कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 398: Difference between revisions
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||[[चित्र:Sheshnag-Lake-Amarnath.jpg|right|border|80px|शेषनाग झील, अमरनाथ]]'अमरनाथ' [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह [[जम्मू और कश्मीर]] राज्य के [[श्रीनगर]] शहर के उत्तर-पूर्व में 141 किलोमीटर दूर समुद्र तल से 3,888 मीटर (12756 फुट) की ऊंचाई पर स्थित है। इस गुफ़ा की लंबाई (भीतर की ओर गहराई) 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। [[अमरनाथ]] को 'तीर्थों का तीर्थ' कहा जाता है। एक पौराणिक गाथा के अनुसार [[शिव]] ने [[पार्वती]] को अमरत्व का रहस्य (जीवन और मृत्यु के रहस्य) बताने के लिए अमरनाथ गुफ़ा को चुना था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमरनाथ]] | ||[[चित्र:Sheshnag-Lake-Amarnath.jpg|right|border|80px|शेषनाग झील, अमरनाथ]]'अमरनाथ' [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह [[जम्मू और कश्मीर]] राज्य के [[श्रीनगर]] शहर के उत्तर-पूर्व में 141 किलोमीटर दूर समुद्र तल से 3,888 मीटर (12756 फुट) की ऊंचाई पर स्थित है। इस गुफ़ा की लंबाई (भीतर की ओर गहराई) 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। [[अमरनाथ]] को 'तीर्थों का तीर्थ' कहा जाता है। एक पौराणिक गाथा के अनुसार [[शिव]] ने [[पार्वती]] को अमरत्व का रहस्य (जीवन और मृत्यु के रहस्य) बताने के लिए अमरनाथ गुफ़ा को चुना था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमरनाथ]] | ||
||[[चित्र:Vaishno Devi mata pind.jpg|right|border|80px|वैष्णो देवी]]'वैष्णों देवी' का जागृत और पवित्र मंदिर [[भारत]] के [[जम्मू और कश्मीर]] राज्य की हसीन वादियों में [[उधमपुर |उधमपुर ज़िले]] में कटरा से 12 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिमी [[हिमालय]] के [[त्रिकुटा|त्रिकुटा पर्वत]] पर गुफ़ा में विराजित है। यह एक दुर्गम यात्रा है, किंतु माता के भक्तों की आस्था और विश्वास की शक्ति सब कुछ संभव कर देती है। नवरात्रों के दौरान [[वैष्णो देवी|माँ वैष्णों देवी]] के दर्शन की विशेष मान्यता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वैष्णो देवी]] | ||[[चित्र:Vaishno Devi mata pind.jpg|right|border|80px|वैष्णो देवी]]'वैष्णों देवी' का जागृत और पवित्र मंदिर [[भारत]] के [[जम्मू और कश्मीर]] राज्य की हसीन वादियों में [[उधमपुर ज़िला|उधमपुर ज़िले]] में कटरा से 12 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिमी [[हिमालय]] के [[त्रिकुटा|त्रिकुटा पर्वत]] पर गुफ़ा में विराजित है। यह एक दुर्गम यात्रा है, किंतु माता के भक्तों की आस्था और विश्वास की शक्ति सब कुछ संभव कर देती है। नवरात्रों के दौरान [[वैष्णो देवी|माँ वैष्णों देवी]] के दर्शन की विशेष मान्यता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वैष्णो देवी]] | ||
{विख्यात कन्दारिया महादेव मन्दिर स्थित | {विख्यात कन्दारिया महादेव मन्दिर कहाँ स्थित है? | ||
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-[[तंजावूर]] | -[[तंजावूर]] | ||
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+[[खजुराहो]] | +[[खजुराहो]] | ||
-[[रामेश्वरम]] | -[[रामेश्वरम]] | ||
||[[चित्र:Kandariya-Mahadeva-Temple.jpg|right|border|80px|कन्दारिया महादेव मन्दिर, खजुराहो]]'कन्दारिया महादेव मन्दिर' [[खजुराहो]], [[मध्य प्रदेश]] में स्थित है। इस मन्दिर का निर्माण [[चन्देल वंश]] के पराक्रमी राजा [[यशोवर्मन]] ने 1025-1050 ई. के आस-पास करवाया था। यशोवर्मन [[हर्ष वर्धन|सम्राट हर्ष]] का पुत्र तथा उसका उत्तराधिकारी था। उसके द्वारा निर्मित [[कन्दारिया महादेव मन्दिर|कन्दारिया महादेव का मन्दिर]] सबसे बड़ा, ऊँचा और कलात्मक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इस मन्दिर को 'चतुर्भुज मन्दिर' के नाम से भी जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कन्दारिया महादेव मन्दिर]], [[खजुराहो]] | |||
{[[सारनाथ]] में किस सम्राट का स्तम्भ है? | {[[सारनाथ]] में किस सम्राट का स्तम्भ है? | ||
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-[[शेरशाह]] | -[[शेरशाह]] | ||
-[[शाहजहाँ]] | -[[शाहजहाँ]] | ||
||[[चित्र:Sarnath-Stupa.jpg|right|border|80px|सारनाथ स्तूप]]'सारनाथ' [[काशी]] से सात मील पूर्वोत्तर में स्थित [[बौद्ध|बौद्धों]] का प्राचीन तीर्थ है। ज्ञान प्राप्त करने के बाद [[बुद्ध]] ने प्रथम उपदेश यहाँ दिया था। यहाँ से ही उन्होंने "धर्म चक्र प्रवर्तन" प्रारम्भ किया। यहाँ पर सारंगनाथ महादेव का मन्दिर है। [[सावन]] के महीने में [[हिन्दु|हिन्दुओं]] का मेला यहाँ लगता है। [[सारनाथ]] की दर्शनीय वस्तुयें- [[अशोक]] का चतुर्मुख सिंहस्तम्भ, भगवान बुद्ध का मन्दिर, [[धमेख स्तूप]], [[चौखंडी स्तूप]], राजकीय संग्राहलय, जैन मन्दिर, चीनी मन्दिर, मूलंगधकुटी और नवीन विहार हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सारनाथ]] | |||
{कृष्णराज सागर कहाँ पर स्थित है? | {कृष्णराज सागर कहाँ पर स्थित है? | ||
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-[[कोटा]] | -[[कोटा]] | ||
-[[हैदराबाद]] | -[[हैदराबाद]] | ||
||[[चित्र:Krishnaraja-Sagar-Dam-Mysore.jpg|right|border|80px|कृष्णराज सागर बाँध, मैसूर]]'कृष्णराज सागर बाँध' [[कर्नाटक]] में स्थित है। यह [[मैसूर]] नगर से 12 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इस बाँध का निर्माण वर्ष [[1932]] में किया गया था। बाँध को 'के. आर. एस. बाँध' भी कहा जाता है। इससे निकाली गई नहरें बाँध के आसपास की लगभग 92000 एकड़ भूमि की सिंचाई के लिए उपयोगी हैं। [[कृष्णराज सागर बाँध, मैसूर|कृष्णराज सागर बाँध]] का नक़्शा अपने समय के विख्यात अभियन्ता [[विश्वेश्वरैया|श्री एम. विश्वेश्वरैया]] ने बनाया था और इसका निर्माण कृष्णराज वुडेयार चतुर्थ के शासन काल में हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृष्णराज सागर बाँध, मैसूर|कृष्णराज सागर बाँध]], [[मैसूर]] | |||
{[[भारत]] का सबसे पुराना स्मारक कौन-सा है? | {[[भारत]] का सबसे पुराना स्मारक कौन-सा है? | ||
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-[[ताजमहल]] | -[[ताजमहल]] | ||
-[[खजुराहो]] | -[[खजुराहो]] | ||
+[[ | +[[अजंता की गुफ़ाएं]] | ||
||[[चित्र:Ajanta-Caves-Aurangabad-Maharashtra-4.jpg|right|border|80px|अजंता गुफा में बुद्ध की प्रतिमा]]'अंजता की गुफ़ाओं' का मुख्य आकर्षण भित्ति चित्रकारी है। चट्टानों को काटकर बनाए गए बौद्ध गुफ़ा मंदिर व [[बौद्ध मठ|मठ]], [[अजंता|अजंता गाँव]] के समीप, उत्तर-मध्य [[महाराष्ट्र]], [[पश्चिमी भारत]] में स्थित है, जो अपनी भित्ति चित्रकारी के लिए विख्यात है। [[औरंगाबाद]] से 107 किलोमीटर पूर्वोत्तर में वगुर्ना नदी घाटी के 20 मीटर गहरे बाएँ छोर पर एक चट्टान के आग्नेय पत्थरों की परतों को खोखला करके ये मंदिर बनाए गए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अजंता की गुफ़ाएं]] | |||
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