Template:एक व्यक्तित्व: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(14 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
{| style="background:transparent; width:100%"
<h4>[[एक व्यक्तित्व]]</h4>
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">एक व्यक्तित्व</font>
<div class="hamariaapki-new headbg34">
|-
[[चित्र:Rahul Sankrityayan.JPG|right|90px|link=राहुल सांकृत्यायन|border]]
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
[[चित्र:Lala-Lajpat-Rai.jpg|right|100px|link=लाला लाजपत राय|border]]
<poem>
<poem>
         '''[[लाला लाजपत राय]]''' को [[भारत]] के महान क्रांतिकारियों में गिना जाता है। आजीवन ब्रिटिश राजशक्ति का सामना करते हुए अपने प्राणों की परवाह न करने वाले लाला लाजपत राय को 'पंजाब केसरी' भी कहा जाता है। लालाजी [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के [[गरम दल]] के प्रमुख नेता तथा पूरे पंजाब के प्रतिनिधि थे। उन्हें 'पंजाब के शेर' की उपाधि भी मिली थी। उन्होंने क़ानून की शिक्षा प्राप्त कर [[हिसार]] में वकालत प्रारम्भ की थी, किन्तु बाद में [[दयानंद सरस्वती|स्वामी दयानंद]] के सम्पर्क में आने के कारण वे [[आर्य समाज]] के प्रबल समर्थक बन गये। यहीं से उनमें उग्र राष्ट्रीयता की भावना जागृत हुई। लालाजी ने [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]], [[अशोक]], [[शिवाजी]], [[दयानंद सरस्वती|स्वामी दयानंद सरस्वती]], [[पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी]], मेत्सिनी और गैरीबाल्डी की संक्षिप्त जीवनियाँ भी लिखीं। 'नेशनल एजुकेशन', 'अनहैप्पी इंडिया' और 'द स्टोरी ऑफ़ माई डिपोर्डेशन' उनकी अन्य महत्त्वपूर्ण रचनाएँ हैं।  [[लाला लाजपत राय|... और पढ़ें]]
         '''[[राहुल सांकृत्यायन|महापण्डित राहुल सांकृत्यायन]]''' को '''हिन्दी यात्रा साहित्य''' का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। [[बौद्ध धर्म]] पर उनका शोध [[हिन्दी साहित्य]] में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने [[तिब्बत]] से लेकर [[श्रीलंका]] तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो [[पाली]], [[प्राकृत]], [[अपभ्रंश]], तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो [[कार्ल मार्क्स]], लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी [[इतिहास]], [[पुरातत्त्व]], [[स्थापत्य कला|स्थापत्य]], भाषाशास्त्र एवं [[राजनीति कोश|राजनीति शास्त्र]] के अच्छे ज्ञाता थे। [[राहुल सांकृत्यायन|... और पढ़ें]]
</poem>
</poem>
----
<center>
<center>
{| style="margin:0; background:transparent" cellspacing="3"
{|  
|-
|-
| [[एक व्यक्तित्व|पिछले लेख]] →
| [[एक व्यक्तित्व|पिछले लेख]] →
| [[कवि प्रदीप]] ·
|[[ओंकारनाथ ठाकुर|पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर]]
| [[गजानन माधव 'मुक्तिबोध'|मुक्तिबोध]] ·
| [[जे. आर. डी. टाटा]]  
| [[मोहन राकेश]] ·
| [[आर. के. लक्ष्मण]]  
| [[जयशंकर प्रसाद]]  
|}
|}</center>
</center>
|}<noinclude>[[Category:एक व्यक्तित्व के साँचे]]</noinclude>
</div>
<noinclude>[[Category:एक व्यक्तित्व के साँचे]]</noinclude>

Latest revision as of 14:03, 6 April 2020

एक व्यक्तित्व

right|90px|link=राहुल सांकृत्यायन|border

        महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो कार्ल मार्क्स, लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी इतिहास, पुरातत्त्व, स्थापत्य, भाषाशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। ... और पढ़ें

पिछले लेख पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर जे. आर. डी. टाटा आर. के. लक्ष्मण