैस्पियन का सबसे नमकीन या खारा भाग कारा-बोगज-गोल है। यहाँ के संकरे चैनल के जरिए कैस्पियन के मुख्य भाग से जुड़ी हुई खाड़ी है, जिसमें हमेशा पानी की बहुत ही शक्तिशाली लहरें बनती हैं। कैस्पियन का आकर्षण और विशालकाय क्षेत्रफल सिकंदर महान और मार्को पोलो को अपने निकट खींच लाया था। यह कई देशों को जोड़ता है तो कई देशों की अर्थव्यवस्था का मेरूदंड भी है। यह पूर्व सोवियत गणराज्यों [[रूस]], [[कज़ाकिस्तान]], [[अजरबैजान]], [[तुर्कमेनिस्तान]] से घिरा है तो [[यूरोप]] से [[एशिया]] पूर्व तक फैला हुआ है। इसके दक्षिण में ईरान है। कैस्पियन सागर के किनारे कुल पचास [[द्वीप]] हैं, जिसके किनारे प्रमुख व्यापारिक मार्ग हैं। इसके किनारे बाकू सबसे बड़ा पोर्ट सिटी है, जो अजरबैजान की राजधानी है। कैस्पियन सागर का पानी हल्का खारा है। यह समुद्र तट की ऊंचाई से 28 मीटर नीचे है। इसकी सुंदरता की तुलना ग्रीक के [[देवता]] '[[अपोलो]]' से की जाती है।<ref name="ab"/>
[[सागर]] के आस-पास का क्षेत्र आमतौर पर पर्वतीय है। लेकिन अपवाद के तौर पर बाल्गा नदी के मुहाने पर एक डेल्टा भी है। कैस्पियन का सबसे नमकीन या खारा भाग कारा-बोगज-गोल है। यहाँ के संकरे चैनल के जरिए कैस्पियन के मुख्य भाग से जुड़ी हुई खाड़ी है, जिसमें हमेशा पानी की बहुत ही शक्तिशाली लहरें बनती हैं। कैस्पियन का आकर्षण और विशालकाय क्षेत्रफल सिकंदर महान् और मार्को पोलो को अपने निकट खींच लाया था। यह कई देशों को जोड़ता है तो कई देशों की अर्थव्यवस्था का मेरूदंड भी है। यह पूर्व सोवियत गणराज्यों [[रूस]], [[कज़ाकिस्तान]], [[अजरबैजान]], [[तुर्कमेनिस्तान]] से घिरा है तो [[यूरोप]] से [[एशिया]] पूर्व तक फैला हुआ है। इसके दक्षिण में ईरान है। कैस्पियन सागर के किनारे कुल पचास [[द्वीप]] हैं, जिसके किनारे प्रमुख व्यापारिक मार्ग हैं। इसके किनारे बाकू सबसे बड़ा पोर्ट सिटी है, जो अजरबैजान की राजधानी है। कैस्पियन सागर का पानी हल्का खारा है। यह समुद्र तट की ऊंचाई से 28 मीटर नीचे है। इसकी सुंदरता की तुलना ग्रीक के [[देवता]] '[[अपोलो]]' से की जाती है।<ref name="ab"/>
==कैस्पियन के दावेदार==
==कैस्पियन के दावेदार==
कैस्पियन सागर आज कई देशों के बीच विवाद का विषय भी बना हुआ है। इस सागर पर दावेदारी करने वाले प्रमुख देश हैं-
कैस्पियन सागर आज कई देशों के बीच विवाद का विषय भी बना हुआ है। इस सागर पर दावेदारी करने वाले प्रमुख देश हैं-

Latest revision as of 09:55, 11 February 2021

thumb|300px|कैस्पियन सागर कैस्पियन सागर विश्व का सबसे बड़ा सागर है। आज भले ही मानव चाँद की यात्रा कर चुका हो, लेकिन प्रकृति आज भी लोगों के लिए रहस्य और वैज्ञानिकों के लिए अनसुलझी पहेली बनी हुई है। दुनिया भर में मशहूर कई झीलें और सागर अपने विशालकाय आकार-प्रकार की वजह से किसी रहस्य से कम नहीं हैं। उन्हीं में एक है- कैस्पियन सागर। यह सागर अपने भीतर कई हैरतअंगेज दास्तान समेटे हुए है।

स्थिति तथा क्षेत्रफल

विश्व के सबसे बड़े इस सागर का वर्तमान क्षेत्रापफल 1,43,000 वर्ग मील यानी 3,71,000 वर्ग किलोमीटर है। वैज्ञानिकों के अनुसार पर्यावरण असंतुलन के कहर से यह सागर भी अछूता नहीं रहा है और धीरे-धीरे सिकुड रहा है। वर्ष 1994-1950 के दशक में इसका क्षेत्रफल 1,69,000 यानी 4,38,000 वर्ग किलोमीटर था। ताजा आकड़ों के मुताबिक़, कैस्पियन सागर 750 मीटर यानी 1200 किलोमीटर लम्बा और 480 किलोमीटर चौड़ा है, जबकि 3000 फुट से ज़्यादा गहरा है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार किसी समय यह 'अराल सागर' से जुड़ा हुआ था, जो एक खारा सागर है।[1]

मुख्य नदियाँ

कैस्पियन सागर के पूर्व, उत्तर तथा पश्चिम में सोवियत संघ तथा दक्षिण में ईरान स्थित है। इसका पानी अन्य सागरों की अपेक्षा कम खारा है। कुछ भागों में इसकी गहराई बहुत अधिक और कुछ में बिल्कुल कम है। इसका तल अन्य सागरों की अपेक्षा नीचा है। प्राचीन काल में वंक्षु (आक्सस) नदी इसी में गिरती थी; अब इसमें बाल्गा, कूरा, यूराल आदि नदियाँ गिरती है। इसमें उपयोगी मछलियाँ पाई जाती है, अत: आस-पास मत्स्य उद्योग की प्रधानता है। नाविकों को यहाँ सागर यात्रा का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। अस्त्राखान, बाकू तथा अस्त्राबाद इसके मुख्य पत्तन है। इस सागर में संपूर्ण वर्ष नौपरिवहन कठिन तथा भयावह रहता है। सोवियत संघ ने कैस्पियन सागर में युद्धपोतों का एक बेड़ा रखा है और अपना नौसेना केंद्र क्रैसनोवोटस्क में स्थापित किया है। नदियों तथा नहरों के माध्यम से इसका सीधा जल यातायात संबंध, काला सागर, बाल्टिक सागर तथा श्वेत सागर से कर दिया गया है।

तटवर्ती देश

सागर के आस-पास का क्षेत्र आमतौर पर पर्वतीय है। लेकिन अपवाद के तौर पर बाल्गा नदी के मुहाने पर एक डेल्टा भी है। कैस्पियन का सबसे नमकीन या खारा भाग कारा-बोगज-गोल है। यहाँ के संकरे चैनल के जरिए कैस्पियन के मुख्य भाग से जुड़ी हुई खाड़ी है, जिसमें हमेशा पानी की बहुत ही शक्तिशाली लहरें बनती हैं। कैस्पियन का आकर्षण और विशालकाय क्षेत्रफल सिकंदर महान् और मार्को पोलो को अपने निकट खींच लाया था। यह कई देशों को जोड़ता है तो कई देशों की अर्थव्यवस्था का मेरूदंड भी है। यह पूर्व सोवियत गणराज्यों रूस, कज़ाकिस्तान, अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान से घिरा है तो यूरोप से एशिया पूर्व तक फैला हुआ है। इसके दक्षिण में ईरान है। कैस्पियन सागर के किनारे कुल पचास द्वीप हैं, जिसके किनारे प्रमुख व्यापारिक मार्ग हैं। इसके किनारे बाकू सबसे बड़ा पोर्ट सिटी है, जो अजरबैजान की राजधानी है। कैस्पियन सागर का पानी हल्का खारा है। यह समुद्र तट की ऊंचाई से 28 मीटर नीचे है। इसकी सुंदरता की तुलना ग्रीक के देवता 'अपोलो' से की जाती है।[1]

कैस्पियन के दावेदार

कैस्पियन सागर आज कई देशों के बीच विवाद का विषय भी बना हुआ है। इस सागर पर दावेदारी करने वाले प्रमुख देश हैं-

  1. रूस
  2. तुर्कमेनिस्तान
  3. अज़रबैजान
  4. कजाकिस्तान
  5. ईरान

कैस्पियन सागर पर कुछ देशों के अधिकार क्षेत्र को लेकर खड़े हुए विवाद को लेकर मॉस्को में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ था। कैस्पियन सागर ज़मीन से घिरा दुनिया का सबसे बड़ा सागर है और दस वर्ष पहले तक ये ईरान और सोवियत संघ के बीच बँटा हुआ था, लेकिन अब इस सागर के जल, तेल के बेशकीमती भंडार और भारी मांग वाली स्टर्जन मछलियों पर पाँच देश दावा कर रहे हैं।

विवाद का सम्भावित हल

कैस्पियन सागर के अधिकार को लेकर होने वाले विवाद को टालने के लिए सागर को बाँटने के लिए दो सुझाव दिए गए हैं-

  1. सबसे सीधा और आसान सा तरीक़ा यह है कि इस सागर को पाँच अलग-अलग क्षेत्रों में समान रूप में विभाजित कर दिया जाए।
  2. सागर से लगने वाले देशों को उनके समुद्र तटों की लंबाई के हिसाब से सागर का हिस्सा दिया जाए।

इसका अर्थ यह होगा कि तुर्कमेनिस्तान को सागर का सबसे अधिक और अज़रबैजान को सबसे कम हिस्सा मिलेगा। यही वजह है कि दूसरे सुझाव को अज़रबैजान में अधिक समर्थन नहीं मिला है।

तेल परियोजना

अज़रबैजान कैस्पियन सागर में अधिक हिस्सा चाहता है। इसकी एक वजह ये भी है कि अमरीकी तेल कंपनी "एक्सॉनमोबिल" ने उसके इलाके में तेल निकालने की एक बड़ी परियोजना से हाथ खींच लिए हैं। ये दूसरा मौक़ा है, जब "एक्सॉनमोबिल" ने अज़रबैजान के सीमा क्षेत्र में स्थित किसी परियोजना से हटने का फ़ैसला किया है, क्योंकि उसे वहाँ पर्याप्त मात्रा में तेल नहीं मिला। अगर सागर के बँटवारे का प्रश्न सुलझ भी जाता है तो इन पाँचों देशों के लिए एक दूसरी बड़ी चुनौती पर्यावरण की गंभीर समस्या का समाधान ढूँढना होगा। कैस्पियन सागर में बड़ी तादाद में स्टर्जन मछलियाँ पाई जाती हैं, जिसके अंडे बड़े चाव से खाए जाते हैं, लेकिन अभी सिर्फ़ ईरान को ही स्टर्जन मछलियाँ पकड़ने की अनुमति है। ईरान ऐसा अकेला देश है, जिसने मछलियाँ पकड़ने के बारे में दिशा-निर्देश लागू कर रखे हैं। पर्यावरणविदों को चिंता है कि अगर कैस्पियन सागर में मछलियाँ पकड़ने के बारे में दूसरे देश भी दिशा-निर्देश लागू नहीं करते हैं तो वहाँ पर्यावरण का गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 रहस्यों से भरा कैस्पियन सागर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 25 मार्च, 2013।
  2. कैस्पियन सागर पर किसका हक (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 25 मार्च, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख