एस. एम. श्रीनागेश: Difference between revisions

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Latest revision as of 09:17, 25 July 2021

एस. एम. श्रीनागेश
पूरा नाम सत्यवन्त मल्लान्नाह श्रीनागेश
जन्म 11 मई, 1903
जन्म भूमि कोल्हापुर, महाराष्ट्र (आज़ादी पूर्व)
मृत्यु 27 अक्टूबर, 1977
मृत्यु स्थान नई दिल्ली
अभिभावक पिता- डॉ. श्रीनागेश मल्लाह
पति/पत्नी राजकुमारी कोचर
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भारतीय थल सेना
नागरिकता भारतीय
पद छठवें राज्यपाल, असम- 14 अक्टूबर, 1959 से 12 नवम्बर, 1960 तक और फिर पुनः 13 जनवरी, 1961 से 7 सितम्बर, 1962

तृतीय राज्यपाल, आंध्र प्रदेश- 8 सितंबर, 1962 से 4 मई, 1964 तक
द्वितीय राज्यपाल, मैसूर- 4 मई, 1964 से 2 अप्रॅल, 1965 तक
तृतीय थल सेनाध्यक्ष, भारत- 14 मई, 1955 से 7 मई, 1957 तक

अन्य जानकारी जनरल एस. एम. श्रीनागेश ने बर्मा में 19वीं भारतीय डिवीजन की 64वीं भारतीय इन्फैंट्री ब्रिगेड की कमान भी संभाली। 1945 में उन्हें जर्मनी में भारतीय सैन्य मिशन के उप प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया।

सत्यवन्त मल्लान्नाह श्रीनागेश (अंग्रेज़ी: Satyawant Mallanna Shrinagesh, जन्म- 11 मई, 1903; मृत्यु- 27 अक्टूबर, 1977) जिन्हें मुख्यत: एस. एम. श्रीनागेश के नाम से जाना जाता है, भारतीय थल सेना के तृतीय थल सेनाध्यक्ष थे। इस पद पर वह 14 मई, 1955 से 7 मई, 1957 तक रहे। इसके बाद वह 1957 से 1962 तक भारतीय प्रशासनिक कॉलेज, हैदराबाद के प्रधान के रूप में नियुक्त किया गया था। सेवानिवृत्ति के पश्चात एस. एम. श्रीनागेश ने 14 अक्टूबर, 1959 से 12 नवम्बर, 1960 तक और फिर पुनः 13 जनवरी, 1961 से 7 सितम्बर, 1962 असम के राज्यपाल का पदभार ग्रहण किया। वह 8 सितंबर, 1962 से 4 मई, 1964 तक आंध्र प्रदेश के राज्यपाल और बाद में 4 मई, 1964 से 2 अप्रॅल, 1965 तक मैसूर के राज्यपाल रहे।

परिचय

11 मई, सन 1903 को एस. एम. श्रीनागेश का जन्म कोल्हापुर, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता डॉ. श्रीनागेश मल्लाह, हैदराबाद के निजाम के व्यक्तिगत चिकित्सक थे। बचपन में उन्हें इंग्लैंड भेजा गया था। जनरल एस. एम. श्रीनागेश ने इंग्लैंड के एक पब्लिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। वह ब्रिटेन में सैंडहर्स्ट मिलिट्री अकादमी के छात्र भी थे। उन्हें 20 साल की उम्र में ब्रिटिश भारतीय सेना में कमीशन दिया गया था।

कार्यक्षेत्र

एस. एम. श्रीनागेश को नॉर्थ स्टैफ़ोर्ड शायर रेजिमेंट में नियुक्त किया गया, लेकिन जल्द ही उन्हें बर्मा (वर्तमान म्यांमार) भेज दिया गया और 2/1 मद्रास पायनियर्स पोस्ट किया गया। उनकी अगली नियुक्ति 4/19 वीं हैदराबाद रेजिमेंट में थी। एस. एम. श्रीनागेश ने सिंगापुर में एक एडजुटेंट के रूप में काम किया। सन 1939 में उनको भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के प्रशिक्षक का पदभार दिया गया। सन 1939 में असम और बर्मा की लड़ाई में उन्होंने 6/19वीं हैदराबाद रेजिमेंट की कमान संभाली।

जनरल एस. एम. श्रीनागेश ने बर्मा में 19वीं भारतीय डिवीजन की 64वीं भारतीय इन्फैंट्री ब्रिगेड की कमान भी संभाली। 1945 में उन्हें जर्मनी में भारतीय सैन्य मिशन के उप प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया। जर्मनी से लौटने के बाद एस. एम. श्रीनागेश ने जापान में 268वीं भारतीय इन्फैंट्री ब्रिगेड की कमान संभाली। मेजर जनरल के पदोन्नति पर उन्होंने मद्रास क्षेत्र के जीओसी का कार्यभार संभाला। सन 1948 में उन्हें नई दिल्ली में सेना मुख्यालय में एडजुटेंट जनरल के पद पर नियुक्त किया गया। 1947 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर में सभी सैनिकों के समग्र कमांडर का पद संभाला था। जनरल एस. एम. श्रीनागेश को 1949 में जीओसी-इन-सी पश्चिमी कमान के रूप में नियुक्त किया गया। वह 1950 में लेफ्टिनेंट जनरल के पद तक पहुंचे और बाद में जीओसी-इन-सी दक्षिणी कमान के रूप में नियुक्त हुए। उनको 14 मई, 1955 को भारत के सेना प्रमुख के पद पर पदोन्नत किया गया था। 1957 में वह राष्ट्र को समर्पित 34 वर्षों की सेवा पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त हुए।

मृत्यु

जनरल एस. एम. श्रीनागेश की मृत्यु 27 अक्टूबर, 1977 को नई दिल्ली में हुई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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