काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग: Difference between revisions

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'''काशीनाथ त्रयंबक तैलंग''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kashinath Trimbak Telang'') (जन्म: 1850 - मृत्यु: 1893) का [[मुंबई]] प्रांत में सार्वजनिक आंदोलन आरम्भ करके जन-जाग्रति उत्पन्न करने वालों में प्रमुख स्थान था।
'''काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kashinath Trimbak Telang'', जन्म: 1850 - मृत्यु: 1893) [[भारत]] के विद्वान एवं [[मुंबई उच्च न्यायालय]] के न्यायाधीश थे। इनका नाम [[मुंबई]] प्रांत में सार्वजनिक आंदोलन आरम्भ करके जन-जाग्रति उत्पन्न करने वालों में प्रमुख था।
==संक्षिप्त परिचय==
==संक्षिप्त परिचय==
* [[कांग्रेस]] की स्थापना से पूर्व ‘बाम्बे प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ की स्थापना करने वालों में काशीनाथ त्रयंबक तैलंग प्रमुख थे।  
* [[कांग्रेस]] की स्थापना से पूर्व ‘बाम्बे प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ की स्थापना करने वालों में काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग प्रमुख थे।  
* 1885 ई. में मुंम्बई में कांग्रेस की स्थापना के प्रथम समारोह में देश-भर से सम्मिलित होने वाले 72 प्रतिनिधियों में तेलंग थे।  
* 1885 ई. में मुंम्बई में कांग्रेस की स्थापना के प्रथम समारोह में देश-भर से सम्मिलित होने वाले 72 प्रतिनिधियों में तेलंग थे।  
* तैलंग बड़े प्रतिभाशाली थे। विद्यार्थी जीवन में [[विश्वविद्यालय]] तक सदा सबसे अधिक अंक प्राप्त करने के लिए इन्हें अनेक छात्रवृत्तियां और पदक मिले।
* तेलंग बड़े प्रतिभाशाली थे। विद्यार्थी जीवन में [[विश्वविद्यालय]] तक सदा सबसे अधिक अंक प्राप्त करने के लिए इन्हें अनेक छात्रवृत्तियां और पदक मिले।
* [[1892]] ई. में काशीनाथ त्रयंबक तैलंग [[मुंबई विश्वविद्यालय]] के [[कुलपति]] बने और राजनीतिक जागृति की वृद्धि की दृष्टि से उन्होंने राजनीति और [[अर्थशास्त्र]] को अध्ययन का अनिवार्य विषय बनाया।  
* [[1892]] ई. में काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग [[मुंबई विश्वविद्यालय]] के [[कुलपति]] बने और राजनीतिक जागृति की वृद्धि की दृष्टि से उन्होंने राजनीति और [[अर्थशास्त्र]] को अध्ययन का अनिवार्य विषय बनाया।  
* काशीनाथ त्त्रयंबक तैलंग मुंबई उच्च न्यायालय के मनोनीत प्रधान न्यायाधीश भी थे।  
* काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग मुंबई उच्च न्यायालय के मनोनीत प्रधान न्यायाधीश भी थे।  
* तेलंग को [[मराठी]], [[अंग्रेजी]], [[संस्कृत]], फ्रेंन्च और जर्मन भाषाओं का अच्छा ज्ञान था।  
* तेलंग को [[मराठी]], [[अंग्रेजी]], [[संस्कृत]], फ्रेंन्च और जर्मन भाषाओं का अच्छा ज्ञान था।  
*देश के प्राचीन सहित्य का गहन अध्ययन करने के बाद पश्चिम देशों के आलोचकों को काशीनाथ त्रयंबक तैलंग जी ने मुंह तोड़ उत्तर दिया।  
*देश के प्राचीन सहित्य का गहन अध्ययन करने के बाद पश्चिम देशों के आलोचकों को काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग जी ने मुंह तोड़ उत्तर दिया।  
*काशीनाथ त्रयंबक तैलंग का ताम्र पत्रों, [[शिलालेख|शिलालेखों]] के पठन और [[अनुवाद]] के क्षेत्र में भी बहुत योगदान था।  
*काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग का ताम्र पत्रों, [[शिलालेख|शिलालेखों]] के पठन और [[अनुवाद]] के क्षेत्र में भी बहुत योगदान था।  
*समाज सुधारों के लिए प्रयत्नशील स्त्रियों के उन्नयन, [[विधवा विवाह|विधवा-विवाह]] और स्त्रियों की शिक्षा के लिये काशीनाथ त्रयंबक तैलंग जी ने बहुत कार्य किये थे।  
*समाज सुधारों के लिए प्रयत्नशील स्त्रियों के उन्नयन, [[विधवा विवाह|विधवा-विवाह]] और स्त्रियों की शिक्षा के लिये काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग जी ने बहुत कार्य किये थे।  
* [[1893]] में 43 वर्ष की अल्प आयु में ही काशीनाथ त्रयंबक तैलंग जी का देहांत हो गया।
* [[1893]] में 43 वर्ष की अल्प आयु में ही काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग जी का देहांत हो गया।


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काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग (अंग्रेज़ी: Kashinath Trimbak Telang, जन्म: 1850 - मृत्यु: 1893) भारत के विद्वान एवं मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। इनका नाम मुंबई प्रांत में सार्वजनिक आंदोलन आरम्भ करके जन-जाग्रति उत्पन्न करने वालों में प्रमुख था।

संक्षिप्त परिचय

  • कांग्रेस की स्थापना से पूर्व ‘बाम्बे प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ की स्थापना करने वालों में काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग प्रमुख थे।
  • 1885 ई. में मुंम्बई में कांग्रेस की स्थापना के प्रथम समारोह में देश-भर से सम्मिलित होने वाले 72 प्रतिनिधियों में तेलंग थे।
  • तेलंग बड़े प्रतिभाशाली थे। विद्यार्थी जीवन में विश्वविद्यालय तक सदा सबसे अधिक अंक प्राप्त करने के लिए इन्हें अनेक छात्रवृत्तियां और पदक मिले।
  • 1892 ई. में काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति बने और राजनीतिक जागृति की वृद्धि की दृष्टि से उन्होंने राजनीति और अर्थशास्त्र को अध्ययन का अनिवार्य विषय बनाया।
  • काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग मुंबई उच्च न्यायालय के मनोनीत प्रधान न्यायाधीश भी थे।
  • तेलंग को मराठी, अंग्रेजी, संस्कृत, फ्रेंन्च और जर्मन भाषाओं का अच्छा ज्ञान था।
  • देश के प्राचीन सहित्य का गहन अध्ययन करने के बाद पश्चिम देशों के आलोचकों को काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग जी ने मुंह तोड़ उत्तर दिया।
  • काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग का ताम्र पत्रों, शिलालेखों के पठन और अनुवाद के क्षेत्र में भी बहुत योगदान था।
  • समाज सुधारों के लिए प्रयत्नशील स्त्रियों के उन्नयन, विधवा-विवाह और स्त्रियों की शिक्षा के लिये काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग जी ने बहुत कार्य किये थे।
  • 1893 में 43 वर्ष की अल्प आयु में ही काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग जी का देहांत हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख